Jhansi: सरकार दे रही ग्रामीण पर्यटन व एग्री टूरिज्म को बढ़ावा, कुबेर का खजाना लेने वाला कोई नहीं
Jhansi News: पर्यटन विभाग कर रहा किसानों या किसान निवेशकों का इंतजार । मिलनी है 25 फीसदी की कैपिटल सब्सिडी ।
Jhansi News: झांसी समेत पूरे बुंदेलखंड में ग्रामीण पर्यटन और एग्री टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग के पास कुबेर का खजाना रखा है। करोड़ों नहीं अरबों रुपए हैं पर लेने वाला कोई नहीं है। पर्यटन विभाग द्वारा साल भर से किसानों का इंतजार किया जा रहा है। पर किसान इसके लिए साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि सरकार इसके लिए 10 लाख रुपए से 10 करोड़ के कार्य पर 25 प्रतिशत की सब्सि़डी दे रही है। वहीं 11 करोड़ से 50 करोड़ रुपए तक के कार्य पर 20 प्रतिशत की सब्सिडी का प्रावधान है। महिलाओं और एससी/एसटी आवेदकों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सि़डी दी जाएगी। परंतु मामूली सी कागजी कार्यवाहियां भी लोग पूरी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण और आकर्षक पर्यटन स्कीम फलीभूत नहीं हो पा रही है।दरअसल, सरकार द्वारा ग्रामीण स्तर पर पर्यटन व फूड टूरिज्म को बढ़ावा देने की पहल की गई है। झांसी में ग्रामीण पयर्टन की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। देसी और विदेशी पर्यटक गांव में ठहर सकें। आकर बुंदेलखंड की सभ्यता और संस्कृति को करीब से समझ सकें। बुंदेली खानपान और ग्रामीण रहन-सहन को भी समझने का मौका पर्यटकों को मिलेगा। झांसी में हो रही ऑर्गेनिक खेती भी पर्यटक करीब से देख पाएंगे।
ग्रामीण टूरिज्म या एग्री टूरिज्म से जुड़ने वाले किसानों को पर्यटन विभाग द्वारा कई प्रकार की सुविधाएं भी दी जाएंगी। जो लोग इस स्कीम के तहत काम शुरू करेंगे उन्हें 25 फीसदी की कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी। इसके साथ ही डेवलपमेंट फीस और लैंड कन्वर्जन चार्ज में 100 फीसदी की छूट दी जाएगी। पर्यटन विभाग द्वारा इस सुविधा का प्रचार-प्रसार भी कर रहा है। बताया गया कि इस योजना के तहत 100 किसानों को इस सुविधा का लाभ दिया जाएगा। पर्यटन विभाग द्वारा बाकायदा इन किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
कुछ लोगों ने किया आवेदन, अनिवार्य डॉक्युमेंट
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्ति ने बताया कि झांसी में ग्रामीण टूरिज्म और एग्री टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। दो-तीन लोगों ने आवेदन किया है। इनमें बरुआसागर के जरायमठ के समीप, अंबावाय, गढ़मऊ के अलावा रानीपुर में भी काम हो रहा है। दरअसल, रजिस्ट्रेशन के बाद जीएसटी सहित कुछ डॉक्युमेंट अनिवार्य हैं। ऐसे में किसान या निवेशक अनिवार्य डॉक्युमेंट पूर्ण करने में जुटे हैं।