Lucknow News: अवध प्राइड यात्रा, ट्रांसजेंडर बोले- हमें भी चाहिए समाज में बराबरी का दर्जा

Lucknow News: मार्च ट्रांसजेंडर समुदाय, समलैंगिकों, लेस्बियन्स, उभयलिंगियो, इंटरसेक्स, अलैंगिक, क्वीअर, लिंग की पुष्टि नहीं करने वाले, हिजड़ा और किन्नर समुदाय तथा LGBTQIA+ समुदाय के हर सदस्य के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए निकाला गया था।

Written By :  Anant kumar shukla
Update:2023-02-26 18:04 IST

Lucknow eunuchs Awadh Pride Yatra

Lucknow News: लखनऊ के दैनिक जाकरण चौराहे से 1090 तक किन्नरों ने 7वें प्राइड मार्च निकाला। यह मार्च ट्रांसजेंडर समुदाय, समलैंगिको, लेस्बियन्स, उभयलिंगियो, इंटरसेक्स, अलैंगिक, क्वीअर, लिंग की पुष्टि नहीं करने वाले, हिजड़ा और किन्नर समुदाय तथा LGBTQIA+ समुदाय के हर सदस्य के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए निकाला गया था।

हम अपने अस्तित्व का जश्न मना रहे हैं


रैली में शामिल किन्नरों ने बताया कि यह मार्च विवाह के अधिकार, गोद लेने के अधिकार, अपने परिवारों की मान्यता के लिए है। हम अपने अस्तित्व का जश्न मना रहे हैं। ये मार्च उस कानून के खिलाफ जो ट्रांस और इंटरसेक्स लोगों को लक्षित करता है। संस्थानों में ट्रांस लोगों के लिए आरक्षण, समुदाय की रक्षा के लिए नीतिगत बदलाव और सरकार द्वारा इन सिद्धांतों के कार्यान्वयन की मांग की गई। किन्नर समुदाय ने कहा हम सरकार के भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी प्रथाओं की निंदा करता है।


अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के खिलाफ मार्च

यह मार्च सिर्फ मुसलमानों, दलितों, बहुजनों, आदिवासियों और ईसाइयों तक सीमित नहीं था। यह उन् सभी समुदायों के लिए है जिन्हे कभी न कभी किसी भी रूप में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।

यह मार्च उन लोगों के लिए भी थी जो कोविड महामारी से हार गए हैं, जिसने समलैंगिक और ट्रांस लोगों को असमान रूप से प्रभावित किया है। उन्होने चिकित्सा संस्थानों द्वारा भेदभाव के खिलाफ, सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा और गरिमा की मांग की।

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मार्च में मानसिक स्वास्थ्य के लिए, विकलांग लोगों, जटिल बीमारी ग्रसित लोगों, एसिड अटैक सर्वाइवल, HIV पॉजिटिव व्यक्तियों के अधिकारों की मांग की गई। यौन हिंसा को समाप्त करने के लिए और सरवाईवर्स को समर्थन किया गया।

शक्ति प्रदर्शन


रीतू ने कहा कि 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने पुनह धारा 377 लागू किया था। जिसमे कहा गया था कि किन्नर समाज अति अल्प मात्रा में है। इनके अधिकार जाए तो जाए। ये यात्रा उसके खिलाफ भी अपनी उपस्थीती दर्ज कराने के लिए किया जा रहा है। इस समाज में जितना अधिकार पुरूषों का है, उतना ही हम किन्नरों का और उतना ही हिजड़ों का। इस मार्च के माध्यम से हम अपनी ताकत दिखा रहे हैं कि हम भी किसी से कम नहीं है। हम भूत में भी थे, वर्तमान मेंभी हैं और भविष्य में भी रहेंगे।

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