इस 'लेडी दबंग' का नाम सुन कांप उठते हैं शोहदे, लड़कियों की ऐसे करती हैं रक्षा

Update: 2018-03-08 10:26 GMT

शाहजहांपुर। कहते हैं ‘जब-जब महिलाओं के स्वाभिमान को ललकारा जाता है, तब-तब वे खुद आगे बढ़ने के लिए अपना रास्ता खोज लेती हैं।’ फिर चाहे वो खुद के हुनर को तलाशने की बात हो या फिर अकेले दम पर शोहदों से निपटने की। महिलाएं हर जगह खुद अपनी स्वाबलंबी बन जाती हैं। इसकी बानगी हमें यूपी के शाहजहांपुर में देखने को मिली है।

जी हां। दरअसल, आज हम आपको एक ऐसी महिला से रूबरू कराएंगे, जो अपने इलाके की लड़कियों को शोहदों से बचाने के लिए हथियार तक उठा लेती है।

‘लेडी विद गन’ नाम से जाने जानी वाली महिला छेड़छाड़ का जवाब अपनी बन्दूक से देती है। यही बजह है कि इलाके के शोहदे बन्दूक वाली इस दबंग महिला के नाम से कांप उठते हैं। वहीं लड़कियों के लिए ये महिला किसी आदर्श से कम नही है।

अपनी बन्दूक की नली को साफ कर रही इस महिला का नाम शहाना बेगम है। ये एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने वाले मनचलों की हालत बिगड़ जाती है।

शहाना ने ये हथियार सिर्फ महिलाओं और लड़कियों की हिफाजत के लिए उठाया है। आलम ये है कि उसके खौफ से शायद ही गांव और आस पास के इलाकों में कभी छेड़छाड़ की घटनाएं होती होगी। अगर शहाना को शिकायत मिल जाये तो वो अपनी बन्दूक की दम पर उसे सबक सिखाने का माद्दा रखती है।

कई बार ऐसे मोके आए जब मनचलों और शोहदों को शबाना ने सबक सिखाया है। उनका कहना है कि काननू तो अपना काम करेगा ही लेकिन छेड़छाड़ करने वालों को सबसे पहले वो खुद सबक सिखाती हैं।

शहाना का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो महिलाओं और लड़कियों की हिफाजत के लिए उनकी बन्दूक से गोली भी निकल सकती है।

शहाना कहती हैं कि, इलाके की महिलाओं को किसी भी किस्म की कोई दिक्कत होती है तो मेरे सामने अपनी बात रखती है। शादीशुदा महिलाओं को अगर उनके पति परेशान करते है तो वो ऐसे मामलों को भी बखूबी निपटाती है। वो अपने गांव के आस पास के भी गांवों में पैदन निकल कर महिलाओं और लड़कियों से उनकी परेशानी पूछती है।

गांव महानन्दपुर की रहने वाली इस ‘लेडी विद गन’ को लोग सिर्फ इस इलाके में ही लोग बल्कि शहर में भी बखूबी जानते है। स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए ये किसी ‘दबंग लेडी’ से कम नही है।

कुछ लड़कियों का तो कहना है कि शहाना जैसी दबंग महिलाए अगर देश में हो तो बेशक ही मनचलों के होश ठिकाने लग जायेंगे।

शहाना की बन्दूक ही अब उनकी पहचान बन चुकी है। शहाना को न राजनीति की चाह है और नही वाहवाही की। उनकी जिन्दगी का सिर्फ एक ही मकसद है और वो है लड़कियों और महिलाओं की हिफाजत। यहीं बजह है उनके इलाके में लड़कियों बेखौफ होकर स्कूल आ और जा सकती है। लोगों का मानना है कि, अगर शहाना जैसी महिलाएं समाज में आग निकलकर सामने आ जाये तो शायद महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों को कम किया जा सकता है।

 

 

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