KGMU Trauma में गर्मी से तीमारदार परेशान, रैन बसेरे में आग बरसा रहीं टीन शेड, नहीं हो रहा बसर
Lucknow News: ट्रामा सेंटर में तीमारदारों हेतु बनाए गए रैन बसेरों में ही आग के थपेड़े पड़ने लगे, तो इंसान दर-दर पर सोने को और पेड़ की छांव ढूंढने को मज़बूर हो जाता है।
Lucknow News: ट्रामा सेंटर; जहां कोई जाना नहीं चाहता। मग़र मज़बूरी लोगों को यहां खींच लाती है। ज़्यादातर सड़क दुर्घटना से पीड़ित व्यक्तियों को यहां भर्ती कराया जाता है। भर्ती कराने में भी तमाम दिक्कतें व परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसके बाद, स्टॉफ व डॉक्टरों के पीछे लग-लगकर इलाज की गुहार लगानी पड़ती है। और तो और, यदि यहां किसी का मरीज़ तीन दिन से ज़्यादा भर्ती रहा, तो उसके तीमारदार का वजन 5 किलो तक कम हो जाता है। नीचे तस्वीरों में आप इस दर्द को बेहतरी से समझ सकते हैं...
गर्मी से बेहाल तीमारदार
ग़ौरतलब है कि बीते कई दिनों से राजधानी सहित प्रदेश के कई जिलों का तापमान, आम जन मानस के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है। वहीं, अस्पताल में रुके हुए तीमारदारों को तो गर्मी ने बेहाल कर दिया है। एक ओर उन्हें अपने मरीज़ का ख़्याल रखना होता है, तो दूसरी ओर ख़ुद के स्वास्थ्य का। ऐसे में जब तीमारदारों हेतु बनाए गए रैन बसेरों में ही आग के थपेड़े पड़ने लगे, तो इंसान दर-दर पर सोने को और पेड़ की छांव ढूंढने को मज़बूर हो जाता है।
आग बरसा रहीं टीन शेड
आपको बता दें कि जो रैन बसेरे बने हुए हैं। वो टीन के हैं। इसलिए, जब गर्मी ज़्यादा होती है और तापमान 40℃ के पार होता है, तो चारों ओर की टीनें गर्म हो जाती हैं। जिससे लोगों को रैन बसेरा छोड़कर कहीं और बसर ढूंढनी पड़ती है।
रैन बसेरे में नहीं वेंटिलेशन की सुविधा
ट्रामा में आने वाले मरीज़ों के लिए रैन बसेरे में दिन गुजारना दूभर है। तीमारदारों का उसके अंदर बसर नहीं है। क्योंकि, उसके अंदर वेंटिलेशन (अंदर की वायु को बाहर भेजने का साधन) की कोई सुविधा ही नहीं है। साथ ही, जो पंखे चलते हैं, वो सिर्फ़ गर्म हवाएं ही फेंकते हैं।
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