Piyush Jain Raid Case: पीयूष जैन के केस में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य, केस हुआ कमजोर, DGGI पर उठ रहे सवाल
IAS Officer Durga Shankar Mishra चुनावी माहौल के बीच पीयूष जैन को लेकर भले ही दोनों पार्टियों में सियासत जोरों पर हो लेकिन पीयूष जैन को बचाने का भी काम शुरू हो गया है।
Piyush Jain Raid Case: कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन (piyush jain kanpur raid) को लेकर भले ही बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में जुबानी जंग तेज हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर सीएम योगी तक उसे समाजवादी पार्टी से जोड़कर जतना के सामने सपा को घेरने में लगे हैं, तो वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी उसे बीजेपी का आदमी बताने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
चुनावी माहौल के बीच पीयूष जैन को लेकर भले ही दोनों पार्टियों में सियासत जोरों पर हो लेकिन पीयूष जैन को बचाने का भी काम शुरू हो गया है। आखिर पीयूष जैन को किसकी सह पर बचाया जा रहा है और उसका केस कैसे कमजोर करने की कोशिश हो रही है चली आपको बताते हैं..?
आपको यह तो मालूम ही है कि पिछले दिनों गुजरात की टीम की छापेमारी में पीयूष जैन के यहां से कैसे 194 करोड़ से ज्यादा का कैश और करोड़ों के जेवरात बरामद हुए थे। वित्त मंत्रालय भी इसे अब तक देश में सबसे बड़ी कैश की बरामदगी मान रहा है, लेकिन अब वही जांच टीम उसे बचाने में भी जुट गई है।
कोर्ट में सीजर मेमो नहीं किया गया पेश
अब जरा यह मामला समझने की कोशिश करिए जो जीएसटी की टीम दो-तीन दिनों तक पियूष जैन के घर बैठकर रुपए गिनती रही वह कोर्ट में सीजर मेमो नहीं पेश कर पाई है। जिसकी वजह से उसे पूछताछ के लिए रिमांड नहीं मिली। इसके साथ ही जीएसटी की टीम पीयूष जैन के यहां से बरामद रुपया एविडेंस एक्ट के तौर पर दिखाया है ना कि जीएसटी एक्ट के तहत। जीएसटी दस्तावेजों में पीयूष जैन के पास करोड़ों रुपए कहां से आया इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है। टीम ने पीयूष जैन से पैसे के स्रोत क्या था इस बारे में भी कोई पूछताछ नहीं की है।
कमजोर किया केस
आपको बता दें पीयूष जैन के कानपुर स्थित घर से डीजीजीआई की टीम ने 177.45 करोड़ कैश की बरामदगी की थी। यही टीम अब इस पैसे को टर्न ओवर मान लिया है। उनकी तरफ से कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों से इसका खुलासा हुआ है। डीजीजीआई की तरफ से पियूष जैन के घर से बरामद रुपये को टर्नओवर मानने से या केस कमजोर हो जाएगा। इससे वह पेनाल्टी जमाकर आसानी से जमानत पा सकता है।
ब्लैक मनी का बनता है मामला
अब आप इस बात पर भी गौर करिए कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ पियूष जैन के यहां से बरामद करोड़ों का कैश जहां समाजवादी पार्टी के शासन काल की ब्लैक मनी बता रहे हैं वहीं डीजीसीआई की टीम ने इसे टर्नओवर माना है। जबकि ये हर कोई जनता है की पूरा मामला ब्लैक मनी का बनता था। ऐसे में अब आयकर विभाग विभाग भी ब्लैक मनी के मामले में उस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगा।
कैसे केस हुआ कमजोर?
इस पूरे मामले में टैक्स विशेषज्ञों कहना है कि करीब 200 करोड़ के कैश बरामद होने के बाद डीजीजीआई को इसे आयकर विभाग को सौंपना चाहिए था। लेकिन डीजीजीआई ने इस पर केस बनाया। जो की पूरा मामला काली कमाई का है, अगर आयकर विभाग इस केस में कार्रवाई करता तो वह पेनाल्टी और ब्याज लगता, जो 100 करोड़ से ज्यादा का होता। अब डीजीजीआई की चूक ने केस को बहुत कमजोर कर दिया है। इतना ही नहीं उसने ट्रांजिट रिमांड भी नहीं मांगी है, जिससे पियूष जैन कुछ दिनों बाद आसानी से बाहर आ सकता है।