लखनऊ: नवरात्रि में जरूर करें मां चंद्रिका देवी के दर्शन

यहाँ पर नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ इक्कट्ठा होती है, ये श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए ना जाने कितनी कितनी दूर से आते हैं और दर्शन करके खुद को धन्य समझते हैं। यहाँ पर नवरात्रि में आये हुए हर एक इंसान की एक ही ख्वाइश होती है, कि उसे माता के दर्शन अच्छी तरह से हो जाये और वह अपनी विनती माता के सामने रख दे।

Update: 2019-04-12 09:43 GMT

लखनऊ: भारत वर्ष में देवी देवताओं को सबसे बड़ा माना जाता है, लोग भगवानों की पूजा करने के लिए ना जाने कितने किलोमीटरों की यात्रा हंसी खुशी कर लेते हैं। इस वक़्त नवरात्रि पूरे भारत में जोर शोर से मनाई जा रही है तो इस मौके पर माता दुर्गा की पूजा हर किसी के घर में होना लाजिमी है।

लोग मंदिरों में भी जाकर पूजा करते हैं, ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है- नवदुर्गाओं की सिद्धपीठ चन्द्रिका देवी धाम।

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यहाँ पर नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ इक्कट्ठा होती है, ये श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए ना जाने कितनी कितनी दूर से आते हैं और दर्शन करके खुद को धन्य समझते हैं।

यहाँ पर नवरात्रि में आये हुए हर एक इंसान की एक ही ख्वाइश होती है, कि उसे माता के दर्शन अच्छी तरह से हो जाये और वह अपनी विनती माता के सामने रख दे।

नवरात्रि में दर्शन शुभ माना जाता है-

करीब बीच लखनऊ से 30 किमी की दूरी पर सीतापुर रोड स्थित इस मंदिर का अपना अलग ही महत्व है लेकिन यहाँ पर नवरात्रि के दिनों में दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है। लोग नवरात्रि में आकर यहाँ पर मां चंद्रिका देवी की उपासना करने के साथ ही हवन भी करते हैं, जिससे उनके घर में सुख समृद्धि बनी रहे।

चुनरी बांधकर मनौती मांगने की प्रथा

यहाँ पर जो लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, वो अपने साथ एक चुनरी जरूर लाते हैं जिसे मंदिर के पीछे या फिर अगल बगल बनी जगहों पर बांधकर अपनी मन्नत मांगते हैं। यहाँ पर आए हुए लोगों की मान्यता है कि वो जो भी मन्नत में मांगते है वह पूरा होता है। इसी बात को हजारों श्रद्धालु मानकर यहाँ पर दर्शन के लिए आते हैं और माता के दर्शन करके चले जाते हैं।

अभिलेखों में नहीं है दर्ज

यहाँ पर उपस्थित महीसागर संगम तीर्थ को पांच एकड़ वाले तालाब के रूप में कागजों में दर्ज किया गया है, जिससे यहां के लोगों में नाराजगी दिखाई देती है। यहां पर मौजूद ठेले और दुकान वालों का कहना है कि इस पौराणिक तीर्थ को सरकार अपने अभिलेखों में दर्ज कराए।

चौक के लोग हैं सबसे बड़े भक्त

एक रिपोर्ट के मुताबिक और हिन्दी साहित्य के उपन्यास सम्राट स्व. अमृतलाल नागर की उपन्यास 'करवट' के अनुसार, अमावस्या के दिन और उसकी पूर्व संध्या को माँ चन्द्रिका देवी के दर्शनार्थियों में सर्वाधिक संख्या लखनऊ के चौक क्षेत्र के देवीभक्तों की होती है। वहीं उपन्यास 'करवट' में चन्द्रिका देवी की महिमा का बखान किया गया है, जिसमें उपन्यास का नायक बंशीधर टण्डन चौक इलाके से देवी को प्रसन्न करने के लिए हर अमावस्या को चन्द्रिका देवी के दर्शन करने जाता था।

इतिहास भी है गवाह

कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव और द्रोपदी यहां पर रुके थे तब महाराजा युधिष्ठिर ने यहाँ अश्वमेध यज्ञ कराया, जिसका घोड़ा चन्द्रिका देवी धाम के निकट राज्य के तत्कालीन राजा हंसध्वज द्वारा रोके जाने पर युधिष्ठिर की सेना से उन्हें युद्ध करना पड़ा था।

तो द्वापर युग में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने माँ चन्द्रिका देवी धाम स्थित महीसागर संगम में तप किया था। चन्द्रिका देवी धाम की तीन दिशाओं उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में गोमती नदी की जलधारा प्रवाहित होती है, एवं पूर्व दिशा में महीसागर संगम तीर्थ स्थित है।

लोगों का कहना है कि महीसागर संगम तीर्थ में कभी भी जल का अभाव नहीं होता और इसका सीधा संबंध पाताल से है। आज भी करोड़ों भक्त यहाँ महारथी वीर बर्बरीक की पूजा-आराधना करते हैं।

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नवदुर्गाओं की सिद्धपीठ चन्द्रिका देवी धाम में एक विशाल हवन कुण्ड, यज्ञशाला, चन्द्रिका देवी का दरबार, बर्बरीक द्वार, सुधन्वा कुण्ड, महीसागर संगम तीर्थ के घाट आदि आज भी दर्शनीय हैं।

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