Lucknow: राशन कार्ड धारकों से वसूली का शासनादेश गरीबों के साथ छलावा, बोली आराधना मिश्रा

Lucknow: रविवार को कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला। आराधना मिश्रा मोना ने आरोप लगाया है कि चुनावी लाभ के लिए बीजेपी सरकार ने गरीबों से ऐसा छल किया है जिसकी दूसरी मिसाल नहीं है।

Update: 2022-05-22 11:53 GMT

कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा। (Social Media)

Lucknow: राशन कार्ड के लिए तय किए गए मानक को लेकर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। रविवार को प्रदेश कार्यालय पर कांग्रेस विधानमंडल दल (Congress Legislature Party) की नेता आराधना मिश्रा (Leader Aradhana Mishra) उर्फ मोना ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर बीजेपी सरकार (BJP Government) पर हमला बोला। उन्होंने कहा पहले इस सरकार ने राशन देकर अपनी पीठ थपथपाई और अब इसके लिए मानक तय किए जा रहे हैं। आराधना मिश्रा मोना (Leader Aradhana Mishra) ने आरोप लगाया है कि चुनावी लाभ के लिए बीजेपी सरकार (BJP Government) ने गरीबों से ऐसा छल किया है जिसकी दूसरी मिसाल नहीं है।

सरकार को इस मसले पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए: आराधना मिश्रा

आराधना मिश्रा ने कहा कि इस मुद्दे को विधानसभा में पार्टी की ओर से ज़ोर-शोर से उठाया जाएगा। सरकार को इस मसले पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। इस शासनादेश ने बीजेपी का असली चाल, चरित्र और चेहरा एक बार फिर बेपर्दा कर दिया है। मोना ने कहा कि भाजपा के सभी नेता और खुद प्रधानमंत्री ये बार बार जताने से नहीं चूकते कि कैसे उन्होंने कोरोना काल के दौरान मुफ्त राशन बांटा, लेकिन असलियत तो ये है कि लोगों को दो जून की रोटी भी चुनावों को ध्यान में रखकर दी गई थी और अब जब चुनाव खत्म हो गया है तो लोगों के पेट पर लात मारने की तैयारी भी पूरी हो चुकी है।

गरीबी दूर करने के बजाय मोदी सरकार में गरीब बने रहने में ही फायदा: कांग्रेस विधायक

कांग्रेस विधायक ने कहा शासनादेश में साफ तौर से कहा गया है कि नए नियमों के तहत राशन कार्ड के लिए पात्र मात्र वह लोग होंगे जिनकी खुद की कोई जमीन न हो, पक्का मकान न हो, भैस, बैल, ट्रैक्टर ट्रॉली ना हो, मोटरसाइकिल न हो, मुर्गी पालन और गौ पालन न करता हो, शासन की ओर से कोई वित्तीय सहायता न मिलती हो, बिजली का बिल न आता हो, जीविकोपार्जन के लिए कोई आजीविका का साधन न हो। मतलब गरीबी दूर करने के बजाय मोदी सरकार में गरीब बने रहने में ही फायदा है।

जबकि शासनादेश कहता है कि ऐसे तमाम मानक के चलते अपात्र घोषित लोगों का राशन कार्ड तुरंत निरस्त कर दिया जायेगा। अगर यह तथाकथित अपात्र स्वयं राशन कार्ड नहीं दे देते हैं तो इनसे कोरोना जैसी महामारी के दौरान दिए हुए राशन की वसूली और कुर्की तक की जाएगी। आंकड़े बताते हैं कि देश के 84 प्रतिशत लोगों की आय कम हो गई है, लोगों की नौकरियां नष्ट हो गयीं, महंगाई से लोगों की कमर टूट रही है और उस दौरान यह निर्णय लिया गया है की कोई भी राशन कार्ड वाला अगर अपात्र पाया जाता है तो उससे वसूली छोटे मोटे दाम पर नहीं बल्कि 24 रुपये प्रति किलो गेहूं, 32 रुपये प्रति किलो चावल पर होगी। यही नहीं नमक, दाल और खाने के तेल की वसूली तो बाजार के रेट पर होगी। यह योगी सरकार की क्रूरता और संवेदनहीनता का जीता-जागता सबूत है।

यूपी में 15.20 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलना चाहिए राशन

विधायक ने कहा कि 2013 का खाद्य सुरक्षा कानून साफ़ तौर से यह अंकित करता है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 79.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 64.4 प्रतिशत लोगों को खाद्य सुरक्षा का फायदा पहुंचना चाहिए। अप्रैल 2022 की फूड ग्रेन बुलिटन जो कि भारत सरकार जारी करती है के अनुसार उत्तर प्रदेश में 15.20 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन मिलना चाहिए। तो अब सवाल ये भी है कि वाकई में कितने लोगों को राशन दिया गया? राशन कार्डों को निरस्त करने की जो प्रक्रिया चल रही है, इससे कितने लोग खाद्य सुरक्षा के फायदे से वंचित हो जायेंगे और क्या उत्तर प्रदेश की सरकार जो खाद्य सुरक्षा अधिनियम का क़ानूनी ज़रूरत है, उतने लोगों को खाद्य सुरक्षा देने का प्रबंध कर रही है?

उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले जो लोग फ्री राशन से बने लाभार्थियों की संख्या बताने से नहीं चूकते थे, अनाज के झोलों पर अपनी तस्वीरें छपवाकर लोगों को लुभाते थे और भारत की जनता पर अहसान लादने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे। आज चुनाव खत्म होते ही करोड़ों लोगों के मुंह से निवाला छीनने पर क्यों आमादा हो गए? क्या लोगों का पेट सिर्फ वोटों के लिए भरा जा रहा था और अब जब चुनाव ख़त्म तो गरीब को भूखा मरने के लिए छोड़ दिया जायेगा? कांग्रेस पार्टी सरकारी के इस संवेदनहीन रवैये के खिलाफ सड़क से सदन तक संघर्ष करेगी।

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