Kashi Vishwanath Temple: बाबा विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन के लिए जमा करना होगा शुल्क, जल्द लागू होगा नया नियम

Kashi Vishwanath Temple: शुरूआत में ट्रायल के दौरान भक्तों से 500 रूपये बतौर शुल्क के तौर पर लिए गए थे। नई व्यवस्था के जल्द लागू होने की बात कही जा रही है।

Update:2023-03-13 17:28 IST

Kashi Vishwanath Temple: वाराणसी स्थित विश्व प्रसिद्ध श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में अब भगवान भोलेनाथ के स्पर्श दर्शन के लिए जेब ढ़ीली करनी पड़ेगी। मंदिर प्रशासन इसके लिए एक निश्चित शुल्क तय कर रहा है, जिसकी अदायगी के बाद भी भक्त बाबा के स्पर्श दर्शन कर सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, यह शुल्क 500 से 1000 रूपये तक हो सकता है। हालांकि, ये अभी तय नहीं हुआ है, राशि को लेकर विचार जारी है।

मिली जानकारी के मुताबिक, मंदिर प्रशासन के इस प्रस्ताव को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद हरी झंडी दिखा चुका है। शुरूआत में ट्रायल के दौरान भक्तों से 500 रूपये बतौर शुल्क के तौर पर लिए गए थे। नई व्यवस्था के जल्द लागू होने की बात कही जा रही है। गर्भगृह में निशुल्क प्रवेश और बाबा के स्पर्श दर्शन की सुविधा फिलहाल सुबह 4 से 5 बजे तक और शाम में 4 से 6 बजे तक है।

क्यों लागू की जा रही है नई व्यवस्था ?

बाबा विश्वनाथ के मंदिर में लगने वाली अनावश्यक भीड़ और श्रद्धालुओं को होती उससे परेशानी को देखते हुए शुल्क आधारित नई व्यवस्था लागू करने का विचार किया गया है। दरअसल, ऐसा देखने में आया है कि कई बार तय समय के बाद भी श्रद्धालु अपनी पहचान और संपर्क के बदौलत तय समय के बाद भी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश और स्पर्श दर्शन करते रहते हैं। इसे लेकर सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियो को अन्य श्रद्धालुओं की नाराजगी झेलनी पड़ती है।

मंदिर से जुड़े लोगों पर भी आरोप लगते रहे हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा इन्हीं समस्याओं का जिक्र करते हुए कहते हैं कि नई व्यवस्था को मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लागू किया जा रहा है ताकि वह अपने सुविधानुसार बाबा के दर्शन कर सकें। तय समय से इतर गर्भगृह में प्रवेश करने और बाबा के स्पर्श दर्शन के लिए एक निश्चित शुल्क का भुगतान करना होगा।

बता दें कि इससे पहले 2018 में मंदिर प्रशासन ने सुगम दर्शन व्यवस्था लागू किया था, जो कि अभी भी चालू है। इसके तहत श्रद्धालु 300 रूपये का टिकट खरीदकर सीधे गर्भगृह में प्रवेश पाते हैं। उन्हें कतार में खड़े होकर इंतजार नहीं करना पड़ता।

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