Jhansi News: केन्द्रीय कृषि विवि बन रहा है कृषि उच्च शिक्षा का हब, नये-नये पाठ्यक्रमों की शुरूआत

Jhansi News: विवि द्वारा सन् 2018 में तीन विषयों -सस्य विज्ञान, पादप सुरक्षा, अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विषय में स्नातकोत्तर (एमएससी) की शिक्षा शुरू की गयी । सन् 2019 में कीट विज्ञान एवं मृदा विज्ञान में स्नातकोत्तर (एमएससी) की शिक्षा शुरू हुई ।

Report :  B.K Kushwaha
Update:2023-01-13 21:41 IST

Jhansi Central Agricultural University (Social Media)

Jhansi News: रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के मार्गदर्शन एवं निदेशक शिक्षा, डॉ अनिल कुमार के प्रयासों से इस वर्ष पांच पाठ्यक्रमों में उच्च शैक्षिक उपाधि डॉक्टर ऑफ फिलोसोफी (पीएचडी) की शुरुआत की जा रही है और इसके साथ स्नातकोत्तर में भी तीन नए पाठ्यक्रम शुरू की जा रही है।

अभी कृषि विवि में तीन विषयों पर स्नातक (बीएससी) (कृषि, उधानिकी एवं वानिकी) एवं 8 विषयों में स्नातकोत्तर (एमएससी) की उपाधि विवि द्वारा प्रदान की जा रही हैं । इस केंद्रीय कृषि विवि की स्थापना 2014 में संसद में पारित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 2014 (2014 की अधिनियम संख्या 10) के तहत की गई है। इस विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य कृषि और संबद्ध विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में शिक्षा प्रदान करना, कृषि में अनुसंधान करना, विस्तार शिक्षा के कार्यक्रम शुरू करना और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के साथ संबंधों को बढ़ावा देना है। इन आठ सालों के अल्प काल खंड में ही विवि ने कृषि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक लम्बी छलांग लगाई हैं ।

फल विज्ञान एवं कृषि वानिकी के विषय की शिक्षा शुरू

विवि द्वारा सन् 2018 में तीन विषयों -सस्य विज्ञान, पादप सुरक्षा, अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विषय में स्नातकोत्तर (एमएससी) की शिक्षा शुरू की गयी । सन् 2019 में कीट विज्ञान एवं मृदा विज्ञान में स्नातकोत्तर (एमएससी) की शिक्षा शुरू हुई । सन् 2020 में उधानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय में दो विषयों-सब्जी एवं फल विज्ञान के साथ सिल्वीकल्चर (वन संवर्धन) एवं कृषिवानिकी में स्नातकोत्तर शिक्षा की शुरुआत हुई । सन् 2022 में कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में तीन विषयों-कृषि विस्तार एवं शिक्षा, वन उत्पाद उपयोग (फॉरेस्ट प्रोडक्ट यूटिलाइजेशन), बागवानी एवं लैंडस्कैपिंग विषयों पर स्नातकोत्तर तथा पांच पीएचडी विधा- सस्य विज्ञान, पादप सुरक्षा, अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन, फल विज्ञान एवं कृषि वानिकी के विषय की शिक्षा शुरू की जा रही है ।

महत्वपूर्ण तकनीक का विकास कर रही हैं कृषि विश्वविद्यालय

राष्ट्रीय महत्ता की संस्थान के रूप में रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ना केवल बुंदेलखंड अपितु भारतवर्ष में शिक्षण, शोध एवं प्रसार के नए आयामों पर कार्य करते हुए किसानों के लिए महत्वपूर्ण तकनीक का विकास कर रही है । मुझे यह पूरी आशा है कि यह विश्वविद्यालय अपने उच्च मानकों को स्थापित करते हुए कृषि शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हब बनेगा। कृषि विश्वविद्यालय का मुख्य कार्य उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करना है तथा इसी दृष्टिकोण को अपनाते हुए कुलपति, डॉ. अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में नई परास्नातक एवं पीएचडी कार्यक्रमों को शुरूआत करते हुए विवि, कृषि क्षेत्र में नये उच्च शैक्षणिक सोपानों के साथ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।

विवि में अभी तक 24 राज्यों के छात्र-छात्राएं ले रहे हैं शिक्षा

ज्ञात हो कि इन सभी शिक्षण कार्यक्रमों में पूरे भारतवर्ष के विभिन्न 158 राज्यों के विद्यार्थी अखिल भारतीय स्तर पर भा. कृ. अनु. प. द्वारा लिए गए परीक्षा के माध्यम से प्रवेश लेते हैं। अब तक कुल तीन बैच (2018-2021) में 59 विद्यार्थियों ने उच्च शिक्षा की उपाधि प्राप्त की है एवं लगभग 158 छात्र-छात्राओं ने विभिन्न विषयों में उपाधियाँ प्राप्त की हैं। शोधार्थी इन विभिन्न विषयों पर शोध एवं उच्च मानक के शोध पत्र प्रकाशित करने के साथ बुंदेलखंड क्षेत्र के अनुकूल नई प्रजातियों एवं तकनीकों पर भी कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में अभी तक 24 राज्यों के छात्र-छात्रायें शिक्षा एवं 15 राज्यों के प्राध्यापकगण शैक्षिणक, शोध एवं प्रसार के माध्यम से कृषि जगत में नये-नये आयामों को स्थापित कर रहे हैं।

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