Kanpur Dehat: तीन परिवारों की अदावत में शहीद हो गई मां-बेटी, अगर न्याय किये होते अफसर तो न होती ये कहानी

Kanpur Dehat Fire Case: प्रशासन भी अब अपनी जांच में मान चुका है कि उस जमीन पर कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिवार का 100 सालों से कब्जा था।

Update: 2023-02-15 11:58 GMT

Kanpur Dehat Fire Case (Image:Newstrack, Ashutosh Tripathi) 

Kanpur Dehat Fire Case: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस-प्रशासन की बर्बर कार्रवाई ने एक झटके में एक गरीब परिवार को उजाड़ कर रख दिया। बड़े-बड़े कोठियों में रहने वाले नेता और अफसर के विपरित किस तरह एक गरीब परिवार की महिला ने अपनी जवान बेटी के साथ अपने आशियाने को बचाने के चक्कर में जान की बजा लगा दी। उस झोपड़ी में मैथा तहसील के मड़ौली गांव का पीड़ित दीक्षित परिवार वर्षों से रह रहा था।

प्रशासन भी अब अपनी जांच में मान चुका है कि उस जमीन पर कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिवार का 100 सालों से कब्जा था। लेकिन सत्ता के नशे में चूर जिले के भ्रष्ट अधिकारियों ने इस गरीब परिवार के जीवन को तबाह करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। वे अपने आंखों पर पट्टी बांध परिवार को वहां से बेदखल करने में लगे रहे। गांव के दबंगों ने अधिकारियों को अपनी जेब में रखकर दीक्षित परिवार को वहां से उखाड़ फेंकने की भरसक कोशिश की। लेकिन फिर भी कामयाब नहीं हुए।

तीन दीक्षित परिवारों की लड़ाई

कानपुर देहात अग्निकांड में एसडीएम और लेखपाल के अलावा गांव के दो अन्य दीक्षित परिवारों के सदस्य भी आरोपी बनाए गए हैं। इस पूरे विवाद की जड़ वो जमीन का टुकड़ा है, जिसपर कृष्ण गोपाल दीक्षित झोपड़ी टांगकर वर्षों से परिवार के साथ रहते थे। इस जमीन पर सालों से सिपाही लाल दीक्षित और गेंदा लाल दीक्षित का परिवार नजरें गड़ाए हुए था। सिपाही लाल का बेटा अशोक और अनिल दीक्षित और गेंदालाल का बेटा विशाल दीक्षित किसी भी सूरत में ये जमीन पीड़ित परिवार के कब्जे से खाली करवाना चाहता था। दोनों ही पीड़ित परिवार के पड़ोसी भी हैं। एफआईआर में इन सभी का नाम आरोपी के रूप में दर्ज किया गया है।

विशाल दीक्षित ने दर्ज कराई थी शिकायत?

गेंदालाल दीक्षित के पुत्र विशाल दीक्षित ने कृष्ण गोपाल दीक्षित पर ग्राम समाज की जमीन कब्जाने की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर लेखपाल ने अपनी जांच में आरोप को सही पाया और 14 जनवरी को जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार का मकान गिरा दिया था। कुछ दिनों बाद यानी 27 जनवरी को विशाल फिर से प्रशासन को एक लिखित शिकायत भेजता है, जिसमें अतिक्रमण के पूरी तरह से नहीं हटने की बात कही गई है। उसने खत में बताया गया कि सरकारी जमीन पर शिव मंदिर बनाने का काम चल रहा है। विशाल दीक्षित के इसी शिकायत पर 13 फरवरी को मैथा एसडीएम के नेतृत्व में कृष्ण गोपाल दीक्षित का घर गिराने टीम पहुंची थी। दरअसल, आरोपी विशाल की जमीन पीड़ित परिवार के घर के ठीक पीछे है। ऐसे में उसका जमीन मुख्य सड़क से काफी पीछे पड़ जाता है। इसलिए वह चाहता था कि इस जमीन पर से कब्जा हट जाए ताकि उसका खेत सड़क के सबसे नजदीक हो। इससे उसकी जमीन की कीमत स्वभाविक रूप से बढ़ जाती।

अशोक दीक्षित भी हड़पना चाहता था जमीन

विशाल दीक्षित के अलावा गांव का एक अन्य दीक्षित परिवार और पीड़ित कृष्ण गोपाल का पड़ोसी अशोक दीक्षित की भी जमीन पर नजर थी। वह पीड़ित परिवार को वहां से बेदखल कर जमीन को हड़पना चाहता था। उसने बकायदा लेखपाल को पैसा खिलाकर जमीन का पट्टा 10 साल पहले अपनी बहन के नाम पर करवा लिया था। अब अशोक जल्द से जल्द जमीन पर कब्जा चाहता था ताकि उसपर निर्माण कर सके लेकिन जमीन पर कब्जा होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाया था।

फरियाद करने पहुंचे परिवार पर लगा दिया केस

मिली जानकारी के मुताबिक, चार महीना पहले विशाल दीक्षित और अशोक दीक्षित ने उस सरकारी जमीन से कृष्ण गोपाल दीक्षित को हटाने की मुहिम तेज कर दी थी। इसे लेकर दोनों परिवारों का कृष्ण गोपाल के परिवार से मनमुटाव रहता था। विशाल और अशोक ने भ्रष्ट अफसरों के सहयोग से गरीब कृष्ण गोपाल के परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया था। 14 जनवरी की कार्रवाई पर विरोध दर्ज कराने कलेक्ट्रेट पहुंचे कृष्ण गोपाल दीक्षित ने जिलाधिकारी से समस्या बता जमीन न खाली कराने की गुहार लगाई थी। लेकिन प्रशासन ने उनकी मदद करने की बजाय उनके परिवार पर बलवा करने और धारा 144 का उल्लंघन करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी। इससे गरीब परिवार बेहद परेशान हो गया था।

पीड़ित परिवार को पांच बीघा जमीन मिलेगा

कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी और बेटी की जिंदा जलकर मौत होने के बाद कानपुर प्रशासन को उनके साथ अन्याय होने की बात समझ में आई है। कानपुर कमिश्नर राजशेखर ने विवादित जमीन पर पीड़िता परिवार का दावा मजबूत बताया है। उन्होंने कहा कि ये परिवार पात्र है इसे पांच बीघा जमीन आवंटित कराई जाएगी। इसके अलावा मकान भी दिया जाएगा।

एसडीएम पर कब होगी कार्रवाई ?

इस पूरे मामले में मैथा एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद शुरू से सवालों के घेरे में रहे हैं। कानपुर कमिश्नर राजशेखर ने भी एसडीएम और लेखपाल पर मनमानी करने के आरोप की पुष्टि की है। उनका कहना है कि अगर वे निष्पक्ष ढंग से कार्रवाई करते तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती और एक परिवार नहीं उजड़ता।

बता दें कि मैथा एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद पहले भी विवादों में रहे हैं। यहां तक कि अकबरपुर से लोकसभा सांसद देवेंद्र भोले उन्हें डीएम, एसपी समेत अन्य लोगों बीच में उन्हें बेईमान कह चुके हैं। ऐसे में योगी सरकार आरोपी एसडीएम के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है, इसका सभी को इंतजार रहेगा। 

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