Lucknow News: सावधान! बचपन की एक चोट लगा सकती है मुंह पर ताला, डॉक्टरों ने दी जिंदगी
Lucknow News: डॉक्टरों ने 22 साल से केवल तरल पदार्थ के सहारे जी रहे एक युवक की सर्जरी करके नई जिंदगी दी है। खास बात यह है कि इस युवक के इलाज के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कोष से मदद मिली है।
Lucknow News: बच्चे शरारती होते हैं और कोई ना कोई शरारत करते रहते हैं, गिरेंगे और उठकर फिर दौड़ जाएंगे। बच्चे नादान भी होते हैं इसलिए उनकी केयर की भी जरूरत होती है। कई बार उनकी नादानी की वजह से उनको ऐसी चोट लग जाती है, जो उनकी जिंदगी के लिए अभिशाप बन जाती है।
ऐसे दो मामले सामने आए हैं, जिन्हें जानकर आप हिल जाएंगे। ताजा मामला है लखनऊ संजय गांधी पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट का, जहां डॉक्टरों ने 22 साल से केवल तरल पदार्थ के सहारे जी रहे एक युवक की सर्जरी करके नई जिंदगी दी है। खास बात यह है कि इस युवक के इलाज के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कोष से मदद मिली है।
इससे पहले 2017 में भोपाल में भी ठीक ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमें पीड़ित लड़की थी जो न तो हंस सकती थी, ना बोल सकती थी, उसका मुंह भी इसी तरह से चोट लगने से बंद हो गया था और इस विकृति के चलते चेहरा टेढा हो गया था। उसे नया जीवन भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने दिया था।
लगभग 7 घंटे चली सर्जरी के बाद खुल गया युवक का मुंह
पहले जानते हैं लखनऊ संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों की उपलब्धि को। जानकारी के मुताबिक कानपुर देहात के रहने वाले राम शंकर के बेटे हरि ओम को लगभग 4 साल की उम्र में पेड़ से गिरने के कारण मुंह पर कुछ ऐसी चोट आई कि उसका नीचे और ऊपर का जबड़ा जुड़कर चिपक गया। उसका मुंह खुलना बंद हो गया।
उसके परिवार वालों ने तमाम डॉक्टरों को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में एक डॉक्टर ने उसके दो दांत तोड़ कर जिंदा रहने के लिए केवल तरल पदार्थ दिये जाने की व्यवस्था की। लेकिन यह कोई निदान नहीं था। परिवार वालों की समस्या जस की तस बनी रही।
जब यह मामला पीजीआई पहुंचा तो यहां के डॉक्टरों ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा टीएमजे फ्रैक्चर होने के कारण हुआ जिसे बच्चे का मुंह खुलना बंद हो गया। ऑपरेशन के दौरान मुंह से नली डालना संभव नहीं था। ऐसे में डॉक्टरों ने नाक से नली डालकर एनेस्थीसिया दिया। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के हेड डॉ राजीव अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि पूरी सर्जरी डिस्ट्रेक्शन ओस्टियोजेनेसिस तकनीक से हुई। इसमें डेवल को काटा और दोनों तरफ डिस्ट्रैक्टर लगा दिए गए हैं इसे रोज एक एमएम बढ़ाया जाएगा। ऑपरेशन में करीब 7 घंटे लगे। इसके बाद मरीज पूरी तरह ठीक हो गया। उसकी जिंदगी बदल गई। वह अब सामान्य व्यक्ति की तरह ठोस पदार्थ भी खा सकेगा।
शिप्रा को मिली नयी जिंदगी
इसी तरह का एक मामला 2017 में भोपाल में आया था। उसमें भी भोपाल की रहने वाली शिप्रा 4 साल की उम्र में खेलते खेलते गिर गई थी और इसके बाद उसके जबड़े भी कुछ महीनों के भीतर जाम हो गए। मुंह पूरी तरह बंद हो गया। शुरू में घर वालों ने ध्यान नहीं दिया, जब ध्यान दिया तो देर हो गई थी। वह बड़ी हुई तो घरों में झाड़ू पोछा का काम करने लगी। उम्र के साथ उसकी तकलीफ बढ़ी।
चूंकि वह लड़की थी तो मां-बाप को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। इसलिए एक बार फिर डाक्टरों के पास दौड़ भाग शुरू हुई लेकिन ऑपरेशन की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। अंत में डेंटल सर्जन डॉक्टर नीता ने एम्स में दिखाने की सलाह दी।
एम्स के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अंशुल ने शिप्रा को देखा और इसके बाद ऑपरेशन का निर्णय लिया। शिप्रा का ऑपरेशन करीब 4 घंटे चला था और ऊपरी जबड़े की हड्डी ब्रेन के नीचे की हड्डी से जुड़ी थी इसलिए ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण था। ऑपरेशन के बाद यह युवती भी अब आम आदमियों की तरह खाना खा सकती है, बोल सकती है, हंस सकती है, गाना गा सकती है।
उसका जबड़ा टेढ़ा होने की वजह से जो चेहरा टेढ़ा हो गया था उसे भी डॉक्टरों ने धीरे-धीरे ठीक किया। कुल मिलाकर बच्चों को लेकर बहुत सावधान रहने की जरूरत है अगर उन्हें कोई चोट लगती है तो उसके लिए तत्काल डॉक्टरों को दिखाएं और उसका उचित इलाज कराएं।