Kushinagar: लोहाटन कहे जाने वाले चनरदेव यादव का निधन, मां के लिए करते थे कठिन परिश्रम

Kushinagar News: लोहाटन के नाम से फेमस चनरदेव यादव की आज एक एक्सीडेंट में मौत हो गई है। उनके निधन से हर कहीं गम का माहौल दिखाई दिया।

Published By :  Shreya
Update: 2022-04-21 17:50 GMT

कार हादसा (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Kushinagar Accident News Today: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद (Kushinagar) में अपने कठिन परिश्रम करने के चलते लोहाटन के नाम से प्रसिद्ध रामकोला थाना क्षेत्र के परोरहा निवासी चनरदेव यादव (Chanardev Yadav) की आज एक एक्सीडेंट (Kushinagar Accident News) में मौत हो गई। बूढ़ी मां को दो वक्त का रोटी जुटाने वाला इस दुनिया से चल बसा। उनकी मौत की खबर सुनकर रामकोला (Ramkola) सहित पूरे क्षेत्र के लोगों शोकाकुल हो गए। कई मजदूरों के बराबर सुबह से शाम तक काम कर देते थे। देर शाम छोटी गंडक नदी (Gandak River) के तट पर अंतिम संस्कार (Funeral) कर दिया गया।

अपाहिज बुजुर्ग मां के लिए करता हाड़तोड़ मेहनत

रामकोला थाना क्षेत्र के गांव परोरहा निवासी चनरदेव यादव तीन भाइयों में मझले थे। उन्होंने शादी नहीं की थी। बुजुर्ग मां जो अपाहिज थी, उसी की सेवा और दवा के लिए कठिन परिश्रम करते थे। रामकोला नगर (Ramkola Nagar) से लेकर अन्य नगरों में जहां कहीं भी मकान बनता था,वहां ईंट ढोने का काम करते थे। चंद्रदेव यादव नवनिर्मित बहुमंजिला इमारतों तक पूरी ट्राली का ईंट ढोने का ठेका लेते थे। सुबह से शाम तक एक ट्राली ईंट आसानी से दूसरे मंजिल तक चढ़ा देते थे। लोग इनके मेहनत को देखकर लोहा टन कहते थे।


खुशमिजाज इतने थे कि जब तक ईट ढोते थे तब तक गाना गाते थे। रामकोला नगर ही नहीं पडरौना, कसया, कप्तानगंज आदि नगरों ईट ढुलाई के लिए प्रसिद्ध थे। उनके कठिन परिश्रम के सभी कायल थे आज पडरौना के निकट एक वाहन की ठोकर से एक कर्मठी, मातृ भक्त इस दुनिया से अलविदा हो गया।

काम तलाश से वापस आते वक्त हुआ हादसा

चनरदेव यादव काम की तलाश में लिए जनपद के किसी शहर में साइकिल से गीत गाते चले जाते थे। आज भी पडरौना मजदूरी के लिए गये थे। शायद काम नहीं मिलने से वापस घर आ रहे थे तथी भटवलिया के निकट एक लक्जरी गाड़ी ने ठोकर मार दिया। जिससे चनरदेव की मौत हो गई। पुलिस लाश को कब्जे ले ली।

कई नगरों के बहुमंजिला भवन से नाता रहा है चनरदेव यादव का

कुशीनगर जनपद के रामकोला, पडरौना, कसया ,कप्तान गंज जैसे नगरो के भवनो से चनरदेव का नाता रहा है। जब भी कोई व्यक्ति अपना दो मंजिला मकान बनवाता था तो चनरदेव को जरूर याद करता था। कारण स्पष्ट था कि जहाँ से सामान्य मजदूर काम करने से हट जाते थे वहा चनरदेव काम करने के लिए खड़े हों जाते थे। दुर्गम गलियो में पूरे ट्राली का ईट ढुलाई कर देते थे।

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