Jhansi News: राजनीतिक दलों ने व्यापारियों को महज वोट बैंक समझाः संजय पटवारी

महानगर में व्यापारिक कार्यों से जुड़े लगभग ढाई लाख मतदाताओं के हितों की बात किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं की। उन्हें महज वोट बैंक समझा है।

Report :  B.K Kushwaha
Update:2024-04-26 11:30 IST

राजनीतिक दलों ने व्यापारियों को महज वोट बैंक समझाः संजय पटवारी (न्यूजट्रैक)

Jhansi News: महानगर में व्यापारिक कार्यों से जुड़े लगभग ढाई लाख मतदाताओं के हितों की बात किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं की। उन्हें महज वोट बैंक समझा है। चुनाव में आम तौर पर जातीय समीकरणों के आधार पर तमाम वायदे किए जाते हैं पर व्यापार और व्यापारिक कार्यों से जुड़े लोगों के हित की बात नहीं की जाती है। ऐसे में व्यापारी निराश है। सरकार किसी की भी हो व्यापारी हमेशा उपेक्षित ही रहा है।

यह दर्द उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी ने साझा किया। उनका कहना है कि यदि बुंदेलखंड की जनता के साथ व्यापारियों का वास्तव में भला करना है तो मोदी सरकार को बुंदेलखंड के लिए विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए। यानि बुंदेलखंड को टैक्स फ्री जोन बनाया जाना चाहिए, ऐसा करने से जनता को प्रत्यक्ष रूप से राहत मिलेगी साथ ही व्यापार को भी फलने-फूलने का अवसर मिलेगा। एक सवाल के जवाब में संजय पटवारी ने कहा कि पूर्व में उत्तर प्रदेश में व्यापारियों से गुंडा टैक्स की वसूली की जाती थी। व्यापारी आतंक और भय के साये में व्यापार करता था, लेकिन अब वह स्थिति नहीं है।

व्यापारी भयमुक्त तो है परंतु जीएसटी की जटिलता से परेशान है। व्यापारी नेता का कहना है कि झांसी महानगहर में 40 हजार से ज्यादा व्यापारी हैं। यदि इनके कर्मचारियों और परिवारजनों को जोड़ लिया जाए तो यह कम से कम ढाई लाख मतदाता हैं। इतनी बड़ी संख्या में होने के बाद भी व्यापारिक कार्यों से जुड़े लोग राजनीतिक दलों और सरकारों से सदैव उपेक्षित रहे हैं। राजनीतिक दलों को अब भी व्यापारियों की संख्या और ताकत को पहचाननी चाहिए और व्यापारियों के हित के कार्य करने चाहिए। इसकी वजह है कि यदि बुंदेलखंड का व्यापार उन्नत होगा तो इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े लोगों को भी फायदा होगा।

बिजौली इंडस्ट्रियल एरिया के बंद पड़े उद्योगों की रजिस्ट्री निरस्त करें

उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी का कहना है कि डिफेंस कॉरीडोर के बाद अब बीडा की चर्चाएं जोरों पर हैं। परंतु बीते वर्षों में मृतप्रायः हो चुके बिजौली इंडस्ट्रियल एरिया की कोई बात नहीं कर रहा है। यहां तमाम उद्योग बंद हैं। बाहर के लोगों ने यहां फैक्ट्री के नाम पर जमीनें लेकर डाल दी थीं, धरातल पर कुछ नहीं किया। सरकार को यदि बुंदेलखंड में रोजगार के अवसर पैदा करने हैं तो बिजौली इंडस्ट्रियल एरिया में बंद पड़ी फैक्ट्रियों की रजिस्ट्रियां निरस्त करके वह जमीन स्थानीय व्यापारियों को अलॉट की जानी चाहिए।

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