Chandauli Lok Sabha Election 2024: चंदौली लोकसभा सीट पर जमीनी मुद्दे रोक सकते हैं भाजपा का विजय रथ, जानें माहौल

Chandauli Loksabha Election 2024 Analysis: चंदौली में हर चुनाव में जातिवाद और क्षेत्रवाद हमेशा हावी रहता है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update: 2024-05-28 14:12 GMT

Chandauli Lok Sabha Election 2024 

Chandauli Lok Sabha Election 2024: पीएम मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी के पड़ोस में स्थित चंदौली जिला देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री , वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की जन्म स्थमली और यूपी के सीएम रहे कमलापति त्रिपाठी और टीएन सिंह की कर्मस्थवली रही है। इसके अलावा चंदौली जिले पर नक्स्लवाद का कलंक भी रहा है। चंदौली में हर चुनाव में जातिवाद और क्षेत्रवाद हमेशा हावी रहता है। लेकिन 2014 से यहां की बयार भाजपा के साथ बह रही है। गाजीपुर जिले के सैदपुर क्षेत्र के पाखपुनर गांव के मूल निवासी डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय यहां से भाजपा के सांसद हैं। चंदौली लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय जीत की हैट्रिक लगाने के लिए तीसरी बार चुनावी मैदान में संघर्ष कर रहे हैं।

लेकिन इस बार उनको चुनौती देने के लिए सपा की ओर से पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह मैदान में हैं। जबकि बसपा ने सत्येंद्र कुमार मौर्य को उम्मीदवार घोषित कर पिछड़ा कार्ड खेला है। चंदौली में मौर्य जाति के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्याम है। वहीं पीडीएम गठबंधन ने जवाहर बिंद को अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन यहां लड़ाई आमने सामने की देखने को मिल रही है। अबकी बसपा बेअसर है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में सभी दलों के बड़े नेता यहां सियासी हवा का रुख अपनी ओर मोड़ने के लिए ताबड़तोड़ जनसभाएं करने में जुटे हैं।

भाजपा उम्मीदवार के सामने कई चुनौती


जातीय चक्रव्यूह में घिरी चंदौली लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा उम्मीदवार को विपक्ष की ओर से कड़ी टक्कर मिल रही है। 2014 से लागातार सांसद रहे डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय इस बार नौबतपुर में तैयार मेडिकल कॉलेज, ट्रॉमा सेंटर और 500 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे फोर लेन रोड के अलावा मोदी-योगी के नाम व काम के प्रभाव पर यहां के जनता को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन महंगाई, बेरोजगारी और पेपर लीक के मामले के साथ ही पिछड़ेपन से जूझ रहे क्षेत्र में कोई भारी उद्योग कारखाना की व्यवस्था न कर पाना उनका पीछा ही नहीं छोड़ रहें। इसके अलावा क्षेत्र में हर साल होने वाली बाढ़ की समस्या से निजात नहीं दिलवा पाए हैं। 100 से अधिक गांव आज भी बाढ़ के दौरान गंगा कटान का दंश झेलते हैं। ‘धान का कटोरा’ कहा जाने वाला चंदौली क्षेत्र 27 साल बाद भी पिछड़ेपन से उबरा नहीं है। यहां के ज्यादातर निवासी खेती पर निर्भर हैं। लेकिन सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है। जिले की आवश्यंक बुनियादी सुविधाओं का हाल भी बद्दतर है । इसलिए क्षेत्रवासियों की नाराजगी देखने को मिल रही है। यहां के लोग जरूरी कामों के लिए पडोस के शहर वाराणसी पर निर्भर रहते हैं। यहां के लोगों को एशिया की सबसे बड़ी मछली मंडी और बेहतर सब्जीड उत्पासदन के लिए इंडो-इस्राइल एक्सिालेंस सेंटर की स्था पना का इंतजार है। हालांकि सिंचाई के साधन से लेकर पिछड़ेपन को दूर करने की बजाए चुनाव में विकास के मुद्दे पर जातीय समीकरण कहीं ज्यादा हावी है। 

सपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह को एंटी इनकंबेंसी पर भरोसा


