राजकुमार उपाध्याय
लखनऊ: योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद 15 जून तक प्रदेश की सड़कों को गडढा मुक्त करने का फरमान सुनाया। जिम्मेदारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजतन, पीडब्लूडी समेत नौ विभागों की कुल 1.21 लाख किमी सड़कों में से 40 फीसदी सड़कें अब भी अपने दिन बहुरने की राह देख रही हैं।
प्रकरण में दिलचस्प मोड़ तब आया, जब अफसरों ने पैसे की कमी बताकर मामले से पल्ला झाड़ लिया। ऐसे में विभागीय मंत्री केशव प्रसाद मौर्या जब 15 जून को पत्रकारों से मुखातिब हुए तो उन्हें इससे जुड़े तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। समय से सरकार की घोषणा पूरी नहीं हुई, तो अब इस छीछालेदार पर 'पैच' लगाने का काम मंत्री केशव मौर्या का था।
नहीं तय थी कोई समय सीमा
इसकी एवज में पहले तो उन्होंने सरकार के काम गिनाए। दूसरी ओर, सड़कों को दुरुस्त करने के लिए कोई समय सीमा नहीं तय की, बल्कि गडढा मुक्त अभियान को सड़कों के सही होने तक अनवरत जारी रहने की घोषणा कर दी।
कुछ विभागों की तैयारियां पूरी नहीं थी
पत्रकारों के सवालों के जवाब में केशव प्रसाद मौर्या ने कहा, कि 'कुछ विभागों की तैयारियां पूरी नहीं थी। उनके अपने संसाधन होते हैं। उनका मुख्य काम सड़क बनाने का नहीं होता है।' लोक निर्माण विभाग का बचाव करते हुए मंत्री ने कहा, कि विभाग ने ज्यादातर सड़कों को दुरुस्त कर लिया है।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि डेडलाइन कोई मुद्दा नहीं
अपर मुख्य सचिव सदाकांत ने कहा, कि 'जब बजट पास हो जाएगा, तो पैसे की कमी पूरी हो जाएगी। सड़क बनाने वाले विभागों की नियमित समीक्षा होती रहेगी।' माहौल को हल्का करने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा, कि 'सड़कों को गडढा मुक्त करने के लिए डेडलाइन कोई मुददा नहीं है। सड़कें सही करने के लिए पहले चरण में उन्हें गडढा मुक्त किया जाना है। फिर उनकी साधारण मरम्मत होगी। फिर वह सड़के जहां गडढा हो गया है, उनकी विशेष मरम्मत कराई जाएगी। फिर सड़कों का चौड़ीकरण किया जाता है। इन्हें ग्रेडिंग के हिसाब से प्लान किया गया है। आगामी अक्टूबर महीने तक यह काम कर लिया जाएगा।'
गडढा युक्त सड़कों को गडढा मुक्त नहीं हो पाने के कारण
-पूर्व की सरकारों की अनदेखी के कारण अधिकतर मार्ग जर्जर हो गए।
-पूर्व की सरकारों द्वारा कभी मार्गों को गडढायुक्त करने के बारे में नहीं सोचा गया।
-कई विभागों के बजट में मार्गों की मरम्मत का कोई मद सृजित नहीं किया गया।
-कुछ विभागों के वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण उनकी प्रगति कम है।
-अवैध खनन बंद होने और नई खनन नीति बनने का भी असर पड़ा।
-सड़कों को भरने में लगने वाले मैटेरियल महंगे हो गएं। जिससे शुरूआती समय में टेंडर नहीं मिलें।
-ओवर लोडिंग समाप्त करने के निर्णय का भी मैटेरियल के दामों पर असर पड़ा।
-कई जिलों में ई-टेंडरिंग की वजह से भी टेंडर नहीं आएं।
पहली बार हर सड़क के लिए अलग-अलग जारी हुआ पैसा
यूपी की सड़कों को गडढामुक्त करने में इस बार नया प्रयोग किया गया। पीडब्लूडी में पहली बार पैच मरम्मत के लिए सड़कवार धन का आवंटन किया गया। यानि हर सड़क के लिए अलग—अलग पैसा जारी किया गया। इससे कोई भी यह जान सकता है कि किस सड़क पर पैच मरम्मत में कितना पैसा खर्चा गया।
गडढा मुक्त काम की प्रगति
विभाग गडढा युक्त लम्बाई प्रगति प्रतिशत में:
लोक निर्माण विभाग 85,160 82
राष्ट्रीय राजमार्ग 189 74
भा.रा.रा.प्रा. 60 81
पंचायतीराज विभाग 3,890 09
मंडी परिषद 10,193 24
गन्ना विभाग 3,716 13
सिंचाई विभाग 9,668 00
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 1,703 96
नगर निकाय एवं नगर निगम 6,455 19