संदीप अस्थाना
आजमगढ़। बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती आजमगढ़ जिले की लालगंज सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा काफी तेज है। बसपा का कोई कद्दावर नेता इस बारे में कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है मगर यह जरूर कहा कि बहन जी पार्टी की सुप्रीमो हैं, वे जहां से चाहें, वहां से चुनाव लड़ें। इसके साथ ही जिम्मेदार लोगों ने यह भी कहा कि यदि बहन जी आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगी तो यह आजमगढ़ का सौभाग्य होगा। आम आदमी का भी मानना है कि बसपा सुप्रीमो के आजमगढ़ से चुनाव लडऩे पर पूर्वांचल की कई सीटें प्रभावित होंगी और सपा-बसपा गठबंधन जो सीटें कम मतों के अन्तर से जीतने की स्थिति में है, उन सीटों पर जीत का अंतर बढ़ जाएगा।
नाम न छापने की शर्त पर बसपा के एक कद्दावर नेता ने बताया कि अभी बहन जी के आजमगढ़ जिले की लालगंज सीट से चुनाव लडऩे की अभी तक केवल संभावनाएं ही जतायी जा रही हैं। हां, यह जरूर है कि बसपा का संगठन यह देख रहा है कि यदि बहन जी यहां से चुनाव लड़ती हैं तो किस तरह से उनको ऐतिहासिक मतों से जिताया जाए। इस बाबत दल की ओर से सर्वे भी कराया जा रहा है। फिलहाल यह तो अभी तय नहीं है कि बसपा सुप्रीमो यहां से चुनाव लड़ेंगी या नहीं लड़ेंगी मगर यह तो तय है कि यदि वह यहां से चुनाव लड़ेंगी तो ऐतिहासिक मतों से जीत भी हासिल करेंगी और पूर्वांचल में सपा-बसपा गठबंधन की सीटें भी बढ़ जाएंगी। साथ ही इस बार मुलायम सिंह यादव के यहां से चुनाव न लडऩे के ऐलान से लोगों में जो मायूसी है वह कम हो सकेगी।
बसपा का भी मजबूत दुर्ग
जिस तरह से आजमगढ़ समाजवादियों का मजबूत व अभेद्य दुर्ग है, उसी तरह से बसपा का भी मजबूत किला है। बसपा के मजबूत दुर्ग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शैशवावस्था में बसपा जब पहली बार लोकसभा की दो सीटें जीती थी तो एक सीट पंजाब व एक सीट आजमगढ़ की थी। यहां से हाथी के सिम्बल पर चुनाव जीतकर रामकृष्ण यादव पहली बार संसद में पहुंचे थे। इतना ही नहीं बसपा के कई संस्थापक सदस्य आजमगढ़ के रहे हैं। इनमें रामलाल, गांधी आजाद, बलिहारी बाबू, डा.बलिराम आदि का नाम प्रमुख है। यहां पर बामसेफ का भी मजबूत संगठन है और बामसेफ के लोग ईमानदारी के साथ काम भी करते हैं। यहां बसपा का हर मतदाता बसपा के कार्यकर्ता की तरह से रहता है। यही वजह है कि बसपा यहां धरातल पर मजबूत है। मौजूदा समय में भी बसपा की आजमगढ़ में मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि योगी की लहर में जब सभी विरोधी दल बह गए तब भी विधानसभा के पिछले चुनाव में दस विधानसभा सीटों वाले इस जिले में अगर सपा ने पांच सीटें जीतीं तो बसपा ने भी चार सीटों पर विजय का परचम लहराकर अपनी मजबूती की गवाही दी। भाजपा केवल एक सीट ही जीत सकी। वह भी एक सीट भाजपा केवल इसलिए जीती क्योंकि फूलपुर-पवई सीट से बाहुबली पूर्व सांसद रमाकान्त यादव के पुत्र अरुणकान्त यादव मैदान में थे और यह सीट बाहुबली पूर्व सांसद की पारिवारिक सीट मानी जाती है। यदि इस सीट के पिछले दस विधानसभा चुनावों का आंकड़ा देखा जाए तो सात बार बाहुबली परिवार ही जीता है।
