Jhansi News: मधुमक्खी पालन तकनीक का हब बनेगा रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विवि
Jhansi News: रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में मधुमक्खी पालन आज न सिर्फ सतत आय का जरिया बन रहा है बल्कि क्षेत्र विशेष में विपरीत जलवायु एवं मौसम की परिस्थितियों में भी अपनी सार्थकता सिद्ध कर रहा है।;
Jhansi News (Pic:Newstrack)
Jhansi News: रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में मधुमक्खी पालन आज न सिर्फ सतत आय का जरिया बन रहा है बल्कि क्षेत्र विशेष में विपरीत जलवायु एवं मौसम की परिस्थितियों में भी अपनी सार्थकता सिद्ध कर रहा है। निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ. एसएस सिंह ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय मधुमक्खी पालन में तकनीकी हब के रूप में विकसित होने की ओर कार्यान्वित है। विभिन्न राजकीय एवं केंद्रीय एजेंसियों के द्वारा मंजूर किए गए परियोजनाओं जैसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत बुंदेलखंड के कृषको एवं ग्रामीण युवाओं को मधुमक्खी पालन की ओर आकर्षित कर रही है।
विश्वविद्यालय के इस पहल से मधुमक्खी पालन इकाई की स्थापना की गई है जिसके अंतर्गत 20 से भी ज्यादा कार्यान्वित बक्से बनाए गए हैं। मधुमक्खी उत्पादन से प्राप्त होने वाले उत्पाद जैसे शहद की मांग ग्रामीण एवं शहरी ग्राहक के मध्य अधिक है साथ ही साथ अन्य उत्पाद जैसे रॉयल जेली, मोम, रानी मधुमक्खी का उत्पादन, परागकण, प्रोपोलिस आदि की मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी ज्यादा है।
मधुमक्खी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाकर इन उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी आसानी से बेचा जा सकता है। मधुमक्खी सलाहकार डॉ. हरी चंद ने बताया कि विश्वविद्यालय में मैलीफेरा मधुमक्खी के सफल सथापन के बाद सरसों मधु निकालने का कार्य प्रगति पर है। बुंदेलखण्ड के किसानों के लिए शुभअवसर है कि मधु निकालने के साथ सरसों फसल की पैदावार बढ़ाने में सक्षम होंगे। डॉ सुंदर पाल ने कहा कि विवि द्वारा करीब 300 किसानों को मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण की दे चुका है।
मधुमक्खी पालन पर निरंतर चल रहा शोध
मधुमक्खी पालन पर निरंतर शोध चल रहा है परिणामस्वरूप कृषक नवीनतम तकनीकों से परिचित होंगे। कृषि वैज्ञानिक डॉ. उषा ने बताया कि गत वर्ष विश्वविद्यालय में छः बार मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसमें जिला झाँसी, ललितपुर, दतिया, महोबा, जालौन के 53 ग्रामों के लगभग 300 किसान लाभान्वित हुए हैं। विवि में परियोजना के अर्न्तगत प्रशिक्षण कक्ष, प्रयोगशाला एवं मधु प्रसंस्करण इकाई की भी स्थापना की जा रही है। जिसका लाभ बुंदेलखण्ड के किसानों, महिलाओं एवं युवकों को मिलेगा।