IIM लखनऊ के सहायक प्रोफेसर का शोध, संकट प्रबंधन में नवाचार और नैतिक मूल्यों का संतुलन, छत्तीसगढ़ के अस्पताल का दिया उदाहरण

Lucknow News Today: सहायक प्रोफेसर प्रो. अरविंद श्रॉफ के शोध का मुख्य फोकस छत्तीसगढ़ स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल था। जो बच्चों को मुफ्त हृदय देखभाल प्रदान करता है।;

Report :  Virat Sharma
Update:2025-01-27 20:57 IST

Lucknow News Photo-Social Media

Lucknow News: भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) लखनऊ के सहायक प्रोफेसर प्रो. अरविंद श्रॉफ ने एक अध्ययन के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि निजी स्वास्थ्य देखभाल संगठनों को संकट के समय अपने नैतिक मूल्यों को बनाए रखते हुए नवाचार करने के लिए किस तरह का संतुलन बनाए रखना चाहिए। उनका शोध विशेष रूप से संसाधन-सीमित स्वास्थ्य संस्थानों में संकट प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित है, जहां नवाचार और नैतिकता का संयोजन आवश्यक होता है।

COVID-19 महामारी के दौरान निजी स्वास्थ्य संस्थानों की भूमिका

COVID-19 महामारी ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कराया। जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियाँ अपर्याप्तता के कारण संघर्ष कर रही थीं, वहीं निजी स्वास्थ्य संस्थानों ने तेजी से नवाचारों को अपनाया, जैसे कि टेलीमेडिसिन और वर्चुअल कंसल्टेशन, ताकि मरीजों को बेहतर देखभाल मिल सके। ये नवाचार महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवा की निरंतरता बनाए रखने में मददगार साबित हुए।

छत्तीसगढ़ के श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल का उदाहरण

सहायक प्रोफेसर प्रो. अरविंद श्रॉफ के शोध का मुख्य फोकस छत्तीसगढ़ स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल था। जो बच्चों को मुफ्त हृदय देखभाल प्रदान करता है। महामारी के दौरान संसाधनों की कमी के बावजूद, श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल ने टेलीमेडिसिन और संसाधन प्रबंधन के जरिए अपनी सेवाओं को बखूबी जारी रखा, जिससे संकट के समय में प्रभावी ढंग से सेवाएं प्रदान की जा सकीं।

शोध के मुख्य निष्कर्ष

सहानुभूति, लचीलापन और ईमानदारी: संकट के समय इन मानवीय मूल्यों की संस्कृति संगठन को सही दिशा में मार्गदर्शन देती है।

नवाचार की आवश्यकता: संकट संगठन को नवाचार करने के लिए प्रेरित करते हैं, जैसे कि टेलीमेडिसिन और बेहतर संसाधन प्रबंधन।

संकट प्रबंधन की निरंतर प्रक्रिया: आंतरिक मूल्यों और बाहरी दबावों का संतुलन दीर्घकालिक नवाचार और नैतिक देखभाल को बढ़ावा देता है।

संकट प्रबंधन में नेतृत्व की भूमिका

प्रोफेसर अरविंद श्रॉफ ने कहा कि महामारी जैसे संकट यह दिखाते हैं कि लचीलापन और गुण केवल मूल्य नहीं होते, बल्कि ये परिवर्तनकारी नवाचार के उत्प्रेरक होते हैं। यह शोध यह भी दर्शाता है कि सहानुभूति और ईमानदारी जैसे गुण रखने वाले नेता अपनी टीमों को संकटों को अवसरों में बदलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इन गुणों पर ध्यान केंद्रित करने से संगठन संकटों के समय में उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं के साथ-साथ दीर्घकालिक लक्ष्यों को भी पूरा कर सकते हैं।

शोध का महत्व और भविष्य की दिशा

यह शोध स्वास्थ्य संगठनों और नीति निर्माताओं के लिए एक उपयोगी मार्गदर्शिका प्रदान करता है। यह बताता है कि संकटों के समय नवाचार और नैतिक प्रथाओं को एकीकृत करने के लिए एक मजबूत संगठनात्मक संस्कृति का निर्माण करना आवश्यक है।

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