नदी के किनारे पिस्तौल से लैस पुलिसकर्मी की नजरें दूरबीन से किसको ढूंढ रही हैं

बुंदेलखंड में सूखे से सर्वाधिक प्रभावित बांदा और आसपास के इलाकों में पानी के एकमात्र स्रोत के रुप में बची केन नदी को बालू खनन माफिया से बचाने के लिये उत्तर प्रदेश पुलिस के कंधों पर सख्त पहरेदारी का भार है। 

Update: 2019-05-26 10:42 GMT

बाँदा: नदी के किनारे पिस्तौल से लैस पुलिसकर्मी की नजरें दूरबीन से किसी भगोड़े अपराधी को नहीं बल्कि नदी का प्रवाह अवरुद्ध करने वालों को तलाश रही हैं। इन दिनों पुलिस की यह अनूठी पहरेदारी, सूखे से जूझ रहे बुंदेलखंड की जीवनदायनी केन नदी के लिए हो रही है।

बुंदेलखंड में सूखे से सर्वाधिक प्रभावित बांदा और आसपास के इलाकों में पानी के एकमात्र स्रोत के रुप में बची केन नदी को बालू खनन माफिया से बचाने के लिये उत्तर प्रदेश पुलिस के कंधों पर सख्त पहरेदारी का भार है। भीषण गर्मी में सूखकर मामूली नहर बन चुकी केन नदी में पानी की धारा को अविरल बनाये रखने के लिये स्थानीय प्रशासन ने पुलिस तैनात की है।

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स्थानीय पुलिस अधिकारियों की दलील है कि गर्मी से तप रहा यह इलाका, इन दिनों पेयजल की उपलब्धता के मामले में केन नदी पर ही आश्रित हो जाता है। गर्मी के कारण नदी में भी इस समय मामूली जलप्रवाह रह जाता है। ऐसे में अवैध खनन कारोबारी दूरदराज के दुर्गम इलाकों में नदी की धारा को रोक कर बालू का खनन करने लगते हैं। इससे शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति के लिये नदी में बने ‘‘इन-टेक वेल’’ तक पानी नहीं पहुंच पाता है।

बांदा के अपर पुलिस अधीक्षक एल बी के पाल ने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिये पुलिस तैनात करनी पड़ी। पाल ने कहा कि सिर्फ खनन माफिया ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों में नदी के किनारे सब्जी उत्पादक किसान भी

सिंचाई के लिये नदी का प्रवाह रोक देते हैं। इससे समस्या और अधिक गहरा गयी है।

इससे निपटने के लिये दूरबीन और हथियारों से लैस पुलिसकर्मी, इन दिनों केन नदी के तट पर पहरेदारी करते देखे जा सकते हैं। नदी में पानी का प्रवाह सुनिश्चित करने में लगे दरोगा दयाशंकर पाण्डेय ने बताया कि नदी के बहाव

क्षेत्र में दिन रात पुलिस की गश्त हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी किसानों को समझा बुझा कर पानी रोकने से मना किया जाता हैं, वहीं जलधारा रोककर बालू का अवैध खनन करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आना पड़ता है।

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पाल ने कहा कि नदी में पानी का बहाव रोके जा सकने वाले इलाकों को चिन्हित कर वहां निगरानी तेज कर दी गयी है। इसके लिये गठित दो पुलिस निगरानी दल, पूरे बांदा जनपद में केन के तट पर प्रतिरोध वाले इलाकों में सख्त पहरा दे

रहे हैं।

बुदेलखंड की प्रमुख नदियों मंदाकिनी, बेतवा और केन के संरक्षण से जुड़े पर्यावरण विशेषज्ञ गुंजन मिश्रा इसे समस्या का तात्कालिक उपाय मानते हैं।

मिश्रा ने बताया कि नदियों की रखवाली में सुरक्षाकर्मी तैनात करने काप्रयोग उत्तराखंड और दिल्ली में किया जा चुका है। गंगा और युमना में सीवर तथा पूजा सामग्री सहित अन्य अपशिष्ट प्रवाहित करने से रोकने संबंधी न्यायिक आदेशों के पालन में उत्तराखंड पुलिस ने गंगा प्रहरी और इसकी तर्ज पर दिल्ली में यमुना प्रहरी तैनात करने की पहल की थी। बकौल मिश्रा, ‘‘यह कवायद, समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। प्रशासन को नदी में पानी कम होने पर शहरों की प्यास बुझाने की खातिर खनन के खिलाफ महज गर्मियों में सख्ती बरतने के बजाय साल भर यह रवैया अपनाने की जरूरत है।’’

 

(भाषा)

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