रमजान के वेलकम में जगमगाया बाजार, सुरक्षा के पुख्‍ता इंतजाम

Update: 2016-06-05 06:09 GMT

सहारनपुर: रमजान को लेकर बाजारों में गहमागहमी शुरू हो गई है। इस माह का वेलकम करने के लिए बाजार पूरी तरह से सज गए हैं। सात जून से रमजान के इस पाक महीने की शुरुआत हो रही है। रमजान की तैयारी के लिए खरीददारों की भीड़ से बाजार जगमगा गए हैं। नमाज व तरावीह के लिए मस्जिदों को पूरी तरह तैयार किया जा रहा है। सुरक्षा को लेकर पुलिस- प्रशासन भी चौकन्‍ना हो गया है।

जगमगा गईं दुकानें

मस्जिदें हो गर्इं हैं तैयार

-शहर की सभी मस्जिदों में नमाज और तरावीह की तैयारियों के लिए साफ-सफाई व रंग-रोगन कर अंतिम रूप दिया जा चुका है।

-मस्जिदों में नमाजियों के लिए नई सफें बिछायी जा रही हैं।

-तरावीह और नमाज के दौरान पीने के लिए ठंडे पानी का खास इंतजाम किया गया है।

-रमजान में नमाजियों की बढ़ने वाली संख्या को देखते हुए नमाज अदा करने के लिए अलग से इंतजाम किए गए हैं।

-नगर निगम की ओर से मुस्लिम इलाकों में साफ-सफाई व प्रकाश व्यवस्था दुरुस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

-बाजारों में रमजान की तैयारी को लेकर रौनक खासी बढ़ चुकी है।

खरीददारों की लगी भीड़

फेनी, खजला, खजूर व फलों की खरीदारी शुरू

-रोजा रखने के लिए शहर के इलाकों में दुकानों पर फेनी, खजला, संवई,शीरमाल और बेकरियों पर डबल रोटी लेने वालों का तांता लगना शुरू हो गया है।

-इसके अलावा रोजा खोलने के लिए खजूर की खास खरीददारी भी की जा रही है।

-रोजा इफ्तारी के लिए जहां फलों में सेब, केला, आम, पपीता की खरीददारी की जा रही है।

-वहीं गर्मी के मौसम के मद्देनजर शरबत के लिए नींबू की लूट मच गई है।

खैरो बरकत का महीना है रमजान

-रमजान उल मुबारक खैर-ओ-बरकत का महीना है।

-रूह को ताजगी और ईमान को नूरानियत अता करने वाले इस मुकद्दस व मुबारक महीने का मोमिन पूरे साल इंतजार करते हैं।

-इस मुबारक महीने में 30 रोजे पूरे महीने तरावीह की पाबंदी, सदका और जकात, खैरात अदा की जाएगी।

-रमजान में अपने दिलों को हसद व किन्हा से पाक करके अल्लाह की बारगाह में इबादतों के साथ हाजरी देना खुशनसीबी और रश्क की बात है।

-इस मुबारक महीने में रोजमर्रा के काम-काज के साथ रोजों व तरावीह का अहतमाम करना चाहिए।

-बुरी नजर, बुरी बात कहने-सुनने से परहेज करना चाहिए।

-हुजूर ए अकरम सल्लाहू आलेही वसल्लम ने फरमाया है कि जन्नत को माहे शवाल से माहे रमजान शुरू होने तक पूरे साल सजाया व संवारा जाता है।

होती है रहमतों की बरसात

-नायब शहर काजी नदीम अख्तर ने बताया कि इस मुबारक महीने में अल्लाह की तरफ से उन पर बेहतरीन इनाम व रहमतों की बरसात होती है,

-जो लोग रमजान में दिल लगाकर इबादत करते हैं, लोगों को रोजा इफ्तार कराते हैं और तरह तरह के नेक कामों को अंजाम देते हैं।

-वह बताते हैं कि रोजा बहुत ही अहम इबादत है।

-रोजा सुबह सादिक से शुरू होकर गुरुबआफताब तक खाने -पीने और जिमा से रुकने को रोजा कहते हैं।

-रोजा सभी बालिग मुसलमान औरतों व मर्दों पर फर्ज है।

-अलबत्ता जो लोग मुसाफिर या सख्त बीमार हैं, उन्हें मजबूरी के तहत रोजा न रखने की इजाजत है लेकिन इन लोगों के लिए बाद में रोजे की कजा करना जरूरी है।

-हुजूर सल्लाहू आलेही वसल्लम ने फरमाया कि कोई बिना वजह रमजान का एक भी रोजा छोड़ेगा तो उसके सवाब का इतना बड़ा नुकसान है कि वह पूरी जिंदगी रोजा रखे तो माफ नहीं हो सकती।

रोजेदारों को नसीब होती है खुशियां

-रोजेदार को दो खुशियां नसीब होती हैं। एक तो जब वह रोजा इफ्तार करता है और एक जब वह अपने रब से मिलेगा।

-आप (सल्लाहु आलेहि वसल्लम) ने फरमाया कि रोजेदार के मुंह की बू , मुश्क और अंबर की खुशबू से भी ज्यादा अल्लाह ताला को प्यारी है।

-कयामत के दिन कब्रों से जब मुर्दों को उठाया जाएगा तो रोजेदारों की कर्ब्रों से बेहतरीन खुशबू फूटेगी,

-जिनसे रोजेदारों की पहचान होगी और उनके लिए आखरत में मगफिरत की बशारत की खुशखबरी सुनाई जाएंगी।

-यह खुशखबरी उन लोगों के लिए होगी, जो लोग रोजों को बोझ नहीं समझते।

-रोजे के दरमियान बदकलामी, गुस्सा, व बुरी नजर से बचकर रहते हैं।

-आप (सल्लाहू.) ने फरमाया कि अगर कोई रोजेदार से उलझे और गाली-गलौच करे या लड़ने पर अमादा हो तो उससे कह दें कि, मैं रोजेदार हूं, मुझसे इस तरह की बात न करें क्योंकि रोजा अल्लाह के लिए है।

-इसका सवाब अल्लाह ही जानता है, वो किसे कितना अता फरमाएगा।

रोजेदार के लिए सहरी खाना मसनून

-रोजा रखने के लिए सहरी खाना (रात के आखिरी हिस्से में कुछ खा लेना) मसनून है।

-हदीस शरीफ में सहरी की बड़ी फजीलत आई है तथा मुहम्मद सल्ल. का इरशाद है कि यहूद व नसारा (यहूदी और इसाई) और मुसलमानों के रोजों में सिर्फ

सहरी का ही फर्क है यानी वे सहरी नहीं खाते और हम खाते हैं।

-आप सल्ल़ ने फरमाया कि अल्लाह और उसके फरिश्ते सहरी खाने वालों पर रहमत नाजिल

फरमातें हैं।

-इस सुन्नत पर अमल करने के लिए एक दो छुवारे या सिर्फ पानी का एक घूंट पी लेना ही काफी है।

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