Jhansi News: बारिश सिर पर, खरीद केंद्र में खुले में रखीं गेहूं की बोरियां

Jhansi News: मालूम हो कि इस वर्ष 99 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके सापेक्ष जैसे-तैसे 25 हजार मीट्रिक टन खरीद की गई। गर्मी भर गेहूं का खरीद की जाती रही।

Report :  Gaurav kushwaha
Update:2024-06-14 11:46 IST

गेहूं क्रय केंद्र (Pic: Newstrack)

Jhansi News: शासन द्वारा गेहूं खरीद के लक्ष्य की पूर्ति करने में नाकाम रहने के बाद अब गेहूं के सुरक्षित भंडारण और वर्षा से बचाने की टेंशन समितियों और खरीद केंद्रों के सामने हैx। हालांकि, खरीद लक्ष्य को भी बहुत हल्के में लेते हुए चुटकियों में पूर्ति करने का दावा करने वाली समितियां और विभाग किसानों को खरीद केंद्रों तक लाने में नाकाम रहे। वहीं बीते वर्षों में बारिश से गेहूं के भीगने की घटनाओं के बाद यह चुनौती भी सामने है। गौर करने वाली बात तो यह है कि हर बार खरीद के समय बारदाना की कमी और बारिश होने पर तिरपाल की कमी बताई जाती रही है।

मालूम हो कि इस वर्ष 99 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके सापेक्ष जैसे-तैसे 25 हजार मीट्रिक टन खरीद की गई। गर्मी भर गेहूं का खरीद की जाती रही। अब वर्षाकाल प्रारंभ होने वाला है, ऐसे में खरीदे गए हजारों कुंतल गेहूं की बारिश से गेहूं को बचाने के लिए तिरपाल या प्लास्टिक की काली शीट के इंतजाम समितियों द्वारा किए जाने लगे हैं। वहीं किसान भी अपने घरों में रखे गेहूं के सुरक्षित भंडारण में जुटे हुए हैं।

झांसी मंडी सचिव, बबलू लाल गेहूं की खरीद के बाद गेहूं का सुरक्षित भंडारण किया गया है। गेहूं को शेड के नीचे रखा गया है। ऐसे में बारिश से भीगने की कोई संभावना नहीं है।

झांसी डिप्टी आरएमओ एफसीआई, नमन पांडेय ने कहा कि गेहूं का गोदामों में अब तक 24500 मीट्रिक टन गेहूं का सुरक्षित भंडारण किया जा चुका है। अभी जून माह का खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है। जल्द ही बाकी का भंडारण भी हो जाएगा।

25 प्रतिशत उपज हो जाती है नष्ट

भारत जैसे विकासशील देश में अनाज के कुल उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत भाग नष्ट हो जाता है। इसमें खरीद केंद्रों पर खुले में रखा गेहूं बारिश से भीग जाता है या फिर गोदाम में चूहे, फफूंद या सीलन की वजह से खराब हो जाता है। इसके बाद इस खराब गेहूं के मूल्याकंन के बाद पशु आहार बनाने वाली कंपनियों को रद्दी के भाव बेच दिया जाता है।

किसान करें सुरक्षा के उपाय

नये अनाज को अच्छी तरह से सुखाएं ताकि अनाज में 10 प्रतिशत से ज्यादा नमी न रहे, इसके बाद ही भण्डारण करें। सुखाने के लिए काली प्लास्टिक की चादर का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि काले रंग की प्लास्टिक की चादर अधिक धूप अवशोषित करती है। जिससे अनाज को जल्दी सूखने में मदद मिलती है। अनाज भंडारण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई पूसा कोठी को प्रयेाग में लाना चाहिए। अनाज संग्रहण के लिए नई बोरियों का प्रयोग अच्छा होता है। परन्तु यदि पुरानी बोरियां प्रयोग करनी पड़े तो उनको 0.1 प्रतिशत मेलाथियान 50 ई.सी. (एक भाग दवा व 500 भाग पानी) के घोल में 10-15 मिनट भिगोएं तथा छाया में सुखा लें, तत्पश्चात् अनाज भरें। अनाज की भरी बोरियां सीधे जमीन व दीवार से सटाकर नहीं रखनी चाहिए। इन्हें लकड़ी के तख्तों व बांस की चटाई पर थोड़ी ऊंचाई पर रखना चाहिए। कोठी में अनाज पॉलीथिन में ढंककर बंद कर देना चाहिए ताकि अनाज में नमी न जा सके। अनाज का भण्डारण नीम की पत्तियों के साथ करना सबसे अच्छा होता है। नीम की निबौलियों के पाउडर एक भाग तथा 100 भाग अनाज को मिलाकर भंडारण करना चाहिए।

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