NACO की टीम पहुंची कानपुर मेडिकल कॉलेज, 14 लोगों में संक्रमण के बाद किया थैलेसीमिया विभाग का निरीक्षण, ब्लड बैंक भी गए
Kanpur News: कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला से पूरे मामले की जानकारी ली। वर्तमान समय में मरीजों की क्या स्थिति है और वह मरीज कहां पर हैं? इन सब की डिटेल मांगी।
Kanpur News: कानपुर में संक्रमित खून चढ़ाने के कारण थैलेसीमिया (Thalassemia Patient) के 14 पीड़ित गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। इनमें हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B), हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) के साथ एचआईवी पॉजिटिव (HIV Positive) भी पाए गए। हैलट के बाल रोग अस्पताल के थैलेसीमिया सेंटर में जब रोगियों की जांच की गई तो संक्रमण का पता चला। बता दें, थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को 3 से 4 हफ्ते में एक बार खून जरूर चढ़ाया जाता है। इन्हें साल में 18 से 20 बार खून की जरूरत पड़ती है।
इसी मामले में गुरुवार (26 अक्टूबर) को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) की टीम अस्पताल पहुंची। टीम ने कानपुर मेडिकल कॉलेज, थैलेसीमिया विभाग और ब्लड बैंक का निरीक्षण किया। 14 लोगों में संक्रमण की पुष्टि के बाद अब सियासत तेज हो गई है। NACO टीम के सदस्य हैलट अस्पताल भी पहुंचे।
NACO की टीम ने मरीजों की फाइलें देखी
इस टीम में शामिल डॉ. प्रमोद सहित अन्य सदस्यों ने सभी मरीजों की फाइल देखी। हैलट अस्पताल (Hallett Hospital News) के थैलेसीमिया विभाग में करीब 200 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। वर्तमान में ये मरीज और कहां-कहां खून चढ़वा (Blood transfusion) रहे हैं, इसके बारे में भी पता लगाया जा रहा है। थैलेसीमिया वार्ड में किस तरह की व्यवस्था है, उसका भी निरीक्षण किया गया। बाद में टीम ने ब्लड बैंक का भी निरीक्षण किया।
मीडिया से बनाई दूरी
ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ. लुबना खान (Dr. Lubna Khan) ने कहा कि, 'अभी टीम निरीक्षण कर रही है। इसलिए टीम ने मीडिया से बातचीत के लिए मना कर रखा है। उन्होंने बताया टीम रूटीन निरीक्षण पर आई है। क्योंकि, ब्लड ट्रांसफ्यूजन का मामला काफी अधिक है। उन्होंने वार्ड की व्यवस्था देखी और मरीजों को किस तरह से कैसा इलाज मिल रहा है, उसके बारे में जानकारी ली।
डॉ. संजय काला से ली जानकारी
कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला (Principal of Kanpur Medical College, Dr. Sanjay Kala) से पूरे मामले की जानकारी ली। वर्तमान समय में मरीजों की क्या स्थिति है और वह मरीज कहां पर हैं? इन सब की डिटेल मांगी। किन-किन मरीजों में रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। हैलट में ब्लड ट्रांसफ्यूजन में किस तरह की टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है।
स्क्रीनिंग में देखा गया मरीजों में कितना सुधार
कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के मुताबिक, 'स्क्रीनिंग में देखा जाता है कि उन मरीजों में कितना सुधार हो रहा है या फिर कोई अन्य बीमारी तो नहीं अटैक कर रही।' बता दें, इसी स्क्रीनिंग में 14 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इनमें से सात मरीजों में हेपेटाइटिस B और पांच मरीजों में हेपेटाइटिस C तथा दो मरीजों में HIV संक्रमण की पुष्टि हुई है।
मरीजों को विंडो पीरियड में चढ़ाया गया खून
डॉक्टर के अनुसार, 'आशंका है कि इन मरीजों को विंडो पीरियड में खून चढ़ाया गया है। आपको बता दें कि, पहले के समय में खून की जांच करने के लिए इतनी हाईटेक मशीन नहीं थी। इस कारण संक्रमण का पता नहीं चल पाता था, बल्कि खून के पैकेट पर भी साफ लिखा रहता था कि अगर कोई संक्रमण होता है तो इसकी जिम्मेदारी नहीं होगी। लेकिन, अब नेट टेस्ट की वजह से सारे संक्रमण पता चल जाते हैं। अब खून के पैकेट पर लिखा रहता है कि खून 100 फीसदी सुरक्षित है।