सपा उम्मीदवार पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह मूलरूप से वाराणसी जिले के चिरईगांव क्षेत्र के रहने वाले हैं। सपा ने चंदौली से मैदान में उतारकर भाजपा के कोर वोटर माने जाने वाले क्षत्रिय मतदाताओं में गहरी पैठ बनाने का समीकरण तैयार किया है। हालांकि अभी तक वीरेंद्र सिंह क्षत्रिय समाज के लोगों में पैठ बनाने में जुटे हैं। परन्तु राजनीतिक जानकारों की मानें तो क्षत्रिय समाज के लोग अभी खुलकर किसी भी दल के साथ खड़े नहीं दिख रहे हैं। वाराणसी के ही रहने वाले वीरेंद्र क्षेत्रवासियों के लिए अंजान नहीं हैं। उनके कई कॉलेज व दूसरे कारोबार इसी क्षेत्र में हैं। गठबंधन होने से सपा के साथ ही कांग्रेसी भी वीरेंद्र सिंह की जीत के लिए पसीना बहाते दिख रहे हैं। फिलहाल वीरेंद्रे सिंह वर्तमान सांसद डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के खिलाफ चल रही एंटी इनकंबेंसी को भुनाने का काम कर रहे हैं। महंगाई व बेरोजगारी से क्षेत्र के निवासियों में भाजपा के प्रति आक्रोश है। भारी उद्योग मंत्री होने के बावजूद क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग न लगवाने और लोकसभा क्षेत्र में कम सक्रियता से डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के प्रति भी लोगों की नाखुशी है। क्षेत्रवासियों का तो यहां तक कहना है कि सांसद ही नहीं भाजपा विधायक भी जीतने के बाद बुनियादी सुविधाओं की बदहाली दूर करते नहीं दिखते।

बसपा उम्मीदवार सत्येंद्र कुमार मौर्य को स्वजातीय वोट पर भरोसा


बसपा उम्मीदवार सत्येंद्र कुमार मौर्य मूलरूप से वाराणसी जिले के अजगरा विधानसभा के गोसाईपुर मोहाव के निवासी हैं। युवा होने के साथ-साथ उन्होंने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने बसपा के कई पदों पर रहकर बहुजन समाज के लिए काम किया है। सत्येंद्र कुमार मौर्य क्षेत्र की बदहाल सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि दस सालों में पिछड़े जिले का कुछ भी विकास नहीं हुआ है।

पीडीएम गठबंधन उम्मीदवार जवाहर बिंद बैठा रहे जातिगत समीकरण


पीडीएम गठबंधन उम्मीदवार जवाहिर बिंद मूल रूप से गाजीपुर जिले के जमानियां इलाके के दरौली गांव के रहने वाले हैं। जवाहिर बिंद चंदौली सीट पर पीडीएम मोर्चा (पिछड़ा दलित मुस्लिम) की तरफ से प्रगतिशील समाज पार्टी के उम्मीदवार हैं। जवाहिर बिंद को चंदौली लोकसभा सीट पर बिंद बिरादरी के अलावा पिछड़ा दलित और मुस्लिम मतदाताओं पर विश्वास है। अब तक उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। जवाहिर बिंद करीब तीन दशक पूर्व उस वक्त चर्चा में आए थे। जब पूर्व सांसद रामकिसुन यादव का अपहरण हुआ था। उनके अपहरण में जवाहिर बिंद का नाम सामने आया था। इस घटना के अलावा जवाहिर बिंद के ऊपर धमकी फिरौती समेत दर्जन भर मामले दर्ज हैं। 

चंदौली लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण

चंदौली लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां करीब 3.50 लाख से अधिक दलित मतदाताओं के साथ 2.50 लाख यादव मतदाता हैं। जबकि 1.80 लाख अल्पसंख्यक हैं। वहीं अतिपिछड़ों की बात करें तो एक लाख 80 हजार राजभर, 80 हजार निषाद और 1.70 लाख कुशवाहा, 20 हजार पाल, 30 हजार कुंहार, 20 हजार भूमिहार शामिल हैं। इनके अलावा 2 लाख से अधिक गोंड, माली, चौरसिया, खरवार रावत, सोनार सहित आने छोटी-छोटी जातियां शामिल हैं। यहां ब्राह्मण और क्षत्रियों के भी ठीक-ठाक वोट हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा को 1,56,756 वोटों से शिकस्त देने वाले भाजपा के डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय 2019 के चुनाव में महज 13,959 वोट से जीत दर्ज किए थे। इस बार यहां की जनता जातीय समीकरण के साथ बहेगी या मोदी लहर के साथ यह तो 4 जून को पता चलेगा।

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