Lucknow University: डॉ. किरण लता डंगवाल का यूनेस्को में एमओओसी डेवलपर के रूप में चयन

Lucknow University: डॉ. डंगवाल इस MOOC को हरियाणा की डॉ. कविता बत्रा के साथ विकसित करेंगी।

Written By :  Anant kumar shukla
Update:2023-03-12 16:42 IST

Lucknow University Doctor Kiran Lata Dangwal

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की शिक्षिका डॉ. किरण लता डंगवाल को यूनेस्को का अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन मेंटरिंग कार्यक्रम (OE4BW) में मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (MOOC) के डेवलपर के रूप में चयनित हुयी हैं। डा. डंगवाल ने सतत प्रेरणा और मार्गदर्शन के कारण अपनी इस उपलब्धि का श्रेय कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को दिया है। उनकी ये कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मुक्त शिक्षा की क्षमता का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। डॉ. डंगवाल इस MOOC को हरियाणा की डॉ. कविता बत्रा के साथ विकसित करेंगी। इस MOOC की समन्वयक कोलकाता से प्रो. सुभा दास मोलिक व मेंटर इसहाक मुलोलानी हैं, जो कनाडा में रेजिना विश्वविद्यालय से हैं। MOOCs (मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स) आज के डिजिटल युग में समय की अनिवार्य आवश्यकता बन गए हैं। MOOCs किसी के कौशल और ज्ञान को सीखने और बढ़ाने के लिए एक लचीला, लागत प्रभावी और सुलभ तरीका प्रदान करते हैं। डिजिटल साक्षरता के बढ़ते महत्व और निरंतर सीखने की आवश्यकता के साथ, MOOC समय की एक अनिवार्य आवश्यकता बन गई है।

इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम के लिए डॉ डंगवाल का चयन उनकी उत्कृष्ट विद्वता, अनुसंधान और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस एमओओसी के विकास में उनका योगदान दुनिया भर के शिक्षार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और अनुभव से लाभ उठाने में सक्षम करेगा।

जाने क्या कहा डॉ. किरण लता डंगवाल ने

न्यूजट्रैक के साथ बात करते हुए डॉ. किरण ने बताया कि युनेस्को की तरफ से एक पार्टिकुलर विषय ऑनलाइन कोर्स बनाने के लिए प्रपोजल भेजा जाता है। इससे पहले भी मैने कई बार प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली। कोर्स को युनेस्को के मेंटरिंग प्रोग्राम "ओपेन इडुकेशन फोर बेटर वर्ल्ड" पर लांच किया जाता है। इस बार का विषय "डिजिटल जर्नलिज्म इन डिजिटल एरा" है। इस कोर्स का कोई कॉपी राइट नहीं होता है। किसी भी प्रकार का कोई चार्ज नहीं लिया जाएता है। यह पूर्ण रूप से सेवा कार्य है। इसके माध्यम से कोई लाभ नहीं होता। इस लिए कम से कम लागत में अधिक से अधिक आउटपुट देना होता है।

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