Jaunpur News: वृक्षारोपण अभियान का जानें क्या है असली सच, आखिर रोपित पौध सुरक्षित क्यों नहीं बच सके
Jaunpur News: जुलाई का महीना शुरू होने के साथ फिर सरकारिया तंत्र द्वारा स्वच्छ पर्यावरण और हरित क्रान्ति के नाम पर बृहद स्तर पर वृक्षारोपण का अभियान चलाया जा रहा है ।
Jaunpur: जुलाई का महीना शुरू होने के साथ फिर सरकारिया तंत्र द्वारा स्वच्छ पर्यावरण और हरित क्रान्ति (Clean Environment and Green Revolution) के नाम पर बृहद स्तर पर वृक्षारोपण का अभियान (tree plantation campaign) चलाया जा रहा है । इस योजना के नाम पर फिर लाखों करोड़ों की धनराशि सरकारी खजाने से बाहर निकल जाएगी और बड़ा खेल जिम्मेदार विभाग करके डकार भी लेंगे और अभियान भी कागजी बाजीगरी की भेंट चढ़ना तय है।
अगर विगत वर्षो की स्थित का सच जानें तो वृक्षारोपण तो पूरे जोर शोर के साथ होने के दावे किये गये लेकिन विगत वर्षो में हुए वृक्षारोपण के तहत रोपित पौध 10 प्रतिशत भी धरा पर सुरक्षित नहीं बचे है। इस संदर्भ में विगत वित्तीय वर्ष 2021-22 के वृक्षारोपण रोपण के स्थित की जानकारी जिला फारेस्ट अधिकारी (डीएफओ) से पता करने पर पता चला कि विगत वर्ष 48 लाख पौधरोपण कराया गया इसके लिए सरकारी खजाने से सरकार ने जनपद जौनपुर को 02 करोड़ 50 लाख रुपए दिये थे इसमें वृक्षारोपण से लेकर उसके रख-रखाव तक का बजट था। एक साल बाद लगाये गये 48 लाख वृक्ष में कितने वृक्ष बचे है कितने खत्म हो गये यह एक अहम सवाल विभाग सहित जिम्मेदारो के समक्ष खड़ा हो गया है।
लगवाये गये वृक्षो में 70 प्रतिशत वृक्ष मौजूद हैं- डीएफओ प्रवीण खरे
हलांकि डीएफओ प्रवीण खरे का दावा है कि वन विभाग द्वारा लगवाये गये वृक्षो में 70 प्रतिशत वृक्ष मौजूद है। कहां है इसकी जानकारी विभाग के इस अधिकारी को नहीं है। इसके साथ अगर डीएफओ की बात पर विश्वास करें तो ग्राम्य विकास विभाग द्वारा विगत वर्ष लगावाये गये वृक्षो में महज 10 प्रतिशत और शिक्षा विभाग द्वारा कराये गये वृक्षारोपण का 02 प्रतिशत तथा कुछ अन्य विभागो के द्वारा लगाये गये वृक्षारोपण में 10 से 15 प्रतिशत वृक्ष धरा पर है शेष खत्म हो गये। इतना तो अधिकारी भी मान रहे है लेकिन सच यह है कि सरकारी खजाने से ढाई करोड़ रुपए खत्म हो गये और बचा कुछ भी नहीं। जिसका परिणाम यह है कि पर्यावरण की स्थित बेहद दयनीय हो गयी है।
इसी तरह इसके पूर्व के वर्षो के आंकड़ो पर नजर डाली जाये तो वृक्षारोपण के नाम पर केवल सरकारी धन की बंदरबांट ही नजर आयेगी और कागजी बाजीगरी का खेल कर अधिकारी अपनी पीठ भले थपथपा ले लेकिन सच यही है कि वृक्ष नजर नहीं आयेंगे। इस वर्ष भी पूर्व के वर्षो की तरह पूरे जोश और खरोश के साथ वृक्षारोपण अभियान की शुरूआत की गयी है यहां तक कि शासन ने नामित नोडल अधिकारी के रूप में के.रविन्द्र ना यक आइएएस अधिकारी आये और जिला प्रशासन से लेकर सभी विभाग पूरे लाव लश्कर के साथ वृक्षारोपण अभियान को शुरू कर दिये।
जौनपुर में 53 लाख पौधरोपण का लक्ष्य तय किया गया
हालांकि नोडल अधिकारी ने विगत वर्ष लगाये गए वृक्षारोपण की स्थिति सहित सुरक्षित बचे पेड़ो का सच जानने का प्रयास किया लेकिन विभाग गोल गोल घुमा कर मामले का पटाक्षेप कर दिया। हालांकि इस साल फिर शासन ने जनपद जौनपुर में 53 लाख पौधरोपण का लक्ष्य तय किया है और वन विभाग सहित प्रशासन लक्ष्य को पूरा करने का दावा भी कर रहा है और कागजी बाजीगरी से सब कुछ अच्छा हो भी जायेगा।
इस तरह प्रति वर्ष इतनी बड़ी तादाद में वृक्षारोपण किये जा रहें है इसके बाद भी जनपद जौनपुर का पर्यावरण स्वच्छ नहीं हो पा रहा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार जौनपुर सबसे प्रदूषित शहर की सूची में शामिल है। लाखों लाख वृक्षारोपण के बाद तो धरा का कोई कोना खाली नहीं रहना चाहिए था लेकिन सच इसके ठीक उलट दिखायी दे रहा है। यहां एक सवाल और भी यह है कि क्या यह योजना स्वच्छ पर्यावरण के नाम पर सरकारिया तंत्र की जेब भरने के लिए संचालित हो रही है ?