Lucknow News: BBAU में मनाई गई कबीर जयंती, वक्ता बोले- मानव जाति के लिए कबीर आदर्श
BBAU: मुख्य वक्ता डॉ. अंगद तिवारी ने कहा कि कबीर के दर्शन का प्रभाव बाबासाहेब पर भी था। जिसका प्रतिफलन संविधान की प्रस्तावना में भी दिखता है। उनकी बातें सबके लिए हितकारी थी।
Lucknow News: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में संत कबीर जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। 'कबीर: आज और कल' विषयक कार्यक्रम में अरविंदो महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. अंगद तिवारी मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने कबीर के जीवन के अहम बिंदुओं के बारे में जानकारी दी।
बीबीएयू में मनाई गई कबीर जयंती
बीबीएयू में स्थायी आयोजन समिति एवं हिंदी विभाग की ओर से शनिवार को संत कबीर जयंती पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राम पाल गंगवार ने की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह विशिष्ट वक्ता के रूप में ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं संत कबीर दास ओर बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। प्रो. सर्वेश कुमार सिंह ने सभी को अतिथियों के परिचय एवं कार्यक्रम के उद्देश्य व रूपरेखा से अवगत कराया। मंच संचालन का कार्य सह- संयोजक डॉ. बलजीत कुमार श्रीवास्तव ने किया।
कबीर की बातें सबके लिए हितकारी
मुख्य वक्ता श्री अरविंदो महाविद्यालय के डॉ. अंगद तिवारी ने कहा कि कबीर के दर्शन का प्रभाव बाबासाहेब पर भी था। जिसका प्रतिफलन संविधान की प्रस्तावना में भी दिखता है। उनकी बातें सबके लिए हितकारी थी। इसीलिए कबीर अपनी महान विचारधारा के कारण आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह ने कबीर को मानव जाति के लिए एक आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि संत कबीर की शिक्षाओं को जीवन में उतार कर एवं मानवता को सर्वोपरि रख कर समाज का कल्याण संभव है।
मनुष्यता के कवि थे कबीर
हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राम पाल गंगवार ने कहा कि कबीर की रचना का मूल स्वर करुणा एवं भेदभाव रहित समाज के निर्माण का है। कबीर दास ने समाज को शिक्षा दी कि मनुष्य जाति या कुल में जन्म लेने से नहीं बल्कि अच्छे कर्मों से श्रेष्ठ बनता हैं। प्रो. सर्वेश कुमार सिंह ने कहा कि कबीर की कविताएं प्राणिमात्र के कल्याण के लिए आवश्यक है क्योंकि वे मनुष्यता के कवि थे। इस मौके पर सह- संयोजक डॉ. बलजीत कुमार श्रीवास्तव, डॉ. शिव शंकर यादव, शिक्षक, शोधार्थी व अन्य मौजूद रहे।