उन्नाव रेप: कुलदीप सिंह सेंगर के आगे आज भी बेबस और लाचार है प्रशासन, जानें क्यों

उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी। इसके बाद साल 2002 में सेंगर ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी रहे।

Update: 2019-08-02 05:48 GMT

लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में सख्त रवैया अपनाते हुए सभी 5 मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि इस मामले की 45 दिन में सुनवाई पूरी हो जाये। इसके बाद से मामले के मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर की मुसीबतें काफी बढ़ गयी हैं। दरअसल, अब तो बीजेपी ने भी उन्हे पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

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मगर मिली जानकारी के अनुसार, सेंगर का दबदबा प्रशासन में अभी भी कायम है। एक यही वजह से जिसके कारण 15 महीने में उसके हथियार का लाइसेंस रद्द नहीं हो पाया है। सेंगर के हथियार का लाइसेंस रद्द करने की रिपोर्ट पुलिस ने 15 महीने पहले दी थी। मगर अभी तक इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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प्रशासनिक अधिकारी भी सेंगर के रसूख के आगे इतने विवश हैं कि 15 महीने बीत जाने के बाद भी इस मामले पर कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं। इस मामले से सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि पीड़िता और उसके वकील की हथियार के लाइसेंस की गुहार को दरकिनार कर दिया गया।

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कौन है कुलदीप सिंह सेंगर?

उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी। इसके बाद साल 2002 में सेंगर ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी रहे। फिर साल 2007 में सेंगर ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद वह साल 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए। यहाँ भी उन्होने 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा जीता।

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