लखीमपुर खीरी: दो साल में चार बाघों की मौत, पोस्टमार्टम में चौंकाने वाला खुलासा

दक्षिण खीरी वन प्रभाग की गोला रेंज के बिझौली गांव के पास बड़ी नहर में एक बाघिन का शव मिला। साल 2019 में दक्षिण खीरी वन प्रभाग के महेशपुर जंगल में 27 मार्च को शिकारियों के बनाए गए

Update: 2021-03-01 15:33 GMT
लखीमपुर खीरी: दो साल में चार बाघों की मौत, पोस्टमार्टम में चौंकाने वाला खुलासा

दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के मैलानी रेंज की जटपुरा बीट जंगल से होकर निकली नहरों और नदियों में बाघ-बाघिन और तेंदुओं के शव मिलते रहे हैं। इन घटनाओं की जांच में अधिकतर मामले शिकार के ही सामने आए हैं।

बाघिन का शव मिला

दक्षिण खीरी वन प्रभाग की गोला रेंज के बिझौली गांव के पास बड़ी नहर में एक बाघिन का शव मिला। साल 2019 में दक्षिण खीरी वन प्रभाग के महेशपुर जंगल में 27 मार्च को शिकारियों के बनाए गए लोहे के जाल में फंसकर बाघ की मौत हो गई थी।साल 2020: दो जून को दक्षिण खीरी वन प्रभाग के गोला रेंज में बिझौली गांव के पास अविकसित बाघ

 

नहरों में भी मिल चुके है बाघों के शव

 

साल 2020, 11 अगस्त दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के मैलानी रेंज की जटपुरा बीट जंगल से सटे चरी के खेत में एक बाघिन का शव मिला था । वन्यजीव विशेषक्ष डॉ वीपी सिंह के अनुसार जंगल से सटे खेतों में बाघ और तेंदुओं का शिकार करने के लिए शिकारी कई तरीके इस्तेमाल करते हैं। इसमें जहर देकर हत्या करना सबसे आसान तरीका है। इसके अलावा कुड़का, खाबड़ का इस्तेमाल भी किया जाता है लेकिन गर्दन कटा बाघ का शव मिलना यह पहला मामला है।

 

अभी तक नहर में उतराते मिले बाघों के शव

 

साल 2013: दुधवा के किशनपुर अभयारण्य से होकर निकली खीरी ब्रांच बड़ी नहर में फरधान के पास बाघ का शव उतराता मिला।

साल 2014: शारदा नहर में सात वर्षीय बाघ का शव उतराता मिला।

साल 2017: डीटीआर के कतर्निया घाट डिवीजन में नहर के अंदर जुलाई में बाघ का शव उतराता मिला।

साल 2018: भारत-नेपाल सीमा से सटे संपूर्णानगर रेंज के सुतिया नाले में सड़ा-गला तेंदुए का शव मिला।

बाघिन की पीट-पीट कर हत्या

साल 2018: किशनपुर सेंक्चुरी की चलतुआ बीट में गुस्साई ग्रामीणों की भीड़ ने हमला बोलकर बाघिन की पीट-पीट कर हत्या की। लखीमपुर खीरी दक्षिण खीरी वनप्रभाग की वनरेंज महेशपुर(मोहम्मदी) की वीट आंवला के क्षेत्र में बाघ- सुअर की रहस्यमय परिस्थितियों में हत्या कर शवों को दूसरे स्थान पर डालने व बिजली के तारों में उलझ कर मरने की बात वनविभाग ने प्रचारित की ।

 

बाघ व जंगली सुअर का शव मिला

 

जानकारी के अनुसार वनरेंज महेशपुर (मोहम्मदी) की वीट आंवला के क्षेत्र स्वामीदयालपुर में अलग अलग स्थानों से एक बाघ व जंगली सुअर का शव रहस्यमय परिस्थितियों में मिला है

जिसमें बाघ के गर्दन से खून का बहाव के बावजूद व सुअर की दर्दनाक मौत के पीछे वनविभाग ने इन दोनों की मौत बिजली के तारों के चलते होने का बयान जारी किया था। खासबात यह है कि वहां पर बिजली के तार-लाइन ही नहीं है इस लिए यह कहना कहां तक सही व ठीक होगा कि इन दोनों की मौत बिजली करंट से हुई।

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खीरी में तालमेल ठीक ठाक

 

दक्षिण खीरी के प्रभागीय निदेशक समीर कुमार ने इतनी बडी घटना के बावजूद दोनों मृत बाघ-सुअर के शवों को मौके से उठवा कर वनविभाग की सुपुर्दगी में रखवा दिया है। वनरेंज अधिकारी और प्रभागीय निदेशक दक्षिण खीरी में तालमेल ठीक ठाक होने के चलते एक बार पुनः मामले को निपटाने की रणनीति तयकर शवों का पोस्टमार्टम कराने की तैयारी चालू की है। चर्चा है कि बाघ के अंगों के साथ छेड़छाड़ की गई है ।

हकीकत पोस्टमार्टम रिपोर्ट

दक्षिण खीरी की दो बदनाम वनरेंज मोहम्मदी व गोला है जिनमें शिकारियों के सक्रिय रहने और शिकार के मामले सामने आने से पहले पर्दा डालने की कोशिश की जाती है।इससे पहले भी शेर की असमय मौत पर आज तक किसी वनाधिकारी व वनरेंज अधिकारी व कर्मचारी को दंडित नहीं किया गया हैं एक वनकर्मी को दोषी ठहराया गया था जिसकी जांच में जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिया था कि जिस स्थान पर शेर की असमय मौत हुई है ।

जंगल में जाने वाला एकलौता रास्ता

वहां पर सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के जंगल में जाने वाला एकलौता रास्ता है और यह गंभीर लापरवाही के चलते शेर की मौत हुई थी पर दक्षिण खीरी के डी.एफ.ओ.ने जांच अधिकारी हरिशंकर शुक्ला की रिपोर्ट दबाकर रखी है।

इसके अलावा जंगल व मैदान में आए दिन होने वाले अवैध कटान की भी रिपोर्ट दबाकर रखी हुई है। मंगलवार को मोहम्मदी वनरेंज की वीट शहजनियां में वनरेंज अधिकारी ने जंगल से सात सागौन के वृक्ष कटवाने की जांच में लीपापोती की है और यह दर्शाने का प्रयास किया है ।

हकीकत भी सामने आई

शिकायत झूठी है मै ऐलानिया कहता हूं कि अगर लखनऊ से वनटीम कुम्बिग करने के लिए आए और लेखक को खबर दी जाए तो आज भी मुढियां मौके पर वृक्षों के कटने की गवाही दें रही है यह हकीकत भी सामने आ सकती है।

दक्षिण खीरी के प्रभागीय निदेशक समीर कुमार के चलते जंगल व मैदानी क्षेत्र में लगातार चलने वाला कटान व जंगल के वन्यजीव की हत्यायों के मामले फाइल तक ही सीमित होकर रह जाएंगे।

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अगर लखनऊ से किसी भी वरिष्ठ वन अधिकारी चाहे आई.एफ.एस.हो चाहे आई.ए.एस.को अगर जांच दी जाए और वह मौकेपर आकर जांच करें तथा लेखक व पत्रकार होतीलाल रसतोगी को खबर दें तो तमाम गंभीर मामलों का खुलासा हो सकता है।

रिपोर्ट शरद अवस्थी

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