लव जिहाद पर योगी सरकार को झटका! प्रेमियों को राहत, HC ने सुनाया ये फैसला

अंतर धार्मिक विवाह करने वाले प्रेमियों को शादी के लिए रजिट्रेशन कराना होता है। इसके लिए उन्हें शादी से पहले नोटिस प्रकाशित करनी पड़ती है और अपनी पहचान बतानी पड़ती है।

Update: 2021-01-13 14:42 GMT

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को लेकर आ रहे मामलों के बीच अपनी मर्जी से अंतर धार्मिक शादी करने वाले जोड़ो को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। इसके तहत कोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया कि दो अलग धर्मों के जोड़ों को शादी के लिए नोटिस लगाना अनिवार्य नही होगा।

अंतर धार्मिक विवाह पर आदेश

दरअसल, अंतर धार्मिक विवाह करने वाले प्रेमियों को शादी के लिए रजिट्रेशन कराना होता है। इसके लिए उन्हें शादी से पहले नोटिस प्रकाशित करनी पड़ती है और अपनी पहचान बतानी पड़ती है।

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कोर्ट ने इसे इसे स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए बुधवार को सुनवाई में आदेश दिया कि इस तरह की शादी के लिए नोटिस लगाना अनिवार्य नहीं होगा।

शादी से पहले आपत्तियां मांगना गलत

प्रेमी जोड़ों को राहत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने शादियों से पहले नोटिस प्रकाशित होने और उस पर आपत्तियां मंगाने को गलत माना है।

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विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को गलत बताते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी की दखल के बिना पसंद का जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। ऐसें अगर शादी करने वाला जोड़ा अपनी पहचान का ब्यौरा नहीं देना चाहते, तो उनके पास विकल्प है कि वह इसे सार्वजनिक न करें।

कोर्ट ने आदेश दिया कि इस तरह की शादियों में सूचना प्रकाशित कर उस पर लोगों की आपत्तियां न ली जाएं। इसके साथ कोर्ट ने अंतर धार्मिक शादी करने वाले अधिकारी को विकल्प दिया कि वह दोनों पक्षों की पहचान, उम्र और अन्य तथ्यों को सत्यापित कर ले।

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