Loksabha Election 2024: एमपी में लोकसभा चुनाव भी मजबूती से लड़ेगी सपा, बुंदेलखंड की सीटों पर रहेगा फोकस

Loksabha Election 2024 : विधानसभा चुनाव के बाद अब सपा ने एमपी में लोकसभा चुनाव मजबूती से लड़ने का फैसला किया है। पार्टी ने बुंदेलखंड में दफ्तर के लिए खजुराहो में जमीन खरीदी है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-12-02 12:45 IST

Akhilesh Yadav (Photo: Social Media)

Loksabha Election 2024. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव के बाद अब मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव भी पूरे दमखम के साथ लड़ने के मूड में हैं। एमपी में कांग्रेस से गठबंधन न होने पर उन्होंने कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी का इजहार किया था। उन्होंने इशारों में कांग्रेस को 2024 के आम चुनाव और फिर यूपी के चुनाव को लेकर आगाह कर दिया था। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर भी उतने ही हमलावर नजर आए।

सपा मुखिया ने चुनाव के दौरान साफ कर दिया था कि अब वे एमपी में पार्टी के संगठन को खड़ा करने की पूरी कोशिश करेंगे। विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी से सटी सीटों पर जोरदार प्रचार अभियान चलाने के बाद अब उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उनकी नजर बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल की उन सीटों पर है, जिनकी सीमा यूपी से लगती है।

दफ्तर बनाने के लिए सपा ने खरीदी जमीन

अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव लड़ने के पीछे कितना गंभीर हैं, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी पार्टी ने खजुरोहा में जमीन खरीदकर रजिस्ट्री कराई है। यहां पर सपा का दफ्तर खोला जाएगा। यहीं पर लोकसभा चुनाव के लिए बुंदेलखंड की सीटों पर रणनीति बनेगी। सपा सूत्रों की मानें तो एमपी की छह से सात सीटों पर अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ने का मन बनाया है।

इंडिया गठबंधन में चौड़ी हो सकती है दरार

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सपा और कांग्रेस नेताओं के बीच हुई तीखी बयानबाजी ने इंडिया गठबंधन के अंदर मौजूद कलह को सार्वजनिक कर दिया था। अखिलेश यादव जहां कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगा रहे थे। वहीं, कांग्रेस नेता उनपर एमपी में अपना कैंडिडेट उतारकर बीजेपी की मदद करने का आरोप लगा रहे थे। सपा मुखिया के अंदर एमपी में कांग्रेस से गठबंधन न होने की टीस अभी भी बताई जा रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में उम्मीदवार खड़ा करने के उनके फैसले से कांग्रेस के साथ उनकी तनातनी और बढ़ने की उम्मीद है। निश्चित तौर पर इसका असर राष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी को रोकने के लिए बने इंडिया गठबंधन की सेहत पर जरूर पड़ेगा।


बता दें कि कांग्रेस से गठबंधन की संभावना समाप्त होने के बाद सपा ने मध्य प्रदेश में धड़ाधड़ 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए थे। इनमें कई ऐसी सीटें भी थीं, जहां से राज्य के कद्दावर कांग्रेस नेता चुनाव लड़ रहे थे। इतना ही नहीं अखिलेश यादव अपनी चुनावी सभाओं में कांग्रेस को एक ‘चालू पार्टी’ बताकर जनता से उसे वोट न देने की अपील कर रहे थे।


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