क्षत्रपति शाहू जी महाराज शासक के रूप में बहुत बड़े सेवक थे: बृजलाल

राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने क्षत्रपति शाहू जी महाराज के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

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Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-06-26 18:02 GMT

छत्रपति साहू जी महराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते राज्यसभा सदस्य बृजलाल व सवामी प्रसाद मौर्य सहित अन्य नेता (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ: राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने दलितों, पिछड़ों के हितैषी, क्षत्रपति शाहू जी महाराज के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस दौरान कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी श्रद्धांजलि अर्पित किया। राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने कहा कि वर्ष 1902 में दलितों-पिछड़ों को आरक्षण देकर उन्होंने ने संविधान में आरक्षण की राह प्रशस्त की।

कोल्हापुर राज्य के शासक महाराज शाहू जी के महल में गंगा राम काम्बले एक दलित सेवक थे और राज महल परिसर में ही रहते थे। महाराज जब बाहर गये थे, तो शांता राम मराठा सैनिक ने गंगा राम की, तालाब के पानी को छूने के आरोप में पिटाई कर दी। जब महाराज को लौटने पर जानकारी हुई तो उन्होंने ने सैनिक को दंडित किया। महाराज ने गंगा राम को पैसे देकर कोल्हापुर में चाय की दुकान खुलवा दी, लेकिन एक दलित की दुकान से कोई चाय पीता ही नहीं था।

शाहू जी महाराज ने संदेश प्रसारित कराया क़ि वे गंगा राम काम्बले की दुकान पर आकार चाय पियेंगे। पिछले शताब्दी की शुरुआत में यह अकल्पनीय था की कोई सवर्ण हिंदू दलित का बनाया चाय पी सकता है। यहाँ तो महाराजा खुद दलित का चाय पीने जा रहे थे।

कोल्हापुर के लोगों को विश्वास नहीं हुआ और सभी लोग कौतूहल बस वहाँ पहुँच गये। महाराज ने गंगा राम की चाय खुद पी और दरबारियों को पिलाया। उन्होंने सोडा बनाने के लिए गंगा राम को पैसे दिये।

देश में सबसे पहले 1902 में क्षत्रपति शाहू जी महाराज ने कोल्हापुर रियासत में दलितों- पिछड़ों को सेवा में आरक्षण दिया। महाराज बाबा साहब भीम राव आम्बेडकर को भी प्रोत्साहित करते थे। महाराज की यह पहल ही थी, जिससे भारतीय संविधान में बाबा साहब द्वारा दलितों को आरक्षण दिया गया। धन्य थे क्षत्रपति शाहू जी महाराज, जो शासक के वेष में बहुत बड़े समाज सेवक थे। कोटि- कोटि नमन।

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