Kushinagar News: कार्तिक पूर्णिमा- क्या आपको पता है 'सौ काशी न एक बांसी का मेला'

Kushinagar News: कार्तिक पूर्णिमा पर बांसी नदी में स्नान 'सौ काशी न एक बांसी' अर्थात कार्तिक पूर्णिमा के दिन बांसी नदी में स्नान करने से सौ बार काशी के स्नान के बराबर पुण्य मिलता है।

Update:2022-11-07 13:14 IST

कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुशीनगर जिले के बांसी नदी में स्नान करने का महत्व: Photo- Social Media

Kushinagar News: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जनपद के विशुनपुरा ब्लाक क्षेत्र (Vishunpura Block Area) में सिंघापट्टी गांव में बहने वाली पौराणिक बांसी नदी के तट पर मंगलवार भोर से ही स्नान शुरू हो जाएगा। इस मेले में भारी भीड़ होती है। बांसी नदी का महत्व रामायण काल से जुड़ा माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर बांसी नदी में स्नान के महत्व को स्थानीय भाषा में कहा जाता है कि 'सौ काशी न एक बांसी'। अर्थात कार्तिक पूर्णिमा के दिन बांसी नदी में स्नान करने से सौ बार काशी के स्नान (Kashi Snan)के बराबर पुण्य मिलता है।

भगवान राम से जुड़ा बांसी नदी की ऐतिहासिकता

रामायण काल (Ramayana period) में बांसी नदी (Bansi River) को पुण्य सलिला के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी बड़ी गंडक नदी की सहायक नदी है। त्रेतायुगीन इस नदी के तट पर जनकपुर जाते समय भगवान श्रीराम ने विश्राम किया था। इस नदी मे कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु स्नान दान करते हैं और अपने को धन्य मानते हैं।

बांसी मेला के लिए सभी तैयारियां पूर्ण

जनपद के बांसी नदी के तट पर मंगलवार को लगने वाले मेले की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। बांसी नदी में स्नान करने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल से भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। प्रशासन घाट की साफ-सफाई, पथ प्रकाश, शौचालय, पेयजल व वाहनों की स्टैंड की व्यवस्था कराया है। कल एसडीएम सदर मेला स्थल का निरीक्षण किये साथ ही मेला व्यवस्था में लगे लोगों को आवश्यक निर्देश भी दिए। मेले में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है। नदी के किनारे बैरीकेटिंग कराई गई है। बांसी मेला बिहार सीमा से सटा है, इसलिए भारी पुलिस बल की व्यवस्था भी की गई है। मेले में अस्थाई पुलिस चौकी स्थापित की गई है।

प्रसिद्ध है बासी मेले का अदरक और मूली

कार्तिक पूर्णिमा के दिन वर्ष में एक बार लगने वाला बांसी का मेला अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस मेले में बिहार, नेपाल ,उत्तर प्रदेश की सभी स्थानीय वस्तुएं बिकती हैं। लेकिन सबसे खास यहां अदरक और मूली है। प्रत्येक श्रद्धालु प्रसाद के साथ कुछ न कुछ मात्रा में मूली और अदरक जरूर खरीदते हैं और मेले से वापसी के बाद अपने गांव में अपने हित मित्रों में भी बांटते हैं।

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