जामुन की कामर्शियल खेती के लिए पहली जरूरत मदर ट्री की
उत्तर प्रदेश के लोगों में इधर जागरुकता बढ़ी है और जामुन को शौकिया तौर पर लगा रहे हैं लेकिन इसकी कामर्शियल खेती का रुझान अभी डेवलप नहीं हुआ है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लोगों में इधर जागरुकता बढ़ी है और जामुन को शौकिया तौर पर लगा रहे हैं लेकिन इसकी कामर्शियल खेती का रुझान अभी डेवलप नहीं हुआ है। इसकी वजह यह है कि जामुन एक साथ नहीं पकता है और इसके पके फल की लाइफ भी बहुत कम होती है दूसरे अभी तक जामुन की व्यावसायिक खेती के लिए प्लांटिंग मैटीरियल और मदर ट्री का न होना एक बाधा है। जबकि इसकी तुलना में कटहल की व्यावसायिक खेती अधिक फायदेमंद है। कटहल के एक पेड़ से छह सात कुंतल कटहल निकल आता है।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. घनश्याम पांडे ने यह जानकारी एक बातचीत में दी। उनसे पूछा गया था कि एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवेलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) ने ट्वीट किया है, 'बिठुर, कानपुर उत्तर प्रदेश के किसानों से प्राप्त मीठे और स्वादिष्ट जामुन, जिसे इंडियन ब्लैकबेरी के रूप में जाना जाता है, की पहले खेप हवाई मार्ग से लंदन एक्सपोर्ट की जा रही है। इसे एपीडा के पंजीकृत निर्यात द्वारा भेजा रहा है।' यूपी में कहां कहां व्यावसायिक खेती की संभावना है।
बिठूर वैसे तो अमरूद के लिए मशहूर रहा है
सवाल का जवाब देते हुए कहा डा. पांडे ने कहा कि बिठूर वैसे तो अमरूद के लिए मशहूर रहा है। मुझे अधिक जानकारी नहीं है लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो कानपुर के किसानों के जामुन का परीक्षण कर वहां मदर ट्री विकसित किया जा सकता है। जिससे जामुन की खेती के इच्छुक अन्य लोगों को प्लांटिंग मैटीरियल उपलब्ध हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि फिलहाल लोग शौकिया तौर पर जामुन के पेड़ लगाते रहे हैं लेकिन इसकी व्यावसायिक खेती का रुझान देखने में नहीं आया था। जामुन को व्यावसायिक रूप से तैयार करने के लिए फिलवक्त प्लांटिंग मैटीरियल की कमी है। और अभी तक इसके लिए मदर ट्री भी नहीं है।
जामुन के पके फल की लाइफ बहुत कम होती
जानकारों का कहना है कि जामुन का काम बहुत ही कच्चा काम है क्योंकि इसके पके फल की लाइफ बहुत कम होती है। दूसरे पके फल को तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ने में तमाम लोग चोटिल भी हो जाते हैं। इसलिए लोग इसकी खेती को कम पसंद करते हैं।
कामर्शियल खेती के रूप में कटहल
श्री पांडे ने कहा कि लोगों का इस दिशा में रुझान बढ़ना अच्छे संकेत हैं लेकिन अभी इस पर काफी काम करना होगा। वैज्ञानिक ने कहा लोग कामर्शियल खेती के रूप में कटहल को जो पसंद करते हैं। कटहल के पेड़ में पांच से सात साल के बीच फल आना शुरू हो जाते हैं और एक पेड़ से पांच से सात कुंटल कटहल निकल आता है। जौनपुर, कुशीनगर, बस्ती, बहराइच में तमाम किसानों ने कटहल के दस-दस पेड़ का बगीचा बनाया है। उन्नाव, सीतापुर, हरदोई में भी कटहल के पेड़ देखने को मिलते हैं।