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मायावती के चुनाव लडऩे के होंगे फायदे
बसपा सुप्रीमो मायावती के आजमगढ़ से चुनाव लडऩे पर पार्टी को कई फायदे होंगे। सबसे अहम यह है कि भौगोलिक स्थितियां ऐसी हैं कि आजमगढ़ पूर्वांचल के केन्द्र में है। साथ ही पूर्वांचल में सपा व बसपा दोनों का मजबूत जनाधार है। दोनों दलों ने लोकसभा के इस चुनाव में गठबंधन कर रखा है। मुलायम सिंह यादव ने इस बार आजमगढ़ से चुनाव न लडऩे का ऐलान कर दिया है। ऐसी स्थिति में सपा व बसपा के पास पूर्वांचल में चुनाव लडऩे वाला कोई बड़ा चेहरा नहीं दिखाई पड़ रहा है। यदि मायावती आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगी तो सपा व बसपा दोनों को फायदा होगा अन्यथा काशी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव लडऩे के कारण सपा व बसपा को वोट देने के इच्छुक कुछ फीसदी मत भटक सकते हैं जो सपा-बसपा गठबंधन को नुकसान पहुंचाएगा। मायावती के यहां से चुनाव लडऩे की स्थिति में दल के नेताओं के बीच टिकट को लेकर किसी तरह का कोई मतभेद नहीं होगा। हर नेता मजबूती के साथ दल के हित में जुट जाएगा।
जमाली ने किया बहन जी के भारी मतों से जीतने का दावा
मुबारकपुर के बसपा विधायक शाहआलम उर्फ गुड्डू जमाली का कहना है कि बहन जी जहां से चाहें वहां से चुनाव लड़ सकती हैं। उन्होंने दावा किया कि साथ ही वह जहां से लड़ेंगी वहीं से ऐतिहासिक मतों से जीत हासिल करेंगी। उन्होंने कहा कि अभी न तो बहन जी ने उन लोगों को खुद के यहां से चुनाव लडऩे के बाबत कोई निर्देश दिए हैं और न ही पार्टी मुख्यालय की ओर से ऐसा कोई फरमान आया है। फिलहाल यदि बहन जी आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगी तो इस बार देश का प्रधानमंत्री आजमगढ़ का होगा और ऐसा होना निश्चित रूप से आजमगढ़ का सौभाग्य होगा। विकास के नक्शे में आजमगढ़ भी मजबूती के साथ खड़ा दिखेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर पार्टी कार्यकर्ता के साथ आजमगढ़ का हर नागरिक उत्साहित होकर मतदान करेगा और बहन जी को ऐतिहासिक मतों से जिताकर संसद में भेजेगा।
गठबंधन धर्म का पालन करेंगे: इसरार
आजमगढ़ जिले के प्रमुख सपा नेता, रानी की सराय के ब्लाक प्रमुख एवं निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र के सपा प्रभारी इसरार अहमद का कहना है कि सुश्री मायावती कहां से चुनाव लड़ेंगी, यह उनकी अपनी मर्जी और उनके अपने दल का अंदरूनी मामला है। उन्होंने कहा कि यह जरूर है कि चाहे खुद सुश्री मायावती हों या बसपा का कोई अन्य लडऩे वाला कार्यकर्ता, हर समाजवादी पूरी ईमानदारी से गठबंधन धर्म का पालन करेगा। जिस तरह से सपा अपने उम्मीदवारों को मजबूती से लड़ाएगी उसी तरह से बसपा के हिस्से में आई सीटों के उम्मीदवारों को भी ऐतिहाासिक जीत दिलाने के लिए एड़ी-चोटी एक कर देगी। श्री अहमद ने कहा कि सपा-बसपा के गठबंधन से भाजपा घबराई हुई है। उन्होंने कहा कि इस बार देश में धर्मनिरपेक्ष सरकार बनेगी और वह आम आदमी के लिए काम करेगी।