Jhansi News: अपने बच्चे की सेहत का ऐसे रखें ध्यान, जन्मजात हार्ट डिजीज़ का हो सकता है सफल इलाज
Jhansi News: जन्मजात डिफेक्ट्स वाले मामलों में से करीब 30 फीसदी गंभीर मामले होते हैं जिन्हें जल्दी इलाज की आवश्यकता रहती है।
Jhansi News: जन्मजात हार्ट डिफेक्ट्स यानी वह परेशानी जो बच्चे के दिल के अंदर पैदाइशी होती हैं। भारत में हर 125 बच्चों में से 1 बच्चा इस तरह के डिफेक्ट के साथ पैदा होता है। बच्चों में जो पैदाइशी समस्याएं होती हैं, उनमें हार्ट डिफेक्ट्स काफी आम है। यह बात यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल झाँसी में इंटरवेंशन एंड पीडिएट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग में कंसल्टेंट डॉक्टर योगेश द्विवेदी ने कही है।
इंटरवेंशन एंड पीडिएट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग में कंसल्टेंट डॉक्टर योगेश द्विवेदी ने बताया है कि स्वास्थ्य के प्रति जानकारी का अभाव इस तरह की बीमारियों का एक बड़ा कारण बनता है और भारत में जन्मजात हार्ट डिफेक्ट्स के कारण बच्चों की मृत्यु दर 10 फीसदी है। इन बच्चों में ज्यादातर की कंडीशन ऐसी होती है कि उनका इलाज किया जा सकता है और लंबे समय तक वो ठीक रह सकते हैं। जन्मजात डिफेक्ट्स वाले मामलों में से करीब 30 फीसदी गंभीर मामले होते हैं जिन्हें जल्दी इलाज की आवश्यकता रहती है।
बच्चे के अंदर कैसे पहचान करें माता-पिता?
ब्लू बेबीज नीलापन, हार्ट डिजीज का बहुत ही बड़ा इंडिकेटर होता है, जिन बच्चों के अंदर नीलापन होता है, आमतौर पर उन्हें जन्मजात हार्ट डिफेक्ट की गंभीर शिकायत रहती है। नीले बच्चे ज्यादातर समय साइनोटिक स्पेल्स के एपिसोड से ग्रस्त होते हैं जिससे नीलेपन में वृद्धि होती है, साथ ही इससे सांस लेने की गहराई और दर में वृद्धि होती है, जिससे लंगड़ापन, ऐंठन या बेहोशी होती है।
बार-बार चेस्ट इंफेक्शन
चेस्ट में बार-बार इंफेक्शन बच्चे के अंदर हार्ट डिजीज का कारण हो सकता है। कॉमन कोल्ड, हल्की खांसी या खराश हार्ट डिजीज से संबंधित नहीं होते हैं। चेस्ट इंफेक्शन में आमतौर पर बुखार, फास्ट ब्रीदिंग और चेस्ट की ड्राइंग होती है और इसे ठीक करने के लिए आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत होती है।
स्तनपान करने में समस्या
जब बच्चा एक ही बार में स्तनपान न कर पाए, खासकर पसीने की कंडीशन में हो तो ये जन्मजात हार्ट डिजीज का शुरुआती संकेत हो सकता है, अगर बच्चा पांच मिनट तक स्तन से दूध चूस न पाए और फीड के दौरान उसका सांस फूल जाए तो ये भी लक्षण हो सकते हैं।
गलत तरीके से वजन बढ़ना
जो बच्चे जन्मजात हार्ट डिजीज से ग्रसित होते हैं वो ठीक से मां का दूध नहीं पी पाते हैं, और इससे उनका गलत ढंग से वजन बढ़ जाता है। डिफेक्ट वाले बच्चों का मेटाबॉलिक रेट हाई होता है, स्तनपान में समस्या के कारण उन्हें ज्यादा कैलोरी की जरूरत पड़ती है, और गलत तरीके से स्तनपान की वजह से उनका वेट गेन भी गलत तरीके से होता है। इसके अलावा बार-बार चेस्ट में इंफेक्शन से और वजन कम हो जाता है।
परिश्रम और थकान
अगर 3-4 साल का बच्चा खेल के दौरान खकान महसूस करता है या उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती है, एक्सरसाइज में दिक्कत रहती है, जल्दी थकान महसूस करता है, तो इन संकेतों को नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
समय पर इलाज स्वस्थ जीवन की कुंजी होती है
अगर बच्चे में जन्मजात हार्ट डिजीज निकल आए तो मा-बाप परेशान न हों। कार्डियक साइंस के क्षेत्र में हाल में काफी प्रगति हुई है, जिनकी मदद से इलाज पूरी तरह से संभव है और बच्चा स्वस्थ जीवन की तरफ आगे बढ़ सकता है, जिन बच्चों या एडल्ट में जन्मजात हार्ट डिजीज की समस्या हो, उन्हें डॉक्टर को लगातार दिखाते रहना चाहिए। हालांकि, जन्मजात हार्ट डिजीज के कारणों का अबतक पता नहीं लग पाया है, लेकिन कुछ स्टडीज बताती हैं कि क्रोमोसोम्स में बदलाव या जेनेटिक डिफेक्ट की वजह से ये समस्या हो सकती है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन नेशनल बर्थ डिफेक्ट प्रीवेंशन स्टडी से पता चला है कि जिन महिलाओं को मोटापा होता है, डायबिटीज होती है या प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग करती हैं, उनके बच्चे हार्ट डिजीज के साथ पैदा होने का खतरा रहता है. कुछ सावधानियां बरतकर बच्चों को इन परेशानियों से बचाया जा सकता है। हेल्दी डाइट लें, डायबिटीज को कंट्रोल करें, स्मोकिंग न करें, प्रेग्नेंसी के दौरान फॉलिक एसिड का सेवन करें।
ये डिफेक्ट्स इलाज योग्य हैं
फेटल इकोकार्डियोग्राफी जैसी तकनीक की मदद से कुछ जन्मजात हार्ट डिजीज का बच्चे के जन्म से पहले भी पता लगाया जा सकता है। ये डिफेक्ट्स इलाज योग्य हैं। पिछले तीन दशकों में जन्मजात हार्ट डिजीज के इलाज से जुड़ी तकनीक में भारत में काफी तरक्की हुई है। कई अस्पतालों में बच्चों और जन्मजात हार्ट डिजीज का इलाज किया जा रहा है। यहां तक कि गंभीर हार्ट डिजीज से ग्रसित नवजात बच्चों का भी सफलता के साथ इलाज किया जा रहा है। लोगों को इस तरह की तकनीक के बारे, इलाज की सुविधाएं और इनसे आने वाले अच्छे रिजल्ट के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।