Jhansi News: इनामी बदमाशों को पकड़ने वाली पुलिस की एक करोड़ रुपये की कमाई, खाता फिर भी शून्य.... यह है खेल
Jhansi News: योगी सरकार के आठ साल में झांसी की पुलिस ने 521 इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया है। इनकी गिरफ्तारी के लिए दस हजार से पचास हजार रुपये तक का इनाम घोषित था। यह इनाम मिलती तो है पर सिर्फ कागजों में और रकम वर्चुअल में।;
इनामी बदमाशों को पकड़ने वाली पुलिस की एक करोड़ रुपये की कमाई, खाता फिर भी शून्य (photo: social media )
Jhansi News: आमतौर पर पुलिस मुठभेड़ में बदमाशों को पकड़ती है तो यह बात भी सामने आती है कि अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस को एसएसपी ने पांच हजार या दस हजार या कभी-कभी एक लाख रुपये का इनाम दिया। लेकिन सवाल उठता है कि यह रकम पुलिस वालों को मिलती है। जवाब है, सामान्यतः नहीं। झांसी परिक्षेत्र में भी यही हाल है। आंकड़े देखें तो पुलिस वालों को बदमाशों को पकड़ने के लिए एक करोड़ रुपये मिलने चाहिए, लेकिन मिला एक रुपये भी नहीं।
योगी सरकार के आठ साल में झांसी की पुलिस ने 521 इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया है। इनकी गिरफ्तारी के लिए दस हजार से पचास हजार रुपये तक का इनाम घोषित था। पूरी रकम को जोड़ लिया जाए यह तकरीबन एक करोड़ रुपये तक बनती है। हालांकि यह इनाम मिलती तो है पर सिर्फ कागजों में और रकम वर्चुअल में। हालांकि कागजी और वर्जुअल इनाम मिलने के बाद भी पुलिसवालों में इनामी बदमाश पकड़ने की चाह कम नहीं होती है। वजह सर्विस बुक में दर्ज होने वाली यह रकम उनके करियर में काफी अहम भूमिका निभाती है।
योगी सरकार में बढ़ी इनाम की रकम
योगी सरकार जब से आई है उन्होंने इनाम की राशि बढ़ा दी है। 25 हजार तक इनाम घोषित करने का अधिकार एसएसपी को दिया गया है। तो वहीं परिक्षेत्र स्तर पर डीआईजी पचास हजार तक का इनाम घोषित कर सकते हैं। उसके अलावा एक लाख तक का इनाम जोन स्तर पर एडीजी तो ढाई लाख तक डीजीपी और उससे ज्यादा का इनाम शासनस्तर से घोषित किया जा सकता है। जबकि पहले इनाम की राशि काफी कम थी।
17 माह में 18 इनामी पकड़े गए, 30 क्रिमिनल का किया हाफ् इनकाउंटर
उपनिरीक्षक जितेंद्र सिंह तक्खर को एसओजी प्रभारी बनाया गया। इन कार्यकाल में सत्रह माह गुजर चुके हैं। सत्रह माह में इस टीम ने 18 इनामी बदमाशों को गिरफ्तार किया है। इनमें बीस-बीस हजार के दो बदमाश, बाकी बदमाशों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित था। इसके अलावा करीब 30 हाफ इनकाउंटर किया है। इनमें भी अच्छा खासा इनाम घोषित था। इस टीम को 17 माह के दौरान करीब सात लाख का इनाम मिलना चाहिए, मगर नहीं मिला है। वह अभी तक कागजातों में सीमित है।
अतीक के बेटा असद, गुलामी व कालिया को मुठभेड़ में मारा गया था
18 नवंबर 2023 में हत्या और अपहरण के कई मामलों में वांछित खूंखार बदमाश कानपुर के थाना चकेरी क्षेत्र के चिश्ती नगर में रहने वाले राशिद उर्फ कालिया को मऊरानीपुर थाना क्षेत्र के सितौरा रोड के पास मुठभेड़ में मार गिराया था। इस पर एक लाख 25 हजार का इनाम था। राशिद पर झांसी से पच्चीस हजार का इनाम था। इसी साल 13 अप्रैल 2023 में उमेश पाल की हत्या में वांछित चल रहे अतीक अहमद का बेटा असद और एक साथी गुलामी को एसटीएफ और झांसी पुलिस ने पारीछा के पास पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया था। इन दोनों पर पांच-पांच लाख का इनाम घोषित था।
अतीक के बेटा असद व गुलाम इनामी बदमाश है। लोगों को यही लगता है कि अतीक के बेटा असद व गुलाम को जो भी पकड़ेगा वह पांच-पांच लाख रुपये का इनाम पा जाएगा। पर यह सच्चाई नहीं है। इनाम तो मिलेगा लेकिन सिर्फ कागजों में। यानि असद को जो टीम पकड़ेगी उसमें पहले रैंक के हिसाब से इनाम का बंटवारा होगा और पुलिस कप्तान के ऑफिस में स्थित रिवार्ड रजिस्टर पर इसे चढ़ा दिया जाएगा। रजिस्टर यह बताएगा कि फलां व्यक्ति को इतनी रकम रिवार्ड (इनाम) के रुप में दिया जा रहा है। हालांकि असल में यह रकम वर्चुअल ही रहेगी। यानी एेसी रकम जिससे शोभा तो बढ़ा सकते हैं पर कभी खर्च नहीं कर सकते हैं। पिछले आठ साल के आंकड़ों पर गौर करें तो सिर्फ क्राइम ब्रांच ने ही रिवार्ड भरा है। सूत्रों का कहना है कि इनाम की रकम सर्विस बुक में चढ़ जाती है। एक साल बाद वह गुडवेल एंट्री में बदल जाती है। पर वास्तव में हाथ में एक फूटी कौड़ी भी नहीं आती है।
सर्विस बुक में वर्चुअल इनाम से खुश हैं पुलिस वाले
लेखा विभाग अगर कहता है कि पुलिस कर्मी इनाम के लिए आवेदन ही नहीं करते हैं तो यह समझना चाहिए कि पेशी में स्थित आरआर (रिवार्ड रजिस्टर) में इनाम पाने वाले के नाम की एंट्री होती है। यह रजिस्टर सर्विस बुक की एंट्री करने वाले क्लर्क के पास जाती है जिससे सर्विस बुक में रिवार्ड की एंट्री होती है। अगर पैसा मिलना हो तो इसी रजिस्टर से लेखा विभाग से भी रुपये जारी हो सकते हैं। इनाम की रकम लेने के लिए पुलिसवालों को कागजी प्रक्रिया करनी होती है। उन्हें एकाउंट विभाग में आवेदन करना होता है। इसके लिए इनामी बदमाश को गिरफ्तार करने वाली फर्द में शामिल पुलिस वालों का इनाम की रकम में रैंक के हिसाब से हिस्सा बंटता है। विभाग प्रभारी से लेकर कप्तान तक से हस्ताक्षर कराने के बाद उसे हस्ताक्षर कराने के बाद उसे एकाउंट विभाग में दाखिल किया जाता।