Lucknow News: राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पद ज्यादा, परिषदीय स्कूलों में बच्चे कम
Education News: जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालयों में सृजित शिक्षकों के कुल 3260 पदों में से 1988 असिस्टेंट प्रोफेसर, 824 एसोसिएट प्रोफेसर और 448 प्रोफेसर के पद हैं। वर्तमान में असिस्टेंट प्रोफेसर के 910, एसोसिएट प्रोफेसर के 549 और प्रोफेसर के 356 पद रिक्त हैं।
Lucknow News: उत्तर प्रदेश के सभी 20 राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों की संख्या अधिक है। जबकि कार्यरत शिक्षकों की संख्या कम है। विश्वविद्यालयों की ओर से 539 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। इसके अलावा प्रदेश के 17471 परिषदीय स्कूलों में 50 से कम बच्चे हैं।
खाली पदों की संख्या अधिक
प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल सृजित पदों की संख्या 3260 है। जिनमें 1815 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। विश्वविद्यालयों में महज 1445 पद भरे हुए हैं। 539 पदों को भर्ती के लिए जल्द भर्तियां होंगी। जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालयों में सृजित शिक्षकों के कुल 3260 पदों में से 1988 असिस्टेंट प्रोफेसर, 824 एसोसिएट प्रोफेसर और 448 प्रोफेसर के पद हैं। वर्तमान में असिस्टेंट प्रोफेसर के 910, एसोसिएट प्रोफेसर के 549 और प्रोफेसर के 356 पद रिक्त हैं। इनमें से असिस्टेंट प्रोफेसर के 226, एसोसिएट प्रोफेसर के 159 और प्रोफेसर के 154 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ है। जल्द ही इन पदों पर भर्तियां होंगी।
इन विश्वविद्यालयों ने जारी किया विज्ञापन
यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। इनमें लखनऊ विश्वविद्यालय ने 118, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर ने 50, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी ने 74, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी ने 16, महात्मा काशी विद्यापीठ वाराणसी ने 78, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ने 41 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया है। इन पदों पर नियक्तियां जल्द पूरी होंगी।
56 विद्यालयों में बच्चे नहीं
प्रदेश के 56 परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कंपोजिट विद्यालयों में छात्रों की संख्या शून्य है।इसके अलावा 1,32,842 परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कंपोजिट विद्यालयों में 17,471 विद्यालयों में छात्रों की संख्या 50 से कम है। बता दें कि प्रदेश में जुलाई 2011 में अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 लागू होने के 13 साल बाद भी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है।