Azam Khan: क्या कोर्ट के फैसले के बाद वापस मिलेगी आजम खान की विधायकी? जानें- क्या हैं संभावनाएं
Azam Khan: रामपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में आजम खान को दोषमुक्त करार दिया है। इसी मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता छिन गई थी। अब चर्चा शुरू हो गई है कि क्या हेट स्पीच मामले में राहत मिलने के बाद आजम खान की विधायकी वापस मिलेगी?
Azam Khan: रामपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में आजम खान को दोषमुक्त करार दिया है। भड़काऊ भाषण मामले में उन्हें तीन साल कैद की सजा हुई थी। इसी के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता छिन गई थी। अब चर्चा शुरू हो गई है कि क्या हेट स्पीच मामले में राहत मिलने के बाद आजम खान की विधायकी वापस मिलेगी? क्या वह फिर से चुनाव लड़ पाएंगे? ऐसी अटकलें इसलिए भी लगाई जा रही हैं क्योंकि हाईकोर्ट से बरी होने के बाद लक्षद्वीप से लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई थी। हत्या के मामले में निचली अदालत ने उन्हें 10 साल के कैद की सजा सुनाई थी, जिसके चलते उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी।
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आजम खान की विधानसभा सदस्यता बहाल होगी, इसकी संभावना नहीं के बराबर है। इसकी एक नहीं दो बड़ी वजह हैं। एक तो आजम खान जहां से विधायक (रामपुर शहर) थे, उस सीट पर उपचुनाव हो चुका है। बीजेपी के आकाश सक्सेना अब वहां से विधायक हैं। दूसरा भले ही आजम खान को हेट स्पीच मामले में दोषमुक्त करार दिया गया है, लेकिन एक और मामले (छजलैट) में मुरादाबाद की कोर्ट ने आजम खान व उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम को दो-दो साल की सजा और दो-दो हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई गई थी। ऐसे में उनके आगे के राजनीतिक करियर में यह फैसला रोड़ा साबित होगा। ऐसे में उनकी उनकी विधायकी बहाल नहीं हो सकती है।
हेट स्पीच मामले में आजम खान दोषमुक्त करार
एमपी-एमएलए स्पेशल सेशन कोर्ट ने आजम खान को हेट स्पीच मामले में दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने 70 पेज के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख किया है। 27 अक्टूबर 2022 को एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी। इस फैसले के खिलाफ आजम खान ने सेशन कोर्ट में अपील की थी। अब इस पर फैसला आने के बाद आजम खान के समर्थकों में खुशी की लहर है लेकिन राजनीतिक करियर पर लगा प्रश्चचिह्न बरकरार है।
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क्या था हेट स्पीच मामला?
मामला 2019 का है, जब लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान चरम पर था। रामपुर की मिलक तहसील में आयोजित एक जनसभा में आजम खान ने कथित तौर पर आपत्तिजनक व भड़काऊ भाषण दिया था। बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने इस फैसले के खिलाफ शिकायत की। मामले में कोर्ट ने आजम खान को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी, जिसके बाद लोक जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत उनकी सदस्यता छिन गई थी। इस फैसले के खिलाफ आजम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने औचितत्यहीन बताते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सेशन कोर्ट में अपील की थी।
क्या है छजलैट मामला?
29 जनवरी 2008 को छजलैट पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खान की कार चेकिंग के लिए रोकी थी। इससे आजम और उनके समर्थक भड़क गये और वह वहीं धरने पर बैठ गये। पुलिस ने हंगामा करने वाले सभी लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। इस हंगामे में अब्दुल्ला समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था। मुरादाबाद कोर्ट ने आजम खान और अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए 2-2 साल की सजा और 2-2 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था।