Loksabha Election 2024 : पूर्वांचल की इन सीटों पर मुख्तार की बोलती थी तूती, क्या बीजेपी को होगा फायदा ?

Loksabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के बीच पूर्वांचल की चर्चा तेजी से शुरू हो गई है, क्योंकि यहां की कई सीटों पर माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का सिक्का चलता था।

Written By :  Rajnish Verma
Update:2024-03-29 16:15 IST

Loksabha Election 2024 : पूर्वांचल की इन सीटों पर मुख्तार की बोलती थी तूती, क्या बीजेपी को होगा फायदा ?

Loksabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच घमासान तेज हो गया है। इस बीच पूर्वांचल की चर्चा तेजी से शुरू हो गई है, क्योंकि यहां की कई सीटों पर माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का सिक्का चलता था। बीते लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बावजूद इन सीटों पर भाजपा अपना विजय पताका नहीं फहरा पाई है, हालांकि अब माफिया मुख्तार का अंत हो चुका है तो क्या पूर्वांचल की जनता मुख्तार मोह से दूर होकर भाजपा के पक्ष में मतदान करेगी, इसका फैसला तो चार जून को ही पता चलेगा। 

पूर्वांचल की 7 सीटों पर मुख्तार का सिक्का चलता था

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का गढ़ माना जाता है, वह खुद मऊ से पांच बार विधायक रहा है। एक समय ऐसा था, जब वाराणसी, गाजीपुर, बल‍िया, जौनपुर, आजमगढ़, चंदौली और घोसी में उसकी तूती बोलती थी। इन जिलों में मुख्तार और उसके कुनबे का सीधा या आंशिक प्रभाव माना जाता था। पूर्वांचल की 12 लोकसभा सीटों में से लगभग 7 सीटों पर उसका सिक्का चलता था। बीते लोकसभा चुनावों में 7 में 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि वाराणसी, बलिया और चंदौली से ही सिर्फ कमल खिल पाया था।

बीजेपी की राह और हो गई आसान

बीते लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से एकतरफा जीत दर्ज की थी, उन्होंने कांग्रेस के अजय राय को हराया था। बलिया में भी भारतीय जनता पार्टी के वीरेंद्र सिंह मस्त ने समाजवादी पार्टी के सनातन पांडे को हराकर दिल्ली का रास्ता तय किया था। चंदौली लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने ही जीत दर्ज की थी। इस बार के चुनाव में भी भाजपा वाराणसी से नरेंद्र मोदी, चंदौली से महेंद्रनाथ को प्रत्याशी बनाया है, हालांकि बलिया से भाजपा, सपा और बसपा ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि अस बार मुख्तार अंसारी की मौत के बाद इन सीटों पर बीजेपी की राह और आसान हो गई है। 

क्या उपचुनाव में मिली हार को जीत में बदल पाएगी सपा ?

भारतीय जनता पार्टी ने आजमगढ़ से इस बार भी भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा है, जबकि समाजवादी गठबंधन ने धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया है। यह यादव बाहुल्य सीट है। बीते लोकसभा चुनाव 2019 में यहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2022 में अखिलेश ने करहल से विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जिसके बाद यह सीट खाली हुई थी। इस सीट पर हुए उपचुनावों में भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी, अब ऐसे में देखना होगा क्या उपचुनाव में मिली हार को धर्मेंद्र यादव जीत में बदल पाएंगे। 

बीजेपी के वोट बैंक में दिख रही बढ़ोतरी

भारतीय जनता पार्टी ने जौनपुर से कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि घोसी सीट सुभासपा के खाते में है, यहां से ओमप्रकाश राजभर ने अपने बेटे अरविंद राजभर को उतारा है। वहीं, सपा ने घोसी से राजीव राय को टिकट दिया है, जबकि बलिया, जौनपुर सीट पर सपा ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। बीते 2019 के चुनाव में जौनपुर से बसपा प्रत्याशी श्याम सिंह यादव ने भाजपा के कृष्ण प्रताप सिंह को हराया था। वहीं, घोसी सीट पर बहुजन समाज पार्टी के अतुल राय ने बीजेपी के हरिनारायण राजभर को हराया था। क्या इस बार भाजपा जौनपुर, घोसी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर पाएंगी, अभी यह कहना मुश्किल है। हालांकि मीडिया सर्वे में पूर्वांचल की इन सीटों पर बीजेपी का वोट बढ़ता हुआ नजर आ रहा है।

क्या इस बार विपक्ष के गढ़ में भगवा लहराएगा

समाजवादी पार्टी गठबंधन ने गाजीपुर से मुख्तार अंसारी के भाई मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी को ही टिकट दिया है। पिछली बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर ही अफजाल ने दिल्ली का रास्ता तय किया था, क्योंकि तब सपा-बसपा के समझौते के तहत यह सीट बसपा के खाते में गई थी। इस बार के चुनाव के लिए भाजपा और बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस सीट को लेकर सभी की नजर है। भाजपा गाजीपुर सीट को लेकर कोई मास्टर प्लान तैयार कर रही है, ताकि विपक्ष के इस गढ़ पर भगवा फहर सके। हालांकि माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद यहां बीजेपी को फायदा हो सकता है। पहले मुख्तार के डर के कारण काफी वोटर विरोध नहीं कर पाते हैं।

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