Kannauj News: हर दिन बढ़ रहा भक्तों का कारवां, बह रहीं भक्तिरस की बयार
Kannauj News: मध्यप्रदेश से पधारे स्वामी आत्मानन्द गिरी जी अपनी मधुर वाणी से श्रोताओं को संगीतमय कथा का रसपान करा रहे हैं। साथ ही मंदिर परिसर में संतों के डेरे के साथ धार्मिक आयोजनों का भी दौर जारी है।;
Kannauj News: उत्तर प्रदेश के जनपद कन्नौज में सिद्धपीठ मां फूलमती देवी मंदिर में चल रहे शतचण्डी महायज्ञ व श्रीमद् भागवत कथा को लेकर इन दिनों इत्रनगरी में भक्तिरस की बयार बह रही है। मध्यप्रदेश से पधारे स्वामी आत्मानन्द गिरी जी अपनी मधुर वाणी से श्रोताओं को संगीतमय कथा का रसपान करा रहे हैं। साथ ही मंदिर परिसर में संतों के डेरे के साथ धार्मिक आयोजनों का भी दौर जारी है। हर दिन कथा पंडाल में भक्तों को कारवां भी बढ़ता जा रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा के क्रम में सोमवार को स्वामी आत्मानंद गिरी जी महाराज ने भगवान की कई लीलाओं वर्णन करते श्रोताओं को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। कथा प्रवचन के दौरान स्वामी जी ने श्रोताओं को भजन भी सुनाए। उन्होंने कहा कि भगवान सबके हैं,और हम सब भगवान के। प्रभु के दरबार में कोई बड़ा- छोटा नहीं होता है।सूर्यदेव किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। उनकी रोशनी सभी को एक समान ही मिलती है।सभी को जाति बंधन का भ्रम त्याग सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए। कथा के दौरान पंडाल में भक्तों का खासा हुजूम उमड़ा। शाम को कथा समापन के बाद पंडाल में संगीतमय सत्संग भी किया गया। जो देर रात तक चला रहा। सत्संग समापन के बाद प्रसाद वितरण भी किया गया।
भक्तों ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर कमाया पुण्य
फूलमती मंदिर में कथा के साथ शतचण्डी महायज्ञ का भी आयोजन चल रहा। यहां पर नैमिषारण्य धाम से पधारे यज्ञाचार्य पंडित राधेश्याम मिश्र की मंडली मंत्रोच्चारण के साथ हवन पूजन करवा रही। सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर पुण्य कमाया। कई श्रद्धालुओं में पहले परिक्रमा करने की होड़ भी देखने को मिली।
संत सम्मेलन में जुटे संत हुआ सम्मान
इन दिनों शहर के फूलमति मंदिर में देश के कोने-कोने से आईं संतों की टोलियां अपना डेरा जमाकर भागवत कथा का रसपान कर रही हैं। सोमवार मंदिर परिसर में बने कथा पंडाल में संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। पूरे पंडाल में भगवा रंग में रंगी संतों की टोलियां अनोखी छटा बिखेरती रहीं। देर रात तक प्रवचन के साथ भजन कीर्तन का दौर चलता रहा। बाद में मंदिर समिति ने संतों को सम्मान भी किया।