Kanpur News: सैनिक का सबसे बड़ा धर्म यह हो जाता है कि मैं रहूं या ना रहूं, मेरा देश रहना चाहिए-राजनाथ सिंह

Kanpur News: रक्षा मंत्री ने कहा, एक सैनिक परिवार, जाति और पंथ जैसी सोच से कहीं ऊपर उठकर पूरे राष्ट्र के बारे में सोचता है। इन सब का अस्तित्व इस राष्ट्र के अस्तित्व से है। सशस्त्र बल वेटरन्स दिवस 2024 के कार्यक्रम में पहुंचे थे रक्षा मंत्री।

Report :  Anup Pandey
Update: 2024-01-14 14:48 GMT

Defense Minister Rajnath Singh (Pic: Newstrack)

Kanpur News: रविवार को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कानपुर स्थित एयर फोर्स स्टेशन सशस्त्र बल वेटरन्स दिवस 2024 के कार्यक्रम में पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह किसी संयोग से कम नहीं है कि हम अपने पूर्व सैनिकों के सम्मान के लिए कानपुर जैसी जगह पर एकत्र हुए हैं। इतिहास की श्रेणी में कानपुर अपना एक अलग ही स्थान रखता है। 1857 में पेशवा नाना साहेब ने कानपुर के बिठूर से ही विद्रोह का नेतृत्व किया था।

पिछले जन्मों के कुछ संचित पुण्य होंगे

जब केंद्र में हमारी सरकार आई तो देश के गृह मंत्री के रूप में और विशेष कर रक्षा मंत्री के रूप में तो सशस्त्र बलों के साथ मेरा बड़ा आत्मीय नाता रहा। मेरे पिछले जन्मों के कुछ संचित पुण्य होंगे कि मुझे हमारे सैनिकों के साथ इतना आत्मीय संबंध बनाने का मौका मिला। आज veteran's day के अवसर पर मैं कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से अपने सभी पूर्व सैनिकों को, देश की उनकी सेवा के लिए नमन करता हूं। 


वेटरेनस के सम्मान के साथ-साथ अपनापन भी आ जाता है

मुझे स्वयं भी कई बार जब विदेशी दौरों पर जाने का अवसर मिलता है तो मैं वहां भारतीय सैनिकों के साथ-साथ विदेशी सैनिकों के मेमोरियल में भी जाता हूं। हम किसी भी योद्धा का सम्मान करते हैं। बात जब भारतीय वेटरन्स की आती है तो उनके लिए सम्मान के साथ-साथ अपनापन भी आ जाता है।

मैं रहूं या ना रहूं, मेरा देश रहना चाहिए

कभी एक सैनिक के नजरिये से सोचें, तो हमें देश के प्रति उनके इमोशन की गहराइयों में उतरने का मौका मिलेगा। सेना का कोई जवान कारगिल की चोटियों पर, तो नेवी का कोई जवान हिंद महासागर की गहराइयों में हमारी सुरक्षा, तो वहीं कोई एयर वारियर हमारे वायु क्षेत्र की सुरक्षा कर रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि उस सैनिक का सबसे बड़ा धर्म यह हो जाता है कि मैं रहूं या ना रहूं, मेरा देश रहना चाहिए। एक सैनिक परिवार, जाति और पंथ जैसी सोच से कहीं ऊपर उठकर पूरे राष्ट्र के बारे में सोचता है। इन सब का अस्तित्व इस राष्ट्र के अस्तित्व से है। 


अपना देश सैनिकों को अकेला नहीं छोड़ने वाला

अपना देश किसी भी मुसीबत में सैनिक को अकेला नहीं छोड़ने वाला। उसे यह लगे कि उससे पहले जो लोग सैनिक रह चुके हैं, और उन्होंने राष्ट्र के लिए जो अपना सब कुछ समर्पित किया।

हम उन सैनिक के साथ तथा उसके परिवार के साथ, ऐसा व्यवहार करें कि आने वाली कई पीढियों तक, जब भी कोई व्यक्ति सैनिक बने, तो उसके मन में यह भाव रहे, कि यह देश उसे अपना परिवार मानता है।

हमने पूर्व सैनिकों का विशेष ध्यान दिया

रक्षा मंत्री ने कहा कि जब से हम सरकार में आए हैं, तब से हमने पूर्व सैनिकों पर विशेष ध्यान दिया है। चाहे वह वन रैंक वन पेंशन लागू करने की बात हो या फिर उनके लिए हेल्थ केयर कवरेज करने की बात हो, उनके तम-मउचसवलउमदज की बात हो, या फिर समाज में उनके सम्मान की बात हो, हम लगातार अपने वेटरेनस का ख्याल रखने की ओर और ज्यादा समर्पित होते जा रहे हैं।

यह देश ईश्वर को रक्षक का दर्जा देता है

जीवन की रक्षा करने वाले डॉक्टरों को हमारे यहां भगवान का रूप माना गया है। यदि ईश्वर हमारा रक्षक है, डॉक्टर ईश्वर स्वरूप हैं, तो कहीं ना कहीं हमारी सीमाओं पर जो लोग हमारी सुरक्षा कर रहे हैं, उन रक्षकों में भी ईश्वर का अंश तो मौजूद होगा ही। इसलिए अपने भूतपूर्व सैनिकों का सम्मान करना तथा उनके परिवार की देखभाल करना, यह ईशपूजा से कम नहीं होता।

सैनिकों का दूसरे देश में भी सम्मान

भारतीय सैनिकों का शौर्य ऐसा है कि सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी उनका सम्मान होता है। प्रथम विश्व युद्ध या द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जो भारतीय सैनिक दूसरे देशों की रक्षा या स्वतंत्रता के लिए लड़ने गए थे। उनकी चर्चा सम्मानपूर्वक दुनिया भर में होती है।भारतीयों की चेतना पर जब आप गौर करेंगे, तो आप पाएंगे कि हम अपने सैनिकों का तो सम्मान करते ही हैं।

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध का ही उदाहरण लीजिए। इस युद्ध में, पाकिस्तान के 90,000 से अधिक सैनिकों ने भारत के सामने सरेंडर कर दिया था। भारत उनके साथ चाहे जैसा सुलूक कर सकता था। पर हमारी संस्कृति देखिए कि भारत ने उन सैनिकों के प्रति पूरी तरह मानवतावादी रवैया अपनाया और आगे चलकर उन सैनिकों को पूरे सम्मान के साथ उनके देश भेज दिया। शत्रु सैनिकों के साथ भी ऐसे व्यवहार को, मैं मानवता के स्वर्णिम अध्यायों में से एक मानता हूं।

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