Holi in Kanpur: कानपुर में होली की नई रंगत, हर्बल गुलाल और टेसू के फूलों से सजेगा त्योहार!

Kanpur News Today: शहरवासी केमिकल युक्त रंगों से बचते हुए हर्बल गुलाल और टेसू के फूलों से बनी प्राकृतिक रंगों की होली खेलने को प्राथमिकता दे रहे हैं।;

Update:2025-03-09 12:37 IST

Kanpur News Today Market Decorated With Colors and Gulal on Holi 2025

Kanpur News: होली का रंग बिरंगा त्योहार नजदीक आते ही बाजारों में गुलाल और रंगों की धूम मचने लगी है। लेकिन इस बार कानपुर के लोग पारंपरिक और प्राकृतिक तरीकों से होली खेलने की ओर लौट रहे हैं। शहरवासी केमिकल युक्त रंगों से बचते हुए हर्बल गुलाल और टेसू के फूलों से बनी प्राकृतिक रंगों की होली खेलने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

प्राकृतिक रंगों की बढ़ती मांग

पिछले कुछ सालों में लोगों में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है। त्वचा संबंधी समस्याओं और एलर्जी से बचने के लिए इस बार हर्बल गुलाल और प्राकृतिक रंगों की बिक्री में तेजी देखी जा रही है। दुकानदारों के अनुसार, हर्बल गुलाल की मांग पिछले साल की तुलना में लगभग 30% तक बढ़ गई है। गुलाबी, लाल, पीले और हरे रंगों में मिलने वाला हर्बल गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक चीजों से तैयार किया जाता है, जिससे यह त्वचा और बालों के लिए सुरक्षित होता है।

टेसू के फूलों से होली की तैयारी

परंपरागत रूप से टेसू के फूलों से बने रंगों का प्रयोग होली खेलने में किया जाता था। आधुनिक रंगों के आने से यह परंपरा कुछ समय के लिए कम हो गई थी, लेकिन अब लोग दोबारा इसकी ओर लौट रहे हैं। टेसू के फूलों को पानी में भिगोकर बनाया गया नारंगी रंग न केवल प्राकृतिक होता है, बल्कि यह त्वचा के लिए भी लाभदायक माना जाता है। कानपुर के कई इलाकों में अब फिर से लोग टेसू के फूलों से होली खेलने की तैयारी कर रहे हैं।

केमिकल युक्त रंगों से नुकसान

डॉक्टरों और त्वचा विशेषज्ञों का कहना है कि केमिकल वाले रंगों में लेड, ऑक्साइड और अन्य हानिकारक रसायन होते हैं, जो त्वचा पर एलर्जी, खुजली और जलन पैदा कर सकते हैं। कुछ मामलों में तो इनसे गंभीर स्किन इंफेक्शन भी हो सकता है। यही कारण है कि अब लोग स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए हर्बल गुलाल और टेसू के फूलों को अपना रहे हैं।

बाजारों में हर्बल गुलाल की रौनक

कानपुर के मुख्य बाजार जैसे नवीन मार्केट, बिरहाना रोड और चुन्नीगंज में हर्बल गुलाल और टेसू के फूलों की दुकानें सजी हुई हैं। व्यापारी भी इस बदलाव को सकारात्मक मानते हैं। कई दुकानदारों का कहना है कि प्राकृतिक रंगों की मांग बढ़ने से उनके व्यापार को भी बढ़ावा मिल रहा है।

पर्यावरण के लिए भी लाभदायक

प्राकृतिक रंगों का उपयोग न केवल सेहत के लिए अच्छा है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। हर्बल गुलाल और टेसू के फूलों से बनी रंगीन होली पानी और मिट्टी को प्रदूषित नहीं करती। इस बार कानपुर में होली का रंग तो वही रहेगा, लेकिन उसे खेलने का तरीका और ज्यादा सुरक्षित और प्राकृतिक हो गया है।

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