Vinay Pathak Case: कुलपति विनय पाठक केस की CBI जांच को मंजूरी, यूनिवर्सिटी गेट पर सपा का 'तुस्सी ग्रेट हो' प्रदर्शन

Vinay Pathak Case: कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई जांच को मंजूरी मिल गई है। वहीं, कानपुर में सपा ने जोरदार प्रदर्शन किया।

Written By :  aman
Update:2023-01-09 16:54 IST

Vinay Pathak (Social Media)

Vinay Pathak Case: कानपुर (Kanpur) के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (Chhatrapati Shahu ji Maharaj University) के कुलपति प्रोफ़ेसर विनय पाठक (Vinay Pathak) के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) जांच को मंजूरी मिल गई है। यूपी सरकार की तरफ से CBI जांच के लिए भेजे गए पत्र को केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय (Union Ministry of Personnel) ने मंजूर कर लिया है। इस मामले में जल्द सीबीआई जांच शुरू होगी। दूसरी तरफ, समाजवादी पार्टी ने सोमवार (09 जनवरी) को कानपुर यूनिवर्सिटी गेट पर प्रो विनय पाठक के खिलाफ प्रदर्शन किया। 

गौरतलब है कि, 30 दिसंबर 2022 को यूपी सरकार ने राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में प्रो विनय पाठक तथा उनके करीबी अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के खिलाफ मामले की CBI जांच कराने के लिए केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को सिफारिश पत्र भेजा था। कार्मिक मंत्रालय ने सीबीआई जांच की सिफारिश मंजूर कर ली है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो इस मामले में सहमति देकर जांच शुरू करेगी। 


यूनिवर्सिटी के गेट पर सपा का प्रदर्शन 

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के फरार कुलपति प्रो विनय पाठक की अब तक गिरफ़्तारी नहीं होने से नाराज समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को यूनिवर्सिटी गेट पर विरोध-प्रदर्शन किया। सोमवार (9 जनवरी) की दोपहर कानपुर यूनिवर्सिटी के मेन गेट के बाहर फरार कुलपति के विरोध में सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में छात्र भी जमा हुए। आर्यनगर सीट से सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी के नेतृत्व में 'सम्मान समारोह' आयोजित किया गया। सपा प्रदर्शन के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई। सपा नेताओं ने 'तुस्सी ग्रेट हो' नाम से बैनर पोस्टर भी लगाए।   

क्या है मामला?

पिछले साल 29 अक्टूबर को यूपी की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Digitex Technology India Private Limited) के एमडी डेविड डेनिस (david dennis) ने प्रो विनय पाठक तथा उनके करीबी अजय मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए। डेनिस ने ठेके में कमीशन वसूलने, वसूली के लिए बंधक बनाने सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करवाया था। आरोप लगाया था कि वर्ष 2019-20 तथा 2020-21 में डेविड डेनिस की कंपनी ने आगरा विश्वविद्यालय (Agra University) की प्री और पोस्ट परीक्षा में प्रिंटिंग का काम किया था। इसी बिल भुगतान के लिए प्रो विनय पाठक कमीशन मांग रहे थे। आगरा यूनिवर्सिटी के कुलपति पद पर रहते हुए विनय पाठक ने डेविड डेनिस के बिल को मंजूर करने के बदले अजय मिश्रा के जरिए तीन बार में 1.41 करोड़ रुपए वसूले थे।

इंदिरा नगर थाने में दर्ज FIR में आरोप लगाया गया है कि जब डेविड डेनिस ने विनय पाठक को आगे कमीशन नहीं दिया, तो आगरा यूनिवर्सिटी में प्रिंटिंग का काम अजय मिश्रा की कंपनी को दे दिया गया। डेविड डेनिस की एफआईआर पर जांच शुरू हुई। यूपी एसटीएफ (UP STF) और लखनऊ पुलिस (Lucknow Police) ने सबसे पहले विनय पाठक के करीबी अजय मिश्रा को गिरफ्तार किया। विनय पाठक अब भी फरार चल रहे हैं। 

डेनिस पहुंचे हाईकोर्ट

यूपी सरकार ने मामले की गंभीरता के मद्देनजर बीते 30 दिसंबर को CBI से जांच कराने की सिफारिश की थी। कार्मिक मंत्रालय ने भी इस पर मंजूरी दे दी। वहीं, वादी डेविड डेनिस ने अब हाईकोर्ट का रुख किया। वादी ने लखनऊ खंडपीठ में CBI जांच का विरोध करते हुए याचिका दी थी। इस याचिका में कहा है कि, बिना वादी की मंजूरी के प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इस मामले की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में यूपी पुलिस द्वारा ही की जाए।

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