Jhansi News: घी से कम नहीं है बुंदेलखंड के तिल का तेल

Jhansi News: तिल की खेती में लागत बहुत कम, भरपूर मुनाफा, जोखिम भी ज्यादा नहीं । खरीफ में लगभग सवा लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में होगी तिल की खेती।

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-08-24 09:55 GMT

घी से कम नहीं है बुंदेलखंड के तिल का तेल   (photo: social media )

Jhansi News: बुंदेलखंड के तिल का तेल गुणवत्ता और कीमत में घी से कम नहीं है। जहां कम पानी और लगभग सूखे की स्थिति से किसान परेशान रहते हैं ऐसे में कृषि विभाग ने इस आपदा में भी अवसर ढूंढ लिए हैं। चूंकि, तिल की खेती के लिए बहुत ज्यादा सिंचाई करने की जरूरत नहीं है। यह बरसात के पानी में ही हो जाती है । इसे खाद और अन्य खर्चों की भी जरूरत नहीं पड़ती है।

एक एकड़ में मात्र 150 रुपए की एक किलोग्राम तिल के बीज की बुवाई करने से दो से ढाई सौ गुना यानि लगभग दो से ढाई कुंतल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यानि 30 से 40 हजार रुपए की तिल ली जा सकती है। इसमें से लगभग डेढ़ कुंतल तेल प्राप्त किया जाता है, जिसकी बाजार में लगभग 50से 60 हजार रुपए कीमत होती है। साथ ही 150 किलोग्राम खली भी मिल जाती है। यह देखते हुए बुंदेलखंड में तिल की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे यहां के किसानों की आर्थिक दशा में सुधार हो सके।

कृषि विभाग ने खरीफ फसलों की बुआई की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिये विभाग ने फसलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। अबकी बार सबसे अधिक तिल की बुआई पर जोर रहेगा। इस बार औसत से भी कम बरसात होने का अनुमान लगाया गया है, इसी के हिसाब से खरीफ फसलों की बुआई का लक्ष्य बनाया गया है। जिले में कुल 2,50 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई का लक्ष्य निर्धरित किया गया है।

वर्ष 2023-24 खरीफ में तिल का रकबा

जिला कृषि अधिकारी के के मिश्रा ने बताया कि जनपद में वर्ष 2023-24 खरीफ में तिल का रकबा 1 लाख 8 हजार 205 हेक्टेयर था। उत्पादन 30094 मीट्रिक टन प्राप्त हुआ था। उत्पादकता 2.78 कुंतल प्रति हेक्टेयर पायी गई थी। जिसको देखते हुए इस बार तिल का रकबा कुल सर्वाधिक 1 लाख 14 हजार 502 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। वहीं उत्पादन का लक्ष्य भी बढ़ाकर 35743 मीट्रिक टन निर्धारित किया है।

आमतौर पर बाजार में सोयाबीन का तेल 125 रुपए प्रति किलो, सरसों का तेल 150 से 200 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है वहीं तिल का तेल बाजार में लगभग 400 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है। इसके अलावा भोजन या अन्य खाद्य व्यंजनों में उपयोग के लिए तिल को बाजार में 10 हजार रुपए प्रति कुंतल की दर से बेचा जाता है। तिल के कई औषधीय उपयोग भी हैं जिससे इसकी मांग साल भर बनी रहती है।

तिल बुन्देलखण्ड की परंपरागत फसलों में से एक है। बुन्देलखण्ड में होने वाली अनियमित वर्षा एवं सूखाग्रस्त परिस्थतियों के अनुसार तिल की खेती लाभकारी है क्योंकि इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है। तिल खरीफ के मौसम में होने वाली ऐसी लाभकारी फसल है, जिसको छुट्टा मवेशी एवं अन्य पशु अपेक्षाकृत कम खाते हैं।

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