Lucknow University: भीषण गर्मी में चल रहीं B.Ped की कक्षाएं, छात्राएं हुईं बेहोश, धरने पर बैठे छात्र

Lucknow University: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षक मो. तारिक की कक्षा के लिए सुबह 5:30 बजे छात्र मैदान में पहुंचे। यहां धूप में दो सौ मीटर रनिंग के बाद बीपीएड की छात्रा आकांक्षा भदौरिया और शगुन माथुर बेहोश हो गईं।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-04-23 11:45 IST

Lucknow University: राजधानी में सूरज के सितम से एसी में बैठने वाले बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारियों तक के पसीने छूट जा रहे हैं। लखनऊ शहर में पड़ रही भीषण गर्मी से सड़के इमारतें उबाल मार रही हैं। मगर पता नहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने ऐसी कौन सी तकनीक खोज ली है जिससे उन्हें गर्मी का एहसास भी नहीं हो रहा है और वह छात्रों को इस भीषण गर्मी में तड़पाए हुए हैं। ऐसा ही वाक्या एलयू स्थित एक मैदान में देखने को मिला जब बीपीएड की छात्राएं शारीरिक शिक्षा की कक्षा के समय बेहोश हो गईं। जानकारी के मुताबिक यह कोई पहला वाक्या नहीं है। इससे एक दिन पहले भी कुछ छात्राएं गर्मी की वजह से बीच मैदान में बेहोश होकर गिर पड़ी थीं। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। वह लगातार तपती धूप में बिना किसी व्यवस्था के खुले आसमान के नीचे बीपीएड छात्राओं की कक्षा ली जा रही हैं। इस मामले को लेकर छात्र धरने पर बैठ गए हैं।

बीपीएड की दो छात्राएं बेहोश

लखनऊ विश्वविद्यालय के शिवाजी ग्राउंड में मंगलवार सुबह बीपीएड सेकेंड सेमेस्टर की दो छात्राएं बेहोश हो गई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षक मो. तारिक की कक्षा के लिए सुबह 5:30 बजे छात्र मैदान में पहुंचे। यहां भीषण धूप में दो सौ मीटर रनिंग के बाद बीपीएड की छात्रा आकांक्षा भदौरिया और शगुन माथुर बेहोश हो गईं। छात्राओं को अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद अन्य छात्र-छात्राएं ग्राउंड में ही धरने पर बैठ गए। धरतारत छात्र विभागाध्यक्ष रुपेश कुमार को बुलाने की मांग पर अड़े हैं।


छात्रों के लिए हॉस्टल में जगह नहीं

छात्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षिका शशि कनौजिया सुबह की कक्षा के बाद छात्रों को कैंप की रिहर्सल कराती हैं। थक चुके छात्रों को मजबूरी में रिहर्सल करना पड़ता है। बता दें कि 70 छात्रों में से सिर्फ 4 छात्रों के लिए हॉस्टल उपलब्ध है। बाकी बच्चे एलयू के बाहर रुम लेकर रहते हैं। जिससे उन्हें खाने-पीने तक का समय नहीं मिलता है।


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