मानसिक बीमारियों से निपटने के लिए सरकार को सुझाव देगा केजीएमयू

उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुझाव दिया जायेगा कि हेल्थ वर्कर, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री घरों का दौरा करके यह जानकारी लेंगी कि उनके घर में कोई उलझन, नशे की बीमारी या अवसाद के लक्षणों का शिकार तो नहीं है।

Update: 2023-04-22 14:22 GMT

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय (केजीएमयू) के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा यूपी के चार जिलों में किए गये सर्वेक्षण में 90 प्रतिशत लोगों के तनाव में जीने के नतीजे मिलने के बाद अब इससे निपटने के लिए केजीएमयू का मनोचिकित्सा विभाग प्रदेश सरकार को सुझाव देगा। केजीएमयू अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट के साथ सुझाव जल्द ही प्रदेश सरकार को भेजेगा।

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केजीएमयू के मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. पीके दलाल ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे़ बेसिक हैल्थ वर्कर, आशा बहुओं और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को उलझन, नशे की बीमारी, अवसाद जैसी सामान्य मानसिक बीमारियों की पहचान करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये, जिससे कि वे मानसिक रोगों के लक्षणों को पहचान कर पीड़ित लोगों को उपचार के लिए उचित चिकित्सक के पास जाने की सलाह दे सकें।

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डा. दलाल ने कहा कि तनाव, अवसाद, घबराहट जैसे लक्षणों के बारे में इन आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रशिक्षण जिलों में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नियुक्त किये गये साइक्राइटिस्ट, साइकोलॉजिस्ट और उनकी टीम देगी।

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उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुझाव दिया जायेगा कि हेल्थ वर्कर, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री घरों का दौरा करके यह जानकारी लेंगी कि उनके घर में कोई उलझन, नशे की बीमारी या अवसाद के लक्षणों का शिकार तो नहीं है। इसके बाद वे ऐसे मरीजों को जिला मानसिक स्वास्थ्य इकाई पर भेजने की सलाह देंगी।

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