Jitin Prasad: ब्राह्मण वोट बैंक साधने के लिए भाजपा का बड़ा दांव है जितिन प्रसाद की ज्वाइनिंग

Jitin Prasad: यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने एक बड़ा दांव मारा है।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-06-09 08:21 GMT

बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Jitin Prasad: यूपी में एक बडे़ वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने एक बड़ा दांव मारा है । इस प्रदेश में पहले से ही कमजोर पड़ चुकी कांग्रेस (Congress)को मिले इस झटके का आगामी विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) में बड़ा नुकसान हो सकता है। जबकि भाजपा को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। पिछले साल कानपुर में विकास दुबे कांड (Vikas Dubey Kand) के बाद से ब्राह्मणों की एक गुट की नाराजगी देखी जा चुकी है। इसके अलावा विपक्ष भी ब्राह्मणों की उपेक्षा की बात समय समय उठाता रहा है। इसके बाद से भाजपा का प्रदेश नेतृत्व ब्राह्मण वोट बैंक (Brahmin Vote Bank) को लेकर काफी चितिंत बताया जा रहा था।

दरअसल, इस वोट बैंक के सहारे कई सालों तक सत्ता अपने हाथ में रखने वाली कांग्रेस से यह बड़ा वर्ग 1989 में मंदिर आंदोलन के बाद रूठ कर भाजपा के साथ हो गया, लेकिन भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग के चलते 2000 के आस-पास जब इस वर्ग को लगा कि उसकी उपेक्षा हो रही है, तो वह भाजपा से छिटक कर उससे अलग हो गया। लेकिन 2014 में मोदी का 'हिन्दुत्व' ब्राह्मणों को भा गया और यह वर्ग एक बार फिर भाजपा के साथ कदम से कदम मिला कर चल दिया। इसी के चलते भाजपा को केन्द्र और यूपी की सत्ता हासिल हुई।

ब्राह्मण नेता के तौर पहचाने जाते है जितिन प्रसाद

अब भाजपा को एक बार फिर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की चिंता सताने लगी है। उसे पता है कि बिना ब्राह्मणों को अपने पक्ष में किए 'उसका मिशन 2022' सफल नहीं हो सकता है। जितिन प्रसाद ने एक ब्राह्मण नेता के तौर पर उत्तर प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाई हैं। उत्तर प्रदेश में जब कई ब्राह्मणों की हत्या हुई है तो नवम्बर 2019 में उन्होंने अपनी ब्राह्मण चेतना यात्रा के दौरान पीड़ित परिवार के घर पहुंचे, जहां जाकर परिवार को सांत्वना देने के साथ ही उनकी मदद भी की।

ब्राह्मणों की हत्या 

उल्लेखनीय है कि उस साल 9 अक्टूबर को बस्ती में छात्रनेता आदित्य तिवारी की हत्या हुई। 12 अक्टूबर को झांसी में आग लगाकर उदैनिया परिवार के 4 सदस्यो की हत्या कर दी गई। 18 अक्टूबर को राजधानी लखनऊ में हिन्दुवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद 19 अक्टूबर को मेरठ में अधिवक्ता मुकेश शर्मा की हत्या हुई। फिर दीपावली के दिन 28 अक्टूबर को कन्नौज में 20 वर्षीय अमन मिश्रा की हत्या कर दी गई। यहीं नहीं, 28 अक्टूबर को ही लखीमपुर खीरी में पत्रकार रमेश मिश्रा की हत्या कर दी गई। 29 अक्टूबर को अमेठी में पुलिस हिरासत में सत्य नारायण शुक्ला की मौत हो गई थी। इन सभी घरों में जितिन प्रसाद पहुंचे थे।

इसके अलावा दूसरी तरफ कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद पिछले काफी समय से कांग्रेस की नीतियों पर लगातार सवाल उठाते आए हैं। पश्चिम बंगाल में मिली कांग्रेस को करारी हार पर उन्होंने इसके लिए आईएसएफ के साथ गठबंधन को दोषी बताया था। आईएसएफ (भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा) का गठन फुरफुरा शरीफ के मौलवी अब्बास सिद्दीकी ने किया था, जिसके साथ वाम दलों ने गठबंधन किया, जबकि कांग्रेस, वाम दलों के साथ गठबंधन में थी।

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