Lucknow SGPGI के डॉक्टरों ने बिन सर्जरी निकाली गोली, सांस की नली में फंसी थी बुलेट, युवक की बची जान

Lucknow News: SGPGI के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है। एपेक्स ट्रामा सेंटर में भर्ती हुए 20 वर्षीय मरीज के सांस की नली में फंसी गोली को बिना सर्जरी करे निकाला गया।

Report :  Shashwat Mishra
Update: 2022-08-29 16:13 GMT

SGPGI के डॉक्टरों ने बिन सर्जरी निकाली गोली

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Lucknow News Today: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है। एपेक्स ट्रामा सेंटर (Apex Trauma Center) में भर्ती हुए एक 20 वर्षीय मरीज के सीने में फंसी गोली को बिना सर्जरी करे निकाला गया। ट्रॉमा सर्जरी विभाग के डॉक्टर अमित कुमार सिंह (Dr Amit Kumar Singh) की देखरेख में चल रहे मरीज़ को चिकित्सकों ने रिजिड ब्रोन्कोस्कोपी द्वारा जान बचाई। बता दें कि मरीज़ को पीठ के निचले हिस्से में गोली लगकर, छाती में जा फंसी थी। जिससे उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी।

मुंह के जरिये की गई रिजिड ब्रोन्कोस्कोपी

20 वर्षीय युवक को कथित रूप से गोली लगने के कारण संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (Sanjay Gandhi Postgraduate Institute of Medical Sciences) के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में लाया गया, जहाँ उसे गंभीर अवस्था में ट्रामा सर्जरी विभाग (trauma surgery department) के डॉक्टर अमित कुमार सिंह की देखरेख में भर्ती किया गया। गोली पीठ के निचले हिस्से से निकल कर छाती में जा लगी थी और ट्रेकिया यानी वायुमार्ग (Trachea) को भेद कर उसमे फंस गई थी। इससे आसपास के क्षेत्र में हवा का रिसाव होने लगा, जिससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। शुरुआती ब्रोन्कोस्कोपिक टेस्ट के बाद, मरीज की सामान्य एनेस्थेसिया के अंतर्गत मुंह के माध्यम से रिजिड ब्रोन्कोस्कोपी की गयी और फोरसेप्स का उपयोग करके गोली को निकाल दिया गया। इसके बाद, वायुमार्ग की दीवार में लगभग 2 सेमी के खाली जगह को कवर करने के लिए एक सिलिकॉन स्टेंट लगाया गया। रोगी को जागरूक और सचेत स्थिति में आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया।

पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ अजमल खान व उनकी टीम का कमाल

इस प्रक्रिया द्वारा बिना किसी सर्जिकल चीरे के छाती से गोली निकालने के लिए एक प्रमुख शल्य प्रक्रिया को टाला जा सका। यह प्रक्रिया अपनी तरह की पहली प्रकिया है, जो पल्मोनरी मेडिसिन विभाग (Department of Pulmonary Medicine) के डॉ अजमल खान (Dr. Ajmal Khan) व उनकी टीम द्वारा की गई है। रोगी अभी डॉक्टर अमित कुमार सिंह की देखरेख में एटीसी के आईसीयू में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा है। इस पूरी प्रकिया के नियोजन व क्रियान्वयन में एनेस्थेसिया विभाग की डॉक्टर रुचि वर्मा व रेडियोलाजी विभाग के डाक्टर जफर नियाज का विशेष योगदान रहा।

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