'सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान' का शुभारंभ, राज्यपाल बोलीं- टीबी हारेगा, देश जीतेगा
अब तक 12000 से अधिक बाल क्षय रोगियों को गोद लिया जा चुका है और इनमें से बहुत से बच्चे स्वस्थ हुये हैं। ये अभियान अभी भी जारी है। इस अवसर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रसारण किया गया।
लखनऊ:क्षय रोग एक गम्भीर बीमारी है ये हम सभी के लिये चुनौती बनी हुई है। इसे हराने के लिये हमे सुनियोजित तरीके से कार्य योजना बनानी होगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और देश को टी0बी0 मुक्त बनाना है। इसके लिये हमें वृद्धाश्रम, नारीगृह, कारागार, मलिन एवं श्रमिक बस्तियां, आंगनवाड़ी केन्द्र तथा प्राथमिक विद्यालयों में क्षय रोग से ग्रसित मरीजों को गंभीरतापूर्वक चिन्हित करना होगा। राज्यपाल ने कहा कि उचित होगा कि इस अभियान से टीबी के साथ-साथ एचआईवी तथा कुपोषित बच्चों को भी जोड़ा जाय।
‘सक्रिय क्षय रोग खोज अभियान
ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 2 जनवरी से 12 जनवरी तक चलने वाले ‘सक्रिय क्षय रोग खोज अभियान’ के शुभारम्भ अवसर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में कहीं। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना के समय स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा अच्छा कार्य किया गया है। इसका कारण था कि सरकार तथा उसकी टीम के साथ-साथ जनता द्वारा भी सहयोग किया गया। उन्होंने बताया कि वाराणसी में स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से सूची बनाकर कुपोषित एवं क्षय रोग ग्रसित बच्चों को गोद लेकर उसकी देखभाल की गयी।
ऐसे बच्चों को अनेक अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया तथा उचित देखभाल एवं पोषण के कारण अनेक बच्चे स्वस्थ भी हो गये हैं, ये एक बहुत अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से सभी जिलों के अधिकारियों को इस पुनीत कार्य में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए वे प्रभावित बच्चों तथा उनके माता-पिता से मिलें, संवाद बनाये रखें तथा उनकों मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास करें उनके लिये फल, मिठाई आदि लेकर उनके घर जायें इस प्रकार वे भावनात्मक रूप से जुड़ेंगे और 6-7 माह में अनेक बच्चे टी0बी से बाहर निकल जायेंगे।
आर्थिक मदद दी गयी
राज्यपाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि अभियान के तहत प्रभावित परिवारों को जो आर्थिक मदद दी गयी है और लगातार दी भी जा रही है फिर भी अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। अतः दी जाने वाली मदद की मानीटरिंग भी समय-समय पर करें ताकि आर्थिक मदद का उपयोग कुपोषित या टीबी ग्रस्त बच्चों को ही मिले। उचित होगा कि इस कार्य से ग्राम प्रधानों को भी जोड़ा जाय। ग्राम प्रधानों को जिम्मेदारी दें तथा उन्हें मेरा गांव स्वच्छ गांव, मेरा गांव स्वस्थ गांव तथा मेरा गांव समृद्ध गांव की भावना के लिये प्रेरित करें। उनकी प्रेरणा एवं प्रोत्साहन से इस अभियान को गति तथा नयी दिशा मिलेगी।
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राज्यपाल ने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि किसान, गरीब, महिलाएं एवं बच्चे सभी इस अभियान से जुड़े। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा इस दिशा में किये गये प्रयासों की तारीफ की और अधिकारियों को 2025 तक टीबी मुक्त प्रदेश बनाने के लिये हर स्तर पर कड़ी मेहनत करने के निर्देश दिये।
अभियान घर-घर चलाया जायेगा
इस अवसर पर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में ये अभियान घर-घर चलाया जायेगा ताकि एक भी टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति छूटने न पाये। चिन्हीकरण के पश्चात उनके समुचित जांच एवं उपचार की व्यवस्था की गयी है ताकि प्रदेश टीबी मुक्त हो सके। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। कोविड के कारण इसके कार्य की गति प्रभावित हुई थी लेकिन अब सक्रिय मरीज चिन्हीकरण के कार्य में गति आयी है। उन्होंने बताया कि 443 टीबी रोगियों का उपचार किया गया, जिसमें एक मरीज नेपाल से भी था।
12 जनवरी तक टीबी रोग से ग्रसित रोगियों का चिन्हीकरण
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में डिजिटल लांचिंग के माध्यम से 12 जनवरी तक टीबी रोग से ग्रसित रोगियों का चिन्हीकरण अभियान चलेगा। लक्ष्य 2020 में 6 लाख रोगियों के सापेक्ष 349549 टीबी मरीज चिन्हित किये गये, जो कि विगत वर्ष की तुलना में 28 प्रतिशत कम है। वर्तमान में कार्य में गति आयी है और प्रतिमाह 30,000 रोगी पंजीकृत किया जा रहे है ।
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उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण टीबी चिन्हीकरण का कार्य प्रभावित हुआ था। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने बताया निःक्षय पोषण योजना के तहत 7.3 लाख क्षय रोगियों को 177.03 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गया तथा अब तक 12000 से अधिक बाल क्षय रोगियों को गोद लिया जा चुका है और इनमें से बहुत से बच्चे स्वस्थ हुये हैं। ये अभियान अभी भी जारी है। इस अवसर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रसारण किया गया।
रिपोर्टर- श्रीधर अग्निहोत्री