नाइंसाफी: बिना ड्यूटी वाले को कोरोना टीका, जिसने जान पर खेला उसे मिला ठेंगा

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले रेजीडेंट डॉक्टर्स के साथ धोखा हुआ है। कोरोना काल में फ्रंट लाइन पर करने वाले रेजीडेंट्स डॉक्टरों का नाम ही वैक्सीनेशन की लिस्ट से गायब है।

Update: 2021-02-08 08:29 GMT
नाइंसाफी: बिना ड्यूटी वाले को कोरोना टीका, जिसने जान पर खेला उसे मिला ठेंगा

लखनऊ: कोरोना काल में जहां सभी लोग अपने घरों में सुरक्षित बैठे हुए थे, वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर्स अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों का इलाज कर रहे थे। कोरोना वॉरियर्स के इस जज्बे को आज पूरा देश सलाम कर रहा है। लेकिन इस बीच डॉक्टरों के साथ छल करने का एक मामला सामने आ रहा है। तो चलिए जानतें हैं क्या है इसकी सच्चाई-

कोरोना वॉरियर्स के साथ हुई नाइंसाफी

यह घटना यूपी की राजधानी लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई की है। जहां पर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले रेजीडेंट डॉक्टर्स के साथ धोखा हुआ है। कोरोना काल में फ्रंट लाइन पर करने वाले रेजीडेंट्स डॉक्टरों का नाम ही वैक्सीनेशन की लिस्ट से गायब है। जिससे डॉक्टर्स काफी खफा हैं। इस बात की शिकायत जब डॉक्टरों ने एसोसिएशन से की तो, एसोसिएशन ने तत्काल निदेशक को पत्र लिखा।

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दिए गए ये निर्देश

पत्र लिखने के साथ ही एसोसिएशन ने 15 फरवरी तक एक विशेष सत्र आयोजित कर रेजीडेंट डॉक्टर्स को टीका लगवाने की व्यवस्था करने की बात कही है। आपको बता दें कि इस मामले में आरडीए के अध्यक्ष डॉ आकाश माथुर, उपाध्ययक्ष डॉ श्रुति व महासचिव डॉ अनिल गंगवार सभी ने मिलकर निदेशक को एक पत्र लिखकर भेजा।

क्या लिखा गया है पत्र में?

इस पत्र में लिखा गया है कि अत्यंत दुखद है कि प्रथम चरण का टीकाकरण पूर्ण होने पर भी अधिकतर रेजीडेंट डॉक्टर इससे वंचित रह गए। रेजीडेंट सदैव कोरोना मरीज़ों की सेवा में अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे हैं, लेकिन संस्थान के सभी कर्मचारियों (यहां तक कि वे कर्मचारी, जो कि कोविड में सेवारत भी नहीं थे) का भी टीकाकरण हो जाने पर भी अधिकतर रेजीडेंट्स का नाम ही टीकाकरण के लिए सरकार को नहीं भेजा गया।

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पत्र में लिखा गया है कि वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद जब रेजीडेंट्स डॉक्टर्स के नाम न भेजे जाने की जानकारी हुई तो 28 जनवरी को निदेशक से मिलकर इन डॉक्टर्स ने अवगत कराया था। निदेशक के इसके लिए तत्काल निर्देश देते हुए छूटे हुए रेजीडेंट्स डॉक्टरों के नाम भारत सरकार को भेजने के निर्देश दिया जाए।

बताते चलें कि टीकाकरण से वंछित हुए डॉक्टरों ने बताया कि 5 फरवरी को वैक्सीनेशन का अंतिम चरण होने के कारण जब वे लोग 3 फरवरी को सूची देखी तो अपना नाम टीकाकरण कि सूची में नहीं था। जिससे क्रोध में आ गए। ये वहीं लोग हैं, जिन्होंने फ्रंटलाइन पर अपनी जिंदगी कि परवाह किए बगैर कोरोना पीड़ितो की दिन-रात सेवा किया और उन्हीं के साथ नाइंसाफी की गई।

रिपोर्ट- श्वेता पांडेय

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