लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कला-साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पिछले 4 सालों से आयोजित किए जा रहे लिटरेचर फेस्टिवल की शुरूआत के पहले दिन जहां किताबों, महिलाओं और सिनेमा पर डायरेक्टर अनुभव सिन्हा, वाणी कपूर और गुरु प्रकाश जैसी हस्तियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए, वहीं व्यंग्य संध्या में मशहूर लेखक अशोक चक्रधर ने इसके कई पहलुओं पर प्रकाश डाला।
लखनऊ एक्सप्रेशन सोसाइटी की तरफ आयोजित होने वाला यह फेस्टिवल 17 नवंबर को शुरू हुआ था और 19 नवंबर तक लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चलेगा।
लखनऊ लिटरेचर फेस्टिवल में लोकल, नए राइटर्स और दुनिया भर में साहित्य जगत से जुड़े कई फेमस लोगों को सोसाइटी के सामने आने का डायरेक्ट मौक़ा मिलता है और लोग भी उनके सामने अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। सांस्कृतिक अनुभवों के अलग-अलग रंगों को पुराने और नए लोगों के साथ जुड़ने का मौक़ा मिलता है।
व्यंग्य एक करुणा है - अशोक चक्रधर
पद्म श्री पुरूस्कार जीत चुके मशहूर कवि और व्यंग्यकार अशोक चक्रधर ने लखनऊ लिटरेचर फेस्टिवल में लोगों से रूबरू होते हुए उन्हें व्यंग्य का स
ही मतलब समझाया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि किसी का मजाक उड़ाकर उसपर हंसना व्यंग्य नहीं होता है। व्यंग्य तो एक करुणा है व्यंग्य खुद पर किया जाता है, तब यह सार्थक होता है।
व्यंग्य आसान नहीं नहीं है चाटुकार व्यक्ति कभी व्यंग्यकार नहीं हो सकता है। इसके लिए आपको सत्ता से खासी दूरी बनाकर रखनी पड़ेगी क्योंकि यह त्रेता युग नहीं, नेता युग है। कबीर युग से लेकर आज तक के व्यंग्य में आए बदलाव को लेकर उन्होंने कहा उस समय के व्यंग्य को हास्य का सहारा नहीं लेना पड़ता था बल्कि वह कटाक्ष होता था। पर आज ऐसा नहीं है।
19 नवंबर को शबाना आजमी, जावेद अख्तर, सागरिका घोष, राजदीप सरदेसाई, बुलबुल गोडियाल, किरण चोपड़ा, पंकज कपूर जैसी हस्तियां शिरकत करने वाली हैं।