Serious matter: राजधानी लखनऊ में हजारों कोरोना मरीज गायब

जांच में मिले थे संक्रमित मगर पता और मोबाइल नंबर निकला गलत

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Pallavi Srivastava
Update: 2021-05-24 07:55 GMT

लखनऊ। कोरोना संकटकाल में प्रदेश की राजधानी लखनऊ से चैंकाने वाली खबर सामने आई है। राजधानी में कोरोना संक्रमित 8876 मरीज गायब हो गए हैं। दरअसल आरटीपीसीआर जांच में ये सभी लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे मगर इन लोगों का पता गलत निकला है। इनमें से अधिकांश लोगों का मोबाइल नंबर भी गलत दर्ज है और इनसे मोबाइल पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। इन मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में किया गया था। पता गलत पाए जाने के बाद अब इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। लोहिया संस्थान में सबसे ज्यादा मरीजों का गलत डेटा दर्ज किया गया है।


नोडल अधिकारी रोशन जैकब ने लिखा पत्र

कोविड-19 को लेकर लखनऊ की नोडल अधिकारी बनाई गई रोशन जैकब ने चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक को पत्र लिखकर इन मरीजों का डेटा गलत होने की जानकारी दी है। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के घर कोरोना किट भेजने का प्रावधान है। मरीजों की ओर से दर्ज कराए गए गलत पते पर ही कोरोना किट भेजी जा रही है। मजे की बात यह है कि गलत पते पर भेजे जाने के बावजूद इन किटों को वापस भी नहीं किया जा रहा है।


सबसे ज्यादा मामले लोहिया संस्थान के

लखनऊ की नोडल अधिकारी रोशन जैकब के पत्र से पता चला है कि गलत पते वाले सबसे ज्यादा मरीजों ने लोहिया संस्थान में जांच कराई थी। लोहिया संस्थान में जांच कराने वाले 4049 मरीजों का डेटा गलत निकला है। केजीएमयू में जांच कराने वाले 3749 और पीजीआई में जांच कराने वाले 1078 मरीजों का डेटा गलत निकला है। इन मरीजों की जांच 1 मई से 20 मई के बीच की गई थी।


गलती के पीछे अफसरों का तर्क

मरीजों का डेटा गलत होने के पीछे प्रशासन की ओर से भी तर्क दिया जा रहा है। विभाग के अफसरों के मुताबिक कोरोना की जांच कराने वाले कई लोग जानबूझकर गलत पता दर्ज करा देते हैं। वे संक्रमित होने पर भी प्रशासन की नजरों से दूर रहना चाहते हैं ताकि उनके घरों पर पोस्टर न लग सके। अफसरों का यह भी कहना है कि कई मामलों में अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारी भी गलत डेटा फीड कर देते हैं। जांच कराने वालों की अस्पतालों में काफी भीड़ होती है और कई बार भीड़ की वजह से भी गलत डेटा दर्ज हो जाता है। कुछ समय पहले निजी अस्पतालों में भी तमाम मरीजों का पता गलत दर्ज होने का मामला सामने आया था।


मरीजों के मोबाइल नंबर भी गलत

मरीजों का पता गलत दर्ज होने से अभी तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि पॉजिटिव पाए गए ये लोग कोरोना से जंग लड़ने में कामयाब हो चुके हैं या नहीं। इस कारण पोर्टल से ऐसे लोगों का नाम भी नहीं हटाया जा सका है। इन लोगों से मोबाइल पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा है क्योंकि अधिकांश लोगों ने अपना मोबाइल नंबर भी गलत दर्ज कराया है।


धीमी पड़ी संक्रमण की रफ्तार

दूसरी लहर के दौरान राजधानी लखनऊ में कोरोना का जबर्दस्त कहर दिखा है। मरीजों की संख्या काफी ज्यादा होने के कारण कई दिनों तक अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा रहा। ऑक्सीजन व बेड की समस्या के कारण भी तमाम लोगों की मौत हो गई। हालांकि अब राजधानी में संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ चुकी है। 24 घंटे के दौरान लखनऊ में 295 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक लखनऊ में 2.36 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।